रायपुर: छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से करीब 37 सीटों पर साहू समाज का प्रभाव है. साल 2018 में भाजपा ने साहू समाज के 14 और कांग्रेस ने 8 लोगों को टिकट दिया था. भाजपा से एक और कांग्रेस से 5 साहू उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. ताम्रध्वज साहू को मंत्री भी बनाया गया है. साल 2023 के चुनाव में भी एक बार फिर भाजपा ने 11 और कांग्रेस ने 9 साहू उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
कांग्रेस के साहू उम्मीदवार: कांग्रेस ने गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू (दुर्ग-ग्रामीण), पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू (अभनपुर) और कसडोल, धमतरी, लोरमी, जैजैपुर, भाटापारा, डोंगरगांव और खुज्जी समेत सात अन्य साहू उम्मीदवार को मैदान में उतारा है.
भाजपा के साहू उम्मीदवार: भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष और बिलासपुर सांसद अरुण साव शामिल है. अरुण साव लोरमी से चुनाव लड़ रहे हैं. खरसिया, अभनपुर, राजिम, सक्ती, रायपुर ग्रामीण, सज्जा, बेमेतरा, गुंडरदेही और धमतरी से चुनाव लड़ रहे हैं. इस तरह समझ सकते हैं कि कैसे बीजेपी ने भी साहू उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. करीब 10 सीटों पर बीजेपी ने साहू उम्मीदवारों पर दांव लगाया है.
चार सीटों पर सीधा मुकाबला: भाजपा और कांग्रेस के साहू उम्मीदवारों का सीधा मुकाबला है. लोरमी में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव के सामने कांग्रेस के तनेश्वर साहू हैं. अभनपुर में पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू को चुनौती देने के लिए भाजपा ने एक नया चेहरा इंद्र कुमार साहू को मैदान में उतार दिया है. खुज्जी में कांग्रेस ने मौजूदा विधायक चन्नी साहू का टिकट काटकर भोला राम साहू को भाजपा की गीता घासी साहू के खिलाफ मैदान में उतारा है. धमतरी में बीजेपी की मौजूदा विधायक रंजना साहू के खिलाफ कांग्रेस ने ओमकार साहू को मैदान में उतारा है.छत्तीसगढ़ में ओबीसी आबादी करीब 43.5 प्रतिशत है.
बता दें कि ओबीसी समुदाय में साहू समाज का राजनीति में खासा दखल है. कई विधानसभा क्षेत्र में साहू समुदाय निर्णायक की भूमिका में भी हैं. खुद भूपेश बघेल कुर्मी यानी ओबीसी से आते हैं. लिहाजा ओबीसी वोट बैंक पर उनकी नजर शुरू से है. यही वजह है कि भाजपा ने साहू समाज के अरुण साव को प्रदेशाध्यक्ष बनाया. वहीं नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया. नारायण चंदेल भूपेश बघेल के समुदाय कुर्मी से आते हैं.