रायपुर: कोरोना संकट में राजनीतिक दलों ने भी अपने कामकाज का तरीका बदल दिया है. नेता बैठकों के लिए वर्चुअल माध्यम का सहारा ले रहे हैं. जहां पहले आंदोलन के लिए बड़े-बड़े मंच सजा करते थे. सड़क पर कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ता था. वहीं अब विरोध प्रदर्शन का नया स्वरूप देखने को मिल रहा है.
कोरोना काल में विरोध-प्रदर्शन का नया रूप
छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी और कांग्रेस नेताओं ने विरोध का नया तरीका ढूंढा है. पक्ष हो या विपक्ष दोनों ही दल अब घरों से एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं. पिछले दिनों बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने अपने-अपने घरों में बैठकर विरोध-प्रदर्शन किया.
कोरोना से बचाव एक बड़ा कारण
धरने के बदले स्वरूप के पीछे मुख्य वजह कोरोना संक्रमण से बचाव बताया जा रहा है. राजनीतिक दलों की मानें तो सार्वजनिक रूप से सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन करने से कोरोना संक्रमण फैलने की ज्यादा गुंजाइश होगी. यही वजह है कि अब नेता घरों अपने घरों से ही धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.
आखिर इस धरने के क्या मायने हैं?
इस धरने को लेकर आम जनता और बुद्धिजीवी वर्ग क्या सोचते हैं. आम लोगों का कहना है कि घर से धरना पार्टियों का सिर्फ दिखावा है. सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए राजनीति की जा रही है. जिस समय कोरोना संक्रमण से लोग मर रहे हैं. उन लोगों को अस्पताल में दवाई, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर की जरूरत है. तब नेता अपने निजी हित के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.
'नेताओं का काम सिर्फ राजनीति करना रह गया'
जानकारों की मानें तो नेताओं का काम सिर्फ अब राजनीति करना रह गया है. कोरोना संकट में उन्हें जनता के दुख, दर्द से कोई मतलब नहीं है. सही मायनो में यह नेता जनता के हितैषी होते तो आज जनता की मदद के लिए खड़े होते. उन्हें दवाई, ऑक्सीजन, बेड सहित अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराते. लेकिन इन्हें इससे कोई मतलब नहीं है.