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सियासी पिच पर कैसे बढ़ा भूपेश बघेल का कद, जानिए कांग्रेस के कद्दावर नेता का सियासी सफर - Chhattisgarh election 2023

assembly elections live news: सियासी पिच पर तो कई खिलाड़ी उतरते हैं, लेकिन कद्दावर वहीं होता है, जो इस पिच पर जज्बा, सेवा भाव और कुछ करने का ख्वाब लेकर उतरता है. ऐसे ही नेताओं में भूपेश बघेल का नाम लिया जाता है.Chhattisgarh election 2023

Political journey of Congress leader Bhupesh Baghel
सियासी पिच पर कैसे बढ़ा भूपेश बघेल का कद
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 2, 2023, 11:00 PM IST

Updated : Dec 3, 2023, 3:04 PM IST

रायपुर: जो हार से घबराता नहीं, सेवा भाव से पीछे हटता नहीं, जीत से इतराता नहीं, सच बोलने से डरता नहीं और जिसे सियासी दिग्गज भी बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की. आइये जानते हैं उनके लीडरशिप के सफर के बारे में.

गांव से लेकर राजधानी तक का सफर: साल 1961 में 23 अगस्त को दुर्ग के बेलौदी गांव में जन्म हुआ. माता पिता ने प्यार से अपने बच्चे नाम भूपेश बघेल रखा. पिता नंद कुमार बघेल और माता बिंदेश्वरी बघेल ने बच्चे की पढ़ाई लिखाई करानी शुरू की. रायपुर के साइंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई भूपेश बघेल ने पूरी की. वहीं पर राजनीति में दिलचस्पी शुरू हो गई

कांग्रेस से नाता जुड़ने की कहानी: साल 1985 में यूथ कांग्रेस की सदस्यता ली. साल 1990 में जिला युवा कांग्रेस कमेटी दुर्ग ग्रामीण के अध्यक्ष बने. 1993 में अविभाजित मध्यप्रदेश में पाटन विधानसभा से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे. उसके बाद फिर से पाटन से जीत का सेहरा जनता ने बांध दिया. मध्यप्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.

मंत्री पद पर काबिज हुए: एमपी में सरकार कांग्रेस की बनी, दिग्विजय सिंह सीएम बने. मुख्यमंत्री ने भूपेश बघेल को कैबिनेट मंत्री बना दिया. परिवहन मंत्रालय का जिम्मा भी संभाल चुके हैं. मध्यप्रदेश हाउसिंह बोर्ड के डायरेक्टर की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा चुके हैं. फिर जब साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना तो अजीत जोगी की सरकार में कैबिनेट मंत्री का दायित्व मिला. सत्ता से बाहर होने पर विपक्ष का उपनेता भी बन चुके हैं.

हार से नहीं हुए निराश: साल 2008 में भूपेश बघेल अपने दूर के रिश्तेदार विजय बघेल से चुनाव हार गए. पाटन सीट से उन्हें विजय बघेल ने हराया. हालांकि फिर साल 2013 में वे विजय बघेल पर हराकर सदन तक का सफर तय किये. इसके बाद साल 2014 में कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया. और फिर साल 2018 में कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए जीत दिलाई. आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर उन पर भरोसा जताया.

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गांव से लेकर राजधानी तक का सफर: साल 1961 में 23 अगस्त को दुर्ग के बेलौदी गांव में जन्म हुआ. माता पिता ने प्यार से अपने बच्चे नाम भूपेश बघेल रखा. पिता नंद कुमार बघेल और माता बिंदेश्वरी बघेल ने बच्चे की पढ़ाई लिखाई करानी शुरू की. रायपुर के साइंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई भूपेश बघेल ने पूरी की. वहीं पर राजनीति में दिलचस्पी शुरू हो गई

कांग्रेस से नाता जुड़ने की कहानी: साल 1985 में यूथ कांग्रेस की सदस्यता ली. साल 1990 में जिला युवा कांग्रेस कमेटी दुर्ग ग्रामीण के अध्यक्ष बने. 1993 में अविभाजित मध्यप्रदेश में पाटन विधानसभा से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे. उसके बाद फिर से पाटन से जीत का सेहरा जनता ने बांध दिया. मध्यप्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.

मंत्री पद पर काबिज हुए: एमपी में सरकार कांग्रेस की बनी, दिग्विजय सिंह सीएम बने. मुख्यमंत्री ने भूपेश बघेल को कैबिनेट मंत्री बना दिया. परिवहन मंत्रालय का जिम्मा भी संभाल चुके हैं. मध्यप्रदेश हाउसिंह बोर्ड के डायरेक्टर की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा चुके हैं. फिर जब साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना तो अजीत जोगी की सरकार में कैबिनेट मंत्री का दायित्व मिला. सत्ता से बाहर होने पर विपक्ष का उपनेता भी बन चुके हैं.

हार से नहीं हुए निराश: साल 2008 में भूपेश बघेल अपने दूर के रिश्तेदार विजय बघेल से चुनाव हार गए. पाटन सीट से उन्हें विजय बघेल ने हराया. हालांकि फिर साल 2013 में वे विजय बघेल पर हराकर सदन तक का सफर तय किये. इसके बाद साल 2014 में कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया. और फिर साल 2018 में कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए जीत दिलाई. आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर उन पर भरोसा जताया.

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Last Updated : Dec 3, 2023, 3:04 PM IST
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