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विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के चौथे सीएम, जानिए पिछले तीन सीएम का राजनीतिक करियर ? - रमन सिंह

Political journey of Chief Ministers छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय प्रदेश के चौथे सीएम हैं.इससे पहले प्रदेश को तीन सीएम मिले हैं.आज हम आपको बताएंगे प्रदेश के पहले तीन सीएम कौन हैं.Chhattisgarh All Cm political Journey

Political journey of Chief Ministers
जानिए पिछले तीन सीएम का राजनीतिक करियर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 11, 2023, 5:33 PM IST

Updated : Dec 13, 2023, 8:57 AM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के बाद बीजेपी सत्ता में आई.इस बार बीजेपी ने प्रदेश को नया सीएम दिया.जो आदिवासी वर्ग से आता है.लेकिन इससे पहले तीन और लोग प्रदेश की कमान संभाल चुके हैं.जिनमें प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे. जिन्हें प्रदेश का पहला आदिवासी मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी मिला.आज हम आपको बताएंगे छत्तीसगढ़ के अब तक के बने सीएम के राजनीतिक सफर के बारे में.

अजीत जोगी : अजीत जोगी बिलासपुर जिले के छोटे से कस्बे पेंड्रा के पास जनजातियों के एक गांव जोगीसार में पैदा हुए. पिता अध्यापक थे.लेकिन उनके बेटे के सपने बहुत बड़े थे. भोपाल से इंजीनियरिंग, आईपीएस, आईएएस बनने के बाद कलेक्टर और फिर राज्यसभा सदस्य से मुख्यमंत्री बने.अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की.

राजनीति में कैसे आएं जोगी :अजीत जोगी ने महज ढाई घंटे में कलेक्टरी छोड़कर राजनीति में उतरने का फैसला किया. जब राजीव गांधी के ऑफिस से उन्हें कॉल आया तो वे इंदौर कलेक्टर थे.रात में जब जोगी ने कॉल लगाया तो उन्हें पता चला कि अगले ही दिन उन्हें राज्यसभा का नामांकन भरना है.जिसकी प्रक्रिया दिग्विजय सिंह पूरी करवाएंगे.ये सुनते ही जोगी के पैरों तले जमीन खिसक गई.लेकिन परिवार और दोस्तों से सलाह लेने के बाद रात साढ़े बारह बजे से पहले उन्होंने पीएम हाउस को अपना फैसला सुनाया और फिर अगले दिन जाकर राज्यसभा का नामांकन दाखिल किया. जब साल 2000 में छत्तीसगढ़ नया राज्य बना तो अजीत जोगी सांसद के साथ राष्ट्रीय प्रवक्ता थे.जहां से उन्हें सीधा प्रदेश की कमान संभालने के लिए भेजा गया.

रमन सिंह :छत्तीसगढ़ के दूसरे मुख्यमंत्री रमन सिंह थे. जो पेशे से बीएएमएस डॉक्टर थे.साल 1975 में रमन सिंह ने बीएएमएस की डिग्री ली थी. 1990 में रमन सिंह ने पहला चुनाव लड़ा और विधायक बने.1993 में मध्यप्रदेश की विधानसभा में दोबारा विधायक बने.इसके बाद 13वीं लोकसभा में राज्य वाणिज्य उद्योग मंत्री के तौर पर काम किया. 2003 में जब छत्तीसगढ़ के चुनाव नजदीक आए तो छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए.इस चुनाव में जीत के बाद जब रमेश बैस का नाम सीएम पद के लिए सामने आया तो बैस ने केंद्र की राजनीति में ही रहने की इच्छा जताई.जिसके बाद रमन सिंह को बीजेपी ने सीएम बनाया.इसके बाद साल 2008 और फिर 2013 में भी रमन सिंह प्रदेश के सीएम रहे.

भूपेश बघेल : छत्तीसगढ़ के तीसरे सीएम भूपेश बघेल ने 1985 से अपने राजनीति की शुरुआत की.उन्होंने कांग्रेस के लिए काम करना शुरु किया. पहली बार 1993 में विधायक बने. इसके बाद मध्यप्रदेश की दिग्विजय सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला.जब प्रदेश अलग हुआ तो 2000 में अजीत जोगी के सरकार में भी भूपेश बघेल कैबिनेट मंत्री रहे.इसके बाद जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो विपक्ष में कई पदों पर रहकर कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया.2013 में भूपेश बघेल ने झीरम घाटी में अपने बड़े नेताओं की मौत के बाद कांग्रेस को दोबारा खड़ा किया. बीजेपी की बी टीम कहे जाने वाले अजीत जोगी और उनके बेटे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया.बघेल यहीं नहीं रुके 2018 के चुनाव से पहले टीएस सिंहदेव के साथ प्रदेश में बड़ी पदयात्राएं की.एक-एक कार्यकर्ता को जोड़ा.आखिरकार 2018 का जब रिजल्ट आया तो रमन सरकार सत्ता से जा चुकी थी. बघेल ने जिस गुटबाजी को खत्म किया,उसकी बदौलत पूरे प्रदेश में पार्टी की 68 सीटें आईं.जिसके बाद भूपेश बघेल प्रदेश के चौथे सीएम बने.

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अजीत जोगी : अजीत जोगी बिलासपुर जिले के छोटे से कस्बे पेंड्रा के पास जनजातियों के एक गांव जोगीसार में पैदा हुए. पिता अध्यापक थे.लेकिन उनके बेटे के सपने बहुत बड़े थे. भोपाल से इंजीनियरिंग, आईपीएस, आईएएस बनने के बाद कलेक्टर और फिर राज्यसभा सदस्य से मुख्यमंत्री बने.अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की.

राजनीति में कैसे आएं जोगी :अजीत जोगी ने महज ढाई घंटे में कलेक्टरी छोड़कर राजनीति में उतरने का फैसला किया. जब राजीव गांधी के ऑफिस से उन्हें कॉल आया तो वे इंदौर कलेक्टर थे.रात में जब जोगी ने कॉल लगाया तो उन्हें पता चला कि अगले ही दिन उन्हें राज्यसभा का नामांकन भरना है.जिसकी प्रक्रिया दिग्विजय सिंह पूरी करवाएंगे.ये सुनते ही जोगी के पैरों तले जमीन खिसक गई.लेकिन परिवार और दोस्तों से सलाह लेने के बाद रात साढ़े बारह बजे से पहले उन्होंने पीएम हाउस को अपना फैसला सुनाया और फिर अगले दिन जाकर राज्यसभा का नामांकन दाखिल किया. जब साल 2000 में छत्तीसगढ़ नया राज्य बना तो अजीत जोगी सांसद के साथ राष्ट्रीय प्रवक्ता थे.जहां से उन्हें सीधा प्रदेश की कमान संभालने के लिए भेजा गया.

रमन सिंह :छत्तीसगढ़ के दूसरे मुख्यमंत्री रमन सिंह थे. जो पेशे से बीएएमएस डॉक्टर थे.साल 1975 में रमन सिंह ने बीएएमएस की डिग्री ली थी. 1990 में रमन सिंह ने पहला चुनाव लड़ा और विधायक बने.1993 में मध्यप्रदेश की विधानसभा में दोबारा विधायक बने.इसके बाद 13वीं लोकसभा में राज्य वाणिज्य उद्योग मंत्री के तौर पर काम किया. 2003 में जब छत्तीसगढ़ के चुनाव नजदीक आए तो छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए.इस चुनाव में जीत के बाद जब रमेश बैस का नाम सीएम पद के लिए सामने आया तो बैस ने केंद्र की राजनीति में ही रहने की इच्छा जताई.जिसके बाद रमन सिंह को बीजेपी ने सीएम बनाया.इसके बाद साल 2008 और फिर 2013 में भी रमन सिंह प्रदेश के सीएम रहे.

भूपेश बघेल : छत्तीसगढ़ के तीसरे सीएम भूपेश बघेल ने 1985 से अपने राजनीति की शुरुआत की.उन्होंने कांग्रेस के लिए काम करना शुरु किया. पहली बार 1993 में विधायक बने. इसके बाद मध्यप्रदेश की दिग्विजय सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला.जब प्रदेश अलग हुआ तो 2000 में अजीत जोगी के सरकार में भी भूपेश बघेल कैबिनेट मंत्री रहे.इसके बाद जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो विपक्ष में कई पदों पर रहकर कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया.2013 में भूपेश बघेल ने झीरम घाटी में अपने बड़े नेताओं की मौत के बाद कांग्रेस को दोबारा खड़ा किया. बीजेपी की बी टीम कहे जाने वाले अजीत जोगी और उनके बेटे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया.बघेल यहीं नहीं रुके 2018 के चुनाव से पहले टीएस सिंहदेव के साथ प्रदेश में बड़ी पदयात्राएं की.एक-एक कार्यकर्ता को जोड़ा.आखिरकार 2018 का जब रिजल्ट आया तो रमन सरकार सत्ता से जा चुकी थी. बघेल ने जिस गुटबाजी को खत्म किया,उसकी बदौलत पूरे प्रदेश में पार्टी की 68 सीटें आईं.जिसके बाद भूपेश बघेल प्रदेश के चौथे सीएम बने.

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Last Updated : Dec 13, 2023, 8:57 AM IST
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