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छत्तीसगढ़ का किसान आखिर क्यों ले रहा है कर्ज ?

बघेल सरकार लगातार दावा कर रही है कि छत्तीसगढ़ में किसान खुशहाल हैं. लेकिन प्रदेश में किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ा है. इस मुद्दे पर बीजेपी ने बघेल सरकार को घेरा है. बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने सरकार पर आरोप लगाया है कि किसानों को कर्ज में डुबोकर वह उनकी जमीन हड़पना चाहती है. कांग्रेस ने बीजेपी के इन आरोपों को खारिज किया है. आइए जानते हैं कि इस मुद्दे पर किसान नेता क्या कह रहे हैं. ?

प्रवक्ता
छत्तीसगढ़ में किसानों पर बढ़ा कर्ज
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Published : Aug 6, 2021, 6:54 PM IST

Updated : Aug 6, 2021, 8:35 PM IST

रायपुर: प्रदेश में किसानों की उन्नति और खुशहाली के दावे कांग्रेस सरकार की तरफ से किए जा रहे हैं. लेकिन विपक्ष प्रदेश में किसानों की अनदेखी का आरोप सरकार पर लगा रहा है. हाल ही में विधानसभा से मिले आंकड़े के अनुसार पिछले 2 सालों में कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या काफी बढ़ी है. वहीं कर्ज की राशि में भी इजाफा हुआ है. इसके अलावा नहीं चुकाए गए कर्ज की राशि कहीं ज्यादा थी और यही कारण है कि, अब विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार को घेर रहा है. आखिर क्या वजह है कि छत्तीसगढ़ के किसान बैंकों से बहुत ज्यादा कर्ज ले रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में किसानों पर बढ़ा कर्ज

इस मामले की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने पक्ष विपक्ष सहित किसान प्रतिनिधियों से बात की और जानना चाहा कि इस कर्ज की मुख्य वजह क्या है.आइए पहले एक नजर डालते हैं विधानसभा से मिले उन आकड़ों पर जिसमें किसानों की संख्या और कर्ज के रूप में ली गई राशि का उल्लेख किया गया है.

खेती के लिए सहकारी बैंकों से शून्य फीसदी ब्याज पर मिलता है कर्ज

किसानों को प्रति वर्ष खेती के लिए सहकारी बैंकों से शून्य फीसदी ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराया जाता है. इस राशि से किसान खेती करते हैं और पैदावार होने के बाद उसे बेचकर मिलने वाली राशि से वे अपने बैंक का ऋण चुका देते हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ विधानसभा से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले 2 सालों में कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इसके साथ ही यह भी देखने को मिला है कि कर्ज की अदायगी कर लेने वालों के अनुपात में काफी कमी आई है.

पिछले 2 सालों में किसानों पर 55,709 लाख रुपए का कर्ज बाकी

पिछले 2 सालों में किसानों पर 55,709 लाख रुपए का कर्ज बाकी है. यह जानकारी सहकारी मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में विधानसभा में दिया है. जवाब में बताया गया कि साल 2019-20 में सहकारी बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या 12लाख 81 हजार 616 थी. वहीं साल 2020-21 में कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 14 लाख 30 हजार 188 हो गई. यानि 1 साल के अंदर ही कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या में 1 लाख 48हजार 572 का इजाफा दर्ज किया गया.

यही स्थिति कर्ज की राशि को लेकर भी है. साल 2019-20 में किसानों ने 4,33,481 लाख रुपए का कर्ज लिया था. लेकिन 19,767 लाख रुपए किसानों के द्वारा जमा नहीं किया गया. इसी प्रकार 2020- 21 में किसानों ने करीब 35942 लाख रुपए कर्ज नहीं पटाया है.


सत्ता वापसी के बाद कांग्रेस ने किया कर्जमाफी का ऐलान

कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में ऐलान किया था कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वह किसानों की कर्ज माफी करेंगे. सत्ता पर काबिज होते ही कांग्रेस सरकार ने किसानों की ऋण माफी का ऐलान कर दिया. अल्पकालीन कृषि ऋण माफी योजना के अंतर्गत बघेल सरकार ने 21 बैंकों के करीब 8743.61 करोड़ रुपए का ऋण माफ किया था. इसमें सबसे ज्यादा 5261.43 करोड़ रुपए की राशि सहकारी बैंकों की थी.

निर्धारित लक्ष्य का 72% ऋण चुके हैं किसान

साल 2020-21 में अब तक 3,840 करोड़ रुपए का ऋण सरकार किसानों को दे चुकी है. इस साल खरीफ फसल के लिए 5300 रुपये कृषि ऋण के रूप में किसानों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था. अब तक 3,840 करोड़ रुपये से अधिक ऋण किसानों को दिए जा चुके हैं. जो कि निर्धारित लक्ष्य का 72% है.

जैविक खाद के रूप में भी किसानों को ऋण मुहैया करा रही है सरकार

राज्य में जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों को वर्मी कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट खाद भी कृषि ऋण के रूप में उपलब्ध कराया गया है. अब तक किसानों ने 2 लाख 72 हजार 300 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उठाव कृषि ऋण के रूप में किया है. जिसकी कुल कीमत 25.23 करोड़ रुपए है.

किसानों को कर्ज में डुबोकर जमीन हड़पना चाहती है सरकार

किसानों के सर पर बढ़ रहे कर्ज के बोझ को लेकर विपक्ष ने राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरने का प्रयास किया है. विपक्ष का आरोप है कि कर्ज माफी की बात करने वाली कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्ज माफ नहीं किया है. आज किसान कर्ज के कारण डिफाल्टर घोषित होते जा रहे हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना था कि आज किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. राजीव गांधी न्याय योजना के तहत मिलने वाली राशि का भुगतान कई किस्तो में किया जा रहा है. जिस वजह से किसानों को उसका उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से भी किसान का छले जा रहे हैं. यदि वे कर्ज नहीं पटाते हैं तो निश्चित रूप से उन्हें डिफाल्टर घोषित कर दिया जाएगा

600 किसान कर चुके हैं आत्महत्या

बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि, बीते सालों में लगभग 600 किसानों ने आत्महत्या की है. आज किसान कर्ज में डूबता जा रहा है, लेकिन सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. यह सरकार किसान विरोधी सरकार है. यह सरकार किसानों को कर्ज देकर कर्ज में डूबोना चाहती है और कर्ज न चुकाने की स्थिति में उसे डिफाल्टर घोषित कर देगी. इतना ही नहीं इन किसानों की जमीन हड़पने के लिए भूमाफिया भी सक्रिय नजर आ रहे हैं. जिसे रोकने के लिए कांग्रेस सरकार की तरफ से अब तक कोई बड़ी पहल नहीं की गई है. आज किसान पलायन करने को मजबूर हैं.

किसान अपनी पैदावार बढ़ाने कर्ज लेकर जुटा रहे हैं आधुनिक संसाधन

वहीं कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि, शासकीय योजनाओं का लाभ किसानों को मिल रहा है. आज प्रदेश के किसान उन्नत हो रहे हैं. वह अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए आधुनिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं. इसी कड़ी में विभिन्न माध्यमों से चाहे वह राजीव गांधी न्याय योजना हो या फिर गोधन न्याय योजना हो. किसान इन योजनाओं की राशि का इस्तेमाल अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए कर रहे हैं. इस कर्ज से किसानों के द्वारा ट्रैक्टर सहित अन्य आधुनिक संसाधनों की खरीदी की जा रही है आज खेती का रकबा बढ़ रहा है. सरकारी योजनाओं के लाभ की वजह से किसानों का रुझान एक बार फिर खेती की ओर बढ़ा है

किसानों को एकमुस्त मिलती अंतर की राशि, तो ज्यादा फायदेमंद होता

वही छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जागेश्वर प्रसाद का कहना है कि, जिस तरह से भूपेश सरकार के द्वारा धान के समर्थन मूल्य के अंतर की राशि दी गई है. उसे देखते हुए कई किसानों के द्वारा धान की खेती की जा रही है. जिस वजह से न सिर्फ धान का रकबा बढ़ा है बल्कि उत्पादन भी बढ़ा है. हालांकि इस दौरान वे यह भी कहते नजर आए कि, यदि धान के अंतर की राशि सरकार के द्वारा एकमुश्त दे दी जाती है तो कहीं ना कहीं प्रदेश के किसान और ज्यादा लाभान्वित होते. जागेश्वर प्रसाद बताते हैं कि आज किसान अपनी खेती का दायरा बढ़ा रहा है. पहले से धान की खेती होती थी लेकिन राज्य सरकार के द्वारा अन्य फसलों के लिए भी समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की गई है. जो अच्छी बात है.

बहरहाल इन सभी की बातों और तथ्यों के आधार पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि, आज प्रदेश के किसान काफी संख्या में कर्ज ले रहे हैं. लेकिन इस कर्ज का कहीं ना कहीं उन्हें लाभ भी मिल रहा है. तो वहीं दूसरी ओर बढ़ते कर्ज की वजह से उनके डिफाल्टर बनने की संभावना भी बढ़ रही है. क्योंकि फसल कभी अच्छी होती है और कभी खराब, ऐसी स्थिति में कर्ज लेने वाले किसान के सामने हमेशा आर्थिक संकट बना रहता है. अब देखने वाली बात है कि किसानों को यह खुशहाली की ओर ले जाता है या फिर डुबोता है.

रायपुर: प्रदेश में किसानों की उन्नति और खुशहाली के दावे कांग्रेस सरकार की तरफ से किए जा रहे हैं. लेकिन विपक्ष प्रदेश में किसानों की अनदेखी का आरोप सरकार पर लगा रहा है. हाल ही में विधानसभा से मिले आंकड़े के अनुसार पिछले 2 सालों में कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या काफी बढ़ी है. वहीं कर्ज की राशि में भी इजाफा हुआ है. इसके अलावा नहीं चुकाए गए कर्ज की राशि कहीं ज्यादा थी और यही कारण है कि, अब विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार को घेर रहा है. आखिर क्या वजह है कि छत्तीसगढ़ के किसान बैंकों से बहुत ज्यादा कर्ज ले रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में किसानों पर बढ़ा कर्ज

इस मामले की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने पक्ष विपक्ष सहित किसान प्रतिनिधियों से बात की और जानना चाहा कि इस कर्ज की मुख्य वजह क्या है.आइए पहले एक नजर डालते हैं विधानसभा से मिले उन आकड़ों पर जिसमें किसानों की संख्या और कर्ज के रूप में ली गई राशि का उल्लेख किया गया है.

खेती के लिए सहकारी बैंकों से शून्य फीसदी ब्याज पर मिलता है कर्ज

किसानों को प्रति वर्ष खेती के लिए सहकारी बैंकों से शून्य फीसदी ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराया जाता है. इस राशि से किसान खेती करते हैं और पैदावार होने के बाद उसे बेचकर मिलने वाली राशि से वे अपने बैंक का ऋण चुका देते हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ विधानसभा से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले 2 सालों में कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इसके साथ ही यह भी देखने को मिला है कि कर्ज की अदायगी कर लेने वालों के अनुपात में काफी कमी आई है.

पिछले 2 सालों में किसानों पर 55,709 लाख रुपए का कर्ज बाकी

पिछले 2 सालों में किसानों पर 55,709 लाख रुपए का कर्ज बाकी है. यह जानकारी सहकारी मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में विधानसभा में दिया है. जवाब में बताया गया कि साल 2019-20 में सहकारी बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या 12लाख 81 हजार 616 थी. वहीं साल 2020-21 में कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 14 लाख 30 हजार 188 हो गई. यानि 1 साल के अंदर ही कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या में 1 लाख 48हजार 572 का इजाफा दर्ज किया गया.

यही स्थिति कर्ज की राशि को लेकर भी है. साल 2019-20 में किसानों ने 4,33,481 लाख रुपए का कर्ज लिया था. लेकिन 19,767 लाख रुपए किसानों के द्वारा जमा नहीं किया गया. इसी प्रकार 2020- 21 में किसानों ने करीब 35942 लाख रुपए कर्ज नहीं पटाया है.


सत्ता वापसी के बाद कांग्रेस ने किया कर्जमाफी का ऐलान

कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में ऐलान किया था कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वह किसानों की कर्ज माफी करेंगे. सत्ता पर काबिज होते ही कांग्रेस सरकार ने किसानों की ऋण माफी का ऐलान कर दिया. अल्पकालीन कृषि ऋण माफी योजना के अंतर्गत बघेल सरकार ने 21 बैंकों के करीब 8743.61 करोड़ रुपए का ऋण माफ किया था. इसमें सबसे ज्यादा 5261.43 करोड़ रुपए की राशि सहकारी बैंकों की थी.

निर्धारित लक्ष्य का 72% ऋण चुके हैं किसान

साल 2020-21 में अब तक 3,840 करोड़ रुपए का ऋण सरकार किसानों को दे चुकी है. इस साल खरीफ फसल के लिए 5300 रुपये कृषि ऋण के रूप में किसानों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था. अब तक 3,840 करोड़ रुपये से अधिक ऋण किसानों को दिए जा चुके हैं. जो कि निर्धारित लक्ष्य का 72% है.

जैविक खाद के रूप में भी किसानों को ऋण मुहैया करा रही है सरकार

राज्य में जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों को वर्मी कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट खाद भी कृषि ऋण के रूप में उपलब्ध कराया गया है. अब तक किसानों ने 2 लाख 72 हजार 300 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उठाव कृषि ऋण के रूप में किया है. जिसकी कुल कीमत 25.23 करोड़ रुपए है.

किसानों को कर्ज में डुबोकर जमीन हड़पना चाहती है सरकार

किसानों के सर पर बढ़ रहे कर्ज के बोझ को लेकर विपक्ष ने राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरने का प्रयास किया है. विपक्ष का आरोप है कि कर्ज माफी की बात करने वाली कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्ज माफ नहीं किया है. आज किसान कर्ज के कारण डिफाल्टर घोषित होते जा रहे हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना था कि आज किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. राजीव गांधी न्याय योजना के तहत मिलने वाली राशि का भुगतान कई किस्तो में किया जा रहा है. जिस वजह से किसानों को उसका उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से भी किसान का छले जा रहे हैं. यदि वे कर्ज नहीं पटाते हैं तो निश्चित रूप से उन्हें डिफाल्टर घोषित कर दिया जाएगा

600 किसान कर चुके हैं आत्महत्या

बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि, बीते सालों में लगभग 600 किसानों ने आत्महत्या की है. आज किसान कर्ज में डूबता जा रहा है, लेकिन सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. यह सरकार किसान विरोधी सरकार है. यह सरकार किसानों को कर्ज देकर कर्ज में डूबोना चाहती है और कर्ज न चुकाने की स्थिति में उसे डिफाल्टर घोषित कर देगी. इतना ही नहीं इन किसानों की जमीन हड़पने के लिए भूमाफिया भी सक्रिय नजर आ रहे हैं. जिसे रोकने के लिए कांग्रेस सरकार की तरफ से अब तक कोई बड़ी पहल नहीं की गई है. आज किसान पलायन करने को मजबूर हैं.

किसान अपनी पैदावार बढ़ाने कर्ज लेकर जुटा रहे हैं आधुनिक संसाधन

वहीं कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि, शासकीय योजनाओं का लाभ किसानों को मिल रहा है. आज प्रदेश के किसान उन्नत हो रहे हैं. वह अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए आधुनिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं. इसी कड़ी में विभिन्न माध्यमों से चाहे वह राजीव गांधी न्याय योजना हो या फिर गोधन न्याय योजना हो. किसान इन योजनाओं की राशि का इस्तेमाल अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए कर रहे हैं. इस कर्ज से किसानों के द्वारा ट्रैक्टर सहित अन्य आधुनिक संसाधनों की खरीदी की जा रही है आज खेती का रकबा बढ़ रहा है. सरकारी योजनाओं के लाभ की वजह से किसानों का रुझान एक बार फिर खेती की ओर बढ़ा है

किसानों को एकमुस्त मिलती अंतर की राशि, तो ज्यादा फायदेमंद होता

वही छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जागेश्वर प्रसाद का कहना है कि, जिस तरह से भूपेश सरकार के द्वारा धान के समर्थन मूल्य के अंतर की राशि दी गई है. उसे देखते हुए कई किसानों के द्वारा धान की खेती की जा रही है. जिस वजह से न सिर्फ धान का रकबा बढ़ा है बल्कि उत्पादन भी बढ़ा है. हालांकि इस दौरान वे यह भी कहते नजर आए कि, यदि धान के अंतर की राशि सरकार के द्वारा एकमुश्त दे दी जाती है तो कहीं ना कहीं प्रदेश के किसान और ज्यादा लाभान्वित होते. जागेश्वर प्रसाद बताते हैं कि आज किसान अपनी खेती का दायरा बढ़ा रहा है. पहले से धान की खेती होती थी लेकिन राज्य सरकार के द्वारा अन्य फसलों के लिए भी समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की गई है. जो अच्छी बात है.

बहरहाल इन सभी की बातों और तथ्यों के आधार पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि, आज प्रदेश के किसान काफी संख्या में कर्ज ले रहे हैं. लेकिन इस कर्ज का कहीं ना कहीं उन्हें लाभ भी मिल रहा है. तो वहीं दूसरी ओर बढ़ते कर्ज की वजह से उनके डिफाल्टर बनने की संभावना भी बढ़ रही है. क्योंकि फसल कभी अच्छी होती है और कभी खराब, ऐसी स्थिति में कर्ज लेने वाले किसान के सामने हमेशा आर्थिक संकट बना रहता है. अब देखने वाली बात है कि किसानों को यह खुशहाली की ओर ले जाता है या फिर डुबोता है.

Last Updated : Aug 6, 2021, 8:35 PM IST
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