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Pitru Paksha 2021:शनिवार को पंचमी श्राद्ध, इस वजह से पितृ पक्ष को कहते हैं कनागत !

इस बार शनिवार को पंचमी श्राद्ध (Panchmi sradh)है. पितर पक्ष (pitar paksh) में पंचमी तिथि (panchmi tithi) यूं तो कुंवारे यानी कि अविवाहितों को समर्पित होता है. हालांकि किसी पूर्वज की मृत्यु शुक्ल या फिर कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को होता है, तो उनका श्राद्ध पंचमी श्राद्ध (Panchmi sradh) की तिथि को किया जाता है. इस दिन मृत व्यक्ति के नाम के दान के साथ ब्राह्मणों को भोजन (Brahmin Bhoj) कराया जाता है.

Panchami Shradh in Pitru Paksha 2021
Pitru Paksha 2021:शनिवार को पंचमी श्राद्ध
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Published : Sep 24, 2021, 8:37 PM IST

हैदराबाद/रायपुर: पितृपक्ष (Pitru paksh) में हर तिथि का अपना एक अलग महत्व होता है. सभी तिथियों को पूर्वजों (purwajon) के लिए समर्पित माना जाता है. पितृ पक्ष (Pitri paksh) में अगर पितरों के नाम (Pitrao ke naam) का मन से दान और ब्राह्मण भोजन (Brahmin bhojan) कराने के साथ-साथ कौवों (Crow) को भोजन कराया जाय तो, कहते हैं कि हर तरह का दुःख दूर हो जाता है, और पितर (Pitar) प्रसन्न होकर आशिर्वाद देते हैं.

Pitru Paksha 2021: पितृ दोष से बचने के लिए श्राद्ध पक्ष में इन बातों का रखें ध्यान, न करें ये काम

पंचमी श्राद्ध

जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई है उनके लिए पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जाता है. यह कुंवारों को समर्पित श्राद्ध है. इसके साथ ही पंचमी तिथि शुक्ल पक्ष या फिर कृष्ण पक्ष को मृत पितर के नाम की पूजा और ब्राह्मण भोज पंचमी को किया जाता है. इस दिन नित्य सेवा से निवृत हो पितरों के नाम की पूजा, दान और ब्राह्मण भोज करने से पितरों को तृप्ति मिलती है.

इसलिए श्राद्ध पक्ष को कहते हैं कनागत

पितृ पक्ष के दिनों में पितृ अपने वंश का कल्याण करेंगे. इस धारणा के साथ पितरों को समर्पित इस पक्ष में उनकी पूजा की जाती है. इसके साथ ही पितरों की पूजा से पितर सुख-शांति-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. जिनकी कुंडली में पितृ दोष हो है, उनको अवश्य अर्पण-तर्पण करना चाहिए. श्राद्ध करने से हमारे पितृ तृप्त होते हैं. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के समय सूर्य कन्या राशि में स्थित होता है और सूर्य के कन्यागत होने से ही इन 16 दिनों को कनागत कहा जाता है.

श्राद्ध क्या है

पितरों के प्रति तर्पण यानी कि जलदान, पिंडदान पिंड के रूप में पितरों को समर्पित किया गया भोजन व दान इत्यादि ही श्राद्ध कहा जाता है. देव, ऋषि और पितृ ऋण के निवारण के लिए श्राद्ध कर्म सबसे आसान उपाय है.अपने पूर्वजों का स्मरण करने और उनके मार्ग पर चलने और सुख-शांति की कामना करने को ही श्राद्ध कर्म कहते हैं.

हैदराबाद/रायपुर: पितृपक्ष (Pitru paksh) में हर तिथि का अपना एक अलग महत्व होता है. सभी तिथियों को पूर्वजों (purwajon) के लिए समर्पित माना जाता है. पितृ पक्ष (Pitri paksh) में अगर पितरों के नाम (Pitrao ke naam) का मन से दान और ब्राह्मण भोजन (Brahmin bhojan) कराने के साथ-साथ कौवों (Crow) को भोजन कराया जाय तो, कहते हैं कि हर तरह का दुःख दूर हो जाता है, और पितर (Pitar) प्रसन्न होकर आशिर्वाद देते हैं.

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पंचमी श्राद्ध

जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई है उनके लिए पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जाता है. यह कुंवारों को समर्पित श्राद्ध है. इसके साथ ही पंचमी तिथि शुक्ल पक्ष या फिर कृष्ण पक्ष को मृत पितर के नाम की पूजा और ब्राह्मण भोज पंचमी को किया जाता है. इस दिन नित्य सेवा से निवृत हो पितरों के नाम की पूजा, दान और ब्राह्मण भोज करने से पितरों को तृप्ति मिलती है.

इसलिए श्राद्ध पक्ष को कहते हैं कनागत

पितृ पक्ष के दिनों में पितृ अपने वंश का कल्याण करेंगे. इस धारणा के साथ पितरों को समर्पित इस पक्ष में उनकी पूजा की जाती है. इसके साथ ही पितरों की पूजा से पितर सुख-शांति-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. जिनकी कुंडली में पितृ दोष हो है, उनको अवश्य अर्पण-तर्पण करना चाहिए. श्राद्ध करने से हमारे पितृ तृप्त होते हैं. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के समय सूर्य कन्या राशि में स्थित होता है और सूर्य के कन्यागत होने से ही इन 16 दिनों को कनागत कहा जाता है.

श्राद्ध क्या है

पितरों के प्रति तर्पण यानी कि जलदान, पिंडदान पिंड के रूप में पितरों को समर्पित किया गया भोजन व दान इत्यादि ही श्राद्ध कहा जाता है. देव, ऋषि और पितृ ऋण के निवारण के लिए श्राद्ध कर्म सबसे आसान उपाय है.अपने पूर्वजों का स्मरण करने और उनके मार्ग पर चलने और सुख-शांति की कामना करने को ही श्राद्ध कर्म कहते हैं.

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