रायपुरः भाद्रपद शुक्ल पक्ष (Bhadrapada Shukla Paksha) की पूर्णिमा (Purnima)को श्राद्ध पूर्णिमा (Shraddha Purnima) भी कहा जाता है. इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है. इसके साथ ही भागवत सप्ताह (Bhagwat week)का भी समापन इसी दिन होता है. साथ ही गोत्री रात्र व्रत इसी दिन समाप्त होता है. इस बार पूर्णिमा 20 सितंबर (20 September)सोमवार सुबह 5:24 से प्रारंभ होकर 21 सितंबर सुबह 5:51 तक रहेगी .
प्रत्येक मास को मनाया जाता है पूर्णिमा
पूर्णिमा का त्यौहार प्रत्येक मास को मनाया जाता है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा प्रमुख रूप से दो कारणों से प्रमुख मानी जाती है.पहला भगवान श्री विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा की जाती है और दूसरा इसी दिन से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ माने जाते हैं. यही कारण है कि इस पूर्णिमा को श्राद्ध पूर्णिमा कहा जाता है.
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सत्यनारायण व्रत कथा सुनने का है विधान
भाद्रपद पूर्णिमा पूर्वाभाद्र नक्षत्र शूल योग और ववकरण योग में मनाई जाएगी. इस दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर सत्यनारायण भगवान की पूजा के बाद कथा सुननी चाहिए. कई लोग इस दिन निराहार व्रत करते हैं. इस दिन दान का एक अलग ही महत्व होता है. कहा जाता है कि चंद्रमा को इस दिन दुग्ध का दान किया जाता है और अनादि शंकर भगवान को दुग्ध सेअभिषेक किया जाता है.
इसी दिन से शुरू होती है श्राद्ध और पितृ पक्ष
इसी दिन से श्राद्ध पक्ष का भी प्रारंभ हो जाता है जो कि आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है. इस दिन आज ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देने का भी विधान है. कौवा को भोजन कराना पितृपक्ष में विशेष योग कारक माना गया है.इस दिन से पितरों को याद करते हुए दान आदि का कार्य प्रारंभ करना बहुत ही लाभदायक माना गया है.