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NATIONAL TOURISM DAY : छत्तीसगढ़ के वे पर्यटन स्थल जो हैं इसकी पहचान - chhattisgarh tourism

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर हम आपको छत्तीसगढ़ के पर्यटन से रूबरू कराएंगे, जिसने छत्तीसगढ़ को बाकि राज्यों से एक अलग पहचान दिलाई है.

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस
राष्ट्रीय पर्यटन दिवस
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Published : Jan 25, 2020, 1:01 PM IST

Updated : Jan 25, 2020, 7:16 PM IST

रायपुर: घने जंगलों में समाया छत्तीसगढ़ अपने पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यहां कल-कल बहती नदियां, मनोरम पहाड़ी और नदियां प्राकृतिक खूबसूरती की मिसाल पेश करती हैं. वहीं अनेकों मंदिर के कारण धर्म और आस्था ने लोगों को छत्तीसगढ़ से जोड़ रखा है. यहां विश्व प्रसिद्ध 'एशिया का नियाग्रा' है, जो पर्यटकों को तो खूब भाता है साथ ही किसानों के लिए जीवनदायक भी है. यहां भगवान राम के पद चिन्ह है तो लव-कुश की जन्म स्थली भी है. यहां के अबूझमाड़ जंगल ने बस्तर को पहचान दिलाई है, तो आदिवासियों ने बस्तर की संस्कृति को जिंदा रखा है. राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर हम आपको छत्तीसगढ़ के इन्हीं पर्यटन स्थलों से रूबरू करा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल

जंगल सफारी - राजधानी रायपुर में सरकार द्वारा कृत्रिम जंगल सफारी का निर्माण किया गया है. इसमें बियर सफारी भी है, जिसमें भालुओं को रखा गया है. इसके अलावा यहां बाघ, शेर और हिरण को देखा जा सकता है.

जंगल सफारी
जंगल सफारी

चंपारण - राजधानी रायपुर स्थित चंपारण को चंपाझर के नाम से भी जाना जाता है. यह वल्लभ संप्रदाय के सुधारक और संस्थापक संत वल्लभाचार्य का जन्म स्थान है. संत वल्लभाचार्य के सम्मान में यहां एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया गया है. वहीं चंपकेश्वर महादेव का मंदिर यहां का विशेष आकर्षण है.

चंपारण
चंपारण

मैनपाट- सरगुजा के अंबिकापुर में स्थित ये सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है. हरी-भरी वादियों और सुंदर दृश्यों से भरा मैनपाट घूमने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. यहां सालभर ठंड का मौसम होता है इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है. कोहरे से ढकी वादियां बरबस ही मन मोह लेती है और सुकून का अनुभव कराती हैं. मैनपाट को 'मिनी तिब्बत' के नाम से भी जाना जाता है. 1962 में यहां तिब्बतियों को शरणार्थियों के रूप में बसाया गया था.

मैनपाट
मैनपाट

अचानकमार टाइगर रिजर्व- बिलासपुर जिले में बसा अचानकमार, मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है. कहा जाता है कि यहां जाने का सबसे अच्छा वक्त नवंबर से जून तक होता है. साल 1975 में इस अभयारण की स्थापना हुई और साल 2009 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया. बंगाल टाइगर, तेंदुआ, चीतल, हिरण और नील गाय के साथ ही कई जानवरों की प्रजातियां देखने को मिलेंगी.

अचानकमार टाइगर रिजर्व
अचानकमार टाइगर रिजर्व

गंगरेल बांध- धमतरी जिले से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस बांध को रविशंकर जलाशय के नाम से भी जाना जाता है. इस बांध में 14 गेट हैं. बांध की असली सुंदरता तो बारिश के मौसम में ही देखने मिलती है. यहां माता अंगारमोती का मंदिर भी है, जहां माना जाता है कि भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यहां पर हजारों सैलानी बांध घूमने और माता के दर्शन को आते हैं.

गंगरेल बांध
गंगरेल बांध

चित्रकोट- बस्तर की पहचान कहे जाने वाले चित्रकोट को भारत का नियाग्रा कहा जाता है. बस्तर की जीवन रेखा कहे जाने वाली इंद्रावती नदी में बसे इस खूबसूरत जलप्रपात को देखने देश-विदेश से रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं. 95 फीट ऊंचे इस जलप्रपात का सुंदर नजारा देखने के लिए जुलाई से अक्टूबर तक का महीना सबसे सटीक होता है.

चित्रकोट
चित्रकोट

राजिम- महानदी, पैरी और सोंढुर नदी का संगम हो होने की वजह से यह जगह छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहलाता है. यहां होने वाले कुंभ मेले से लोगों की अपार आस्थाएं जुड़ी हुई हैं और राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है. यहां के प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर में भगवान विष्णु प्रतिष्ठित हैं. संगम के बीच में कुलेश्वर महादेव का विशाल मंदिर भी है.

सिरपुर- महासमुंद जिले में बसा सिरपुर पुरातात्विक अवशेषों से समृद्ध है. यहां के प्रसिद्द लक्ष्मणेश्वर मंदिर और गंधेश्वर मंदिर को देखने विदेशों से भी लोग आते हैं. इस ऐतिहासिक मंदिर के चारों तरफ आपको पुराने शिलालेख, भगवान की मुर्तियां और खुदाई से निकाले गए कई प्राचिन अवशेष देखने को मिलेंगे.

pictures of chhattisgarh tourism on world tourism day
सिरपुर

अंबिकापुर- सरगुजावासियों की आराध्य देवी महामाया की महिमा अपरंपार है, यहां आप अपनी मनोकामना लेकर जा सकते हैं. बिलासपुर की मां महामाया मंदिर के दर्शन कर भी आप नए साल की शुरुआत कर सकते हैं. दंतेवाड़ा के मां दंतेश्वरी मंदिर, धमतरी की बिलाईमाता मंदिर, राजनांदगांव के मां बम्लेश्वरी मंदिर, महासमुंद के मां चंडीदेवी मंदिर पहुंचकर नए साल की शुरुआत की जा सकती है.

रतनपुर मंदिर
रतनपुर मंदिर

भोरमदेव- भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है. यह मंदिर कबीरधाम जिले में स्थित है.पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा, नागर शैली में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. 7वी शताब्दी से 11वी शताब्दी में बने इस मंदिर को नागवंश के राजा रामचंद्र ने बनवाया था. इस पुरात्तविक धरोहर को देखने हर रोज हजारों की संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं.

भोरमदेव
भोरमदेव

रायपुर: घने जंगलों में समाया छत्तीसगढ़ अपने पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यहां कल-कल बहती नदियां, मनोरम पहाड़ी और नदियां प्राकृतिक खूबसूरती की मिसाल पेश करती हैं. वहीं अनेकों मंदिर के कारण धर्म और आस्था ने लोगों को छत्तीसगढ़ से जोड़ रखा है. यहां विश्व प्रसिद्ध 'एशिया का नियाग्रा' है, जो पर्यटकों को तो खूब भाता है साथ ही किसानों के लिए जीवनदायक भी है. यहां भगवान राम के पद चिन्ह है तो लव-कुश की जन्म स्थली भी है. यहां के अबूझमाड़ जंगल ने बस्तर को पहचान दिलाई है, तो आदिवासियों ने बस्तर की संस्कृति को जिंदा रखा है. राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर हम आपको छत्तीसगढ़ के इन्हीं पर्यटन स्थलों से रूबरू करा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल

जंगल सफारी - राजधानी रायपुर में सरकार द्वारा कृत्रिम जंगल सफारी का निर्माण किया गया है. इसमें बियर सफारी भी है, जिसमें भालुओं को रखा गया है. इसके अलावा यहां बाघ, शेर और हिरण को देखा जा सकता है.

जंगल सफारी
जंगल सफारी

चंपारण - राजधानी रायपुर स्थित चंपारण को चंपाझर के नाम से भी जाना जाता है. यह वल्लभ संप्रदाय के सुधारक और संस्थापक संत वल्लभाचार्य का जन्म स्थान है. संत वल्लभाचार्य के सम्मान में यहां एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया गया है. वहीं चंपकेश्वर महादेव का मंदिर यहां का विशेष आकर्षण है.

चंपारण
चंपारण

मैनपाट- सरगुजा के अंबिकापुर में स्थित ये सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है. हरी-भरी वादियों और सुंदर दृश्यों से भरा मैनपाट घूमने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. यहां सालभर ठंड का मौसम होता है इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है. कोहरे से ढकी वादियां बरबस ही मन मोह लेती है और सुकून का अनुभव कराती हैं. मैनपाट को 'मिनी तिब्बत' के नाम से भी जाना जाता है. 1962 में यहां तिब्बतियों को शरणार्थियों के रूप में बसाया गया था.

मैनपाट
मैनपाट

अचानकमार टाइगर रिजर्व- बिलासपुर जिले में बसा अचानकमार, मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है. कहा जाता है कि यहां जाने का सबसे अच्छा वक्त नवंबर से जून तक होता है. साल 1975 में इस अभयारण की स्थापना हुई और साल 2009 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया. बंगाल टाइगर, तेंदुआ, चीतल, हिरण और नील गाय के साथ ही कई जानवरों की प्रजातियां देखने को मिलेंगी.

अचानकमार टाइगर रिजर्व
अचानकमार टाइगर रिजर्व

गंगरेल बांध- धमतरी जिले से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस बांध को रविशंकर जलाशय के नाम से भी जाना जाता है. इस बांध में 14 गेट हैं. बांध की असली सुंदरता तो बारिश के मौसम में ही देखने मिलती है. यहां माता अंगारमोती का मंदिर भी है, जहां माना जाता है कि भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यहां पर हजारों सैलानी बांध घूमने और माता के दर्शन को आते हैं.

गंगरेल बांध
गंगरेल बांध

चित्रकोट- बस्तर की पहचान कहे जाने वाले चित्रकोट को भारत का नियाग्रा कहा जाता है. बस्तर की जीवन रेखा कहे जाने वाली इंद्रावती नदी में बसे इस खूबसूरत जलप्रपात को देखने देश-विदेश से रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं. 95 फीट ऊंचे इस जलप्रपात का सुंदर नजारा देखने के लिए जुलाई से अक्टूबर तक का महीना सबसे सटीक होता है.

चित्रकोट
चित्रकोट

राजिम- महानदी, पैरी और सोंढुर नदी का संगम हो होने की वजह से यह जगह छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहलाता है. यहां होने वाले कुंभ मेले से लोगों की अपार आस्थाएं जुड़ी हुई हैं और राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है. यहां के प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर में भगवान विष्णु प्रतिष्ठित हैं. संगम के बीच में कुलेश्वर महादेव का विशाल मंदिर भी है.

सिरपुर- महासमुंद जिले में बसा सिरपुर पुरातात्विक अवशेषों से समृद्ध है. यहां के प्रसिद्द लक्ष्मणेश्वर मंदिर और गंधेश्वर मंदिर को देखने विदेशों से भी लोग आते हैं. इस ऐतिहासिक मंदिर के चारों तरफ आपको पुराने शिलालेख, भगवान की मुर्तियां और खुदाई से निकाले गए कई प्राचिन अवशेष देखने को मिलेंगे.

pictures of chhattisgarh tourism on world tourism day
सिरपुर

अंबिकापुर- सरगुजावासियों की आराध्य देवी महामाया की महिमा अपरंपार है, यहां आप अपनी मनोकामना लेकर जा सकते हैं. बिलासपुर की मां महामाया मंदिर के दर्शन कर भी आप नए साल की शुरुआत कर सकते हैं. दंतेवाड़ा के मां दंतेश्वरी मंदिर, धमतरी की बिलाईमाता मंदिर, राजनांदगांव के मां बम्लेश्वरी मंदिर, महासमुंद के मां चंडीदेवी मंदिर पहुंचकर नए साल की शुरुआत की जा सकती है.

रतनपुर मंदिर
रतनपुर मंदिर

भोरमदेव- भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है. यह मंदिर कबीरधाम जिले में स्थित है.पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा, नागर शैली में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. 7वी शताब्दी से 11वी शताब्दी में बने इस मंदिर को नागवंश के राजा रामचंद्र ने बनवाया था. इस पुरात्तविक धरोहर को देखने हर रोज हजारों की संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं.

भोरमदेव
भोरमदेव
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Last Updated : Jan 25, 2020, 7:16 PM IST
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