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बूढ़ा तालाब धरना स्थल में अव्यवस्था के कारण परेशान हो रहे प्रदर्शनकारी

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Published : Dec 29, 2020, 10:14 PM IST

रायपुर के बूढ़ा तलाब के पास धरना स्थल बनाया गया है. राजधानी में आए दिन मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन होते हैं, लेकिन सरकार के बनाए धरना स्थल पर भारी अव्यवस्था है. जिसके कारण यहां आने वाले लोग परेशान हो रहे हैं. रायपुर का पूरा कचरा भी निष्पादन के लिए पास के ग्राउंड में लाया जाता है. जो परेशानी मुख्य कारण बन रहा है.

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अव्यवस्था के कारण परेशान हो रहे प्रदर्शनकारी

रायपुर: लोकतंत्र में अपनी मांगों के लिए विरोध करने का अधिकार संविधान ने दिया है. राजधानी में प्रदर्शन के लिए बूढ़ा तालाब के पास धरना स्थल बनाया गया है. यहां हजारों की संख्या में लोग आंदोलन धरना प्रदर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन जो सुविधाएं उन्हें मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है. शौचालय और पेयजल की व्यवस्था ना होने के साथ ही यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में धरना प्रदर्शन करने आ रहे लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है. साथ ही धरना स्थल के बगल में कचरा निष्पादन के लिए शहर भर का कचरा कलेक्ट किया जाता है, जिससे धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों का बैठना तक दूभर हो गया है.

धरना स्थल के लिए धरना-प्रदर्शन

धरना स्थल के बगल में कचरा निष्पादन

बूढ़ा तालाब के पास धरना स्थल बनाया गया है, लेकिन पिछले कुछ सालों से रामकी कंपनी शहर का कचरा एकत्र कर ट्रेनिंग ग्राउंड भेज रही है. ऐसे में सैकड़ों कचरा गाड़ियां धरना स्थल में ही खड़े रहती है. प्रदर्शनकारी असहनीय दुर्गंध से बेहद परेशान होते हैं. प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है. उन्हें बीमारी का खतरा बना रहता है.

पढ़ें: कोरोना और किसान आंदोलन ने छीन ली हैंडलूम एक्सपो की रौनक

पेयजल और शौचालय की व्यवस्था भी नहीं

हजारों की संख्या में पहुंचने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए धरना स्थल पर पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है. आंदोलन और प्रदर्शनों में पहुंचने वाले लोग पानी के लिए परेशान होते हैं. सार्वजनिक शौचालय बनकर तैयार है, लेकिन इसका संचालन नहीं हो रहा है. शौचालय में ताला लगा रहता है. प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है.

मुख्यमंत्री से सफाई की मांग

प्रदर्शन करने पहुंचे लोगों ने कहा कि लंबे समय से वे यहां आंदोलन कर रहे हैं. लोकतंत्र में अपना विरोध दर्ज करने का अधिकार सबको है. लेकिन यहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती जिसके चलते प्रदर्शनकारी परेशान होते हैं. मुख्यमंत्री और महापौर से लोगों ने मांग की है कि धरना स्थल पर बेहतर व्यवस्था की जाए और कचरा एकत्र करने के स्थान को परिवर्तित किया जाए.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ के इमरान को वो अवार्ड मिला जो देश में सिर्फ एक मत्स्य कृषक को मिलता है

सरकार पर साधा निशाना

पूर्व विधायक वीरेंद्र पाण्डेय ने कहा कि प्रजातन्त्र में असहमति और विरोध प्रजातंत्र को मजबूत करता है. इसलिए सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह एक स्थान बनाए जहां मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए. पिछली सरकार और इस सरकार की यहीं मंशा रही है कि किसी प्रकार का विरोध के स्वर न उठे. इसलिए किसी भी धरना प्रदर्शन के पहले सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है. अनुमति देने में भी कई चक्कर काटने पड़ते हैं. सरकार ऐसी परिस्थितियां निर्मित करती है कि लोग वहां ना पहुंचे.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ी में पुराण, उपनिषद आप इनकी वजह से पढ़ रहे हैं

महापौर ने झाड़ा पल्ला

धरना स्थल पर अव्यवस्था को लेकर ETV भारत ने महापौर से बात कि बेहतर व्यवस्था करने की बजाय महापौर एजाज ढेबर अपनी दलील देते नजर आए. मेयर ने कहा, शहर इतना बड़ा है की एक स्थान को यदि दूसरे स्थान ले जाने की बात कि जाए तो परेशानियां खत्म नहीं होंगी. थोड़ी बहुत परेशानी हर जगह होती है. आने वाले दिनों में अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था होगी तो पहल की जाएगी.

महापौर का कहना था कि ज्यादा देर तक निष्पादन का कार्य नहीं किया जाता. दो-तीन घंटों में कचरा एकत्र कर ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा जाता है. ज्यादा बड़ा कोई इश्यू नहीं है. भविष्य में अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था मिलेगी उसे ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

रायपुर: लोकतंत्र में अपनी मांगों के लिए विरोध करने का अधिकार संविधान ने दिया है. राजधानी में प्रदर्शन के लिए बूढ़ा तालाब के पास धरना स्थल बनाया गया है. यहां हजारों की संख्या में लोग आंदोलन धरना प्रदर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन जो सुविधाएं उन्हें मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है. शौचालय और पेयजल की व्यवस्था ना होने के साथ ही यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में धरना प्रदर्शन करने आ रहे लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है. साथ ही धरना स्थल के बगल में कचरा निष्पादन के लिए शहर भर का कचरा कलेक्ट किया जाता है, जिससे धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों का बैठना तक दूभर हो गया है.

धरना स्थल के लिए धरना-प्रदर्शन

धरना स्थल के बगल में कचरा निष्पादन

बूढ़ा तालाब के पास धरना स्थल बनाया गया है, लेकिन पिछले कुछ सालों से रामकी कंपनी शहर का कचरा एकत्र कर ट्रेनिंग ग्राउंड भेज रही है. ऐसे में सैकड़ों कचरा गाड़ियां धरना स्थल में ही खड़े रहती है. प्रदर्शनकारी असहनीय दुर्गंध से बेहद परेशान होते हैं. प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है. उन्हें बीमारी का खतरा बना रहता है.

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पेयजल और शौचालय की व्यवस्था भी नहीं

हजारों की संख्या में पहुंचने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए धरना स्थल पर पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है. आंदोलन और प्रदर्शनों में पहुंचने वाले लोग पानी के लिए परेशान होते हैं. सार्वजनिक शौचालय बनकर तैयार है, लेकिन इसका संचालन नहीं हो रहा है. शौचालय में ताला लगा रहता है. प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है.

मुख्यमंत्री से सफाई की मांग

प्रदर्शन करने पहुंचे लोगों ने कहा कि लंबे समय से वे यहां आंदोलन कर रहे हैं. लोकतंत्र में अपना विरोध दर्ज करने का अधिकार सबको है. लेकिन यहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती जिसके चलते प्रदर्शनकारी परेशान होते हैं. मुख्यमंत्री और महापौर से लोगों ने मांग की है कि धरना स्थल पर बेहतर व्यवस्था की जाए और कचरा एकत्र करने के स्थान को परिवर्तित किया जाए.

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सरकार पर साधा निशाना

पूर्व विधायक वीरेंद्र पाण्डेय ने कहा कि प्रजातन्त्र में असहमति और विरोध प्रजातंत्र को मजबूत करता है. इसलिए सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह एक स्थान बनाए जहां मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए. पिछली सरकार और इस सरकार की यहीं मंशा रही है कि किसी प्रकार का विरोध के स्वर न उठे. इसलिए किसी भी धरना प्रदर्शन के पहले सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है. अनुमति देने में भी कई चक्कर काटने पड़ते हैं. सरकार ऐसी परिस्थितियां निर्मित करती है कि लोग वहां ना पहुंचे.

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महापौर ने झाड़ा पल्ला

धरना स्थल पर अव्यवस्था को लेकर ETV भारत ने महापौर से बात कि बेहतर व्यवस्था करने की बजाय महापौर एजाज ढेबर अपनी दलील देते नजर आए. मेयर ने कहा, शहर इतना बड़ा है की एक स्थान को यदि दूसरे स्थान ले जाने की बात कि जाए तो परेशानियां खत्म नहीं होंगी. थोड़ी बहुत परेशानी हर जगह होती है. आने वाले दिनों में अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था होगी तो पहल की जाएगी.

महापौर का कहना था कि ज्यादा देर तक निष्पादन का कार्य नहीं किया जाता. दो-तीन घंटों में कचरा एकत्र कर ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा जाता है. ज्यादा बड़ा कोई इश्यू नहीं है. भविष्य में अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था मिलेगी उसे ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

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