रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने फिर से केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है. पिछले 5 महीने से संसद सत्र न बुलाए जाने को लेकर उन्होंने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा इतनी बड़ी वैश्विक मानवीय त्रासदी के दौरान देश की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था और सबसे बड़े राजनीतिक मंच संसद को भूमिकाहीन बना दिया गया है.
विकास उपाध्याय ने कहा कोरोना काल में भारत की संसद 24 मार्च से आज परियंत तक पूरी तरह से निष्क्रिय रही है. सत्र के दौरान 23 बैठकों में कुल 109 घंटे और 23 मिनट कामकाज हुआ था, लेकिन इस दौरान दोनों सदनों में कोरोना संकट पर कोई चर्चा नहीं हुई. जबकि कोरोना संक्रमण जनवरी महीने में ही भारत में दस्तक दे चुका था. बावजूद 3 अप्रैल तक चलने वाले सत्र को समय से 10 दिन पहले ही कोरोना संकट के नाम पर समापन कर दिया गया. मतलब साफ था कि मोदी सरकार कोरोना को लेकर शुरू से ही गंभीर नहीं थी.
संसदीय समिति की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए क्यों नहीं हो सकती ?
विकास उपाध्याय ने कहा संसद के प्रति प्रधानमंत्री की उदासीनता के कारण संसदीय समितियों की बैठक तक नहीं हो रही है. विकास ने सवाल किया कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकें की है. मोदी की पहल पर ही सार्क के सदस्य देशों के प्रमुखों की वर्चुअल मीटिंग हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई कर रहे हैं. देश के कैबिनेट सचिव अक्सर राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग करते ही हैं, तो फिर संसदीय समिति की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए क्यों नहीं हो सकती.
20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का बिना सुझाव के किया एलान: विकास उपाध्याय
विकास उपाध्याय ने कहा यह स्थिति तब है जब प्रधानमंत्री जीवन के हर क्षेत्र में ऐप डाउनलोड करवाने से लेकर तकनीक के अधिक से अधिक इस्तेमाल का आग्रह करते थकते नहीं हैं. कुल मिलाकर पिछले 5 महीने से देश में जो कुछ हो रहा है, उसका फ़ैसला सिर्फ़ और सिर्फ़ सरकार और नौकरशाह कर रहे हैं, जो किसी आपात काल से कम नहीं है. इसका ताजा उदाहरण 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज और नए आर्थिक सुधार लागू करने को प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने एलान तो कर दिया, लेकिन संसद की मंज़ूरी लेना जरूरी नहीं समझा. ऐसे और भी कई उदाहरण देखने मिला है, जिसमें महामारी के आड़ में मनमानी नजर आती है.
लोकतंत्र के दरवाजे ही बंद कर दिए गए: विकास उपाध्याय
विकास उपाध्याय ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह कोरोना के आड़ में घोर मनमानी कर रही है. जबकि कोरोना महामारी के दौरान सरकार को ज़्यादा जवाबदेह होना चाहिए था. उससे ज़्यादा सवाल पूछे जाने चाहिए थे. संसद में ज़्यादा विमर्श होना चाहिए था, लेकिन संसद ही नहीं चल रही है. ऐसा कर लोकतंत्र के दरवाजे ही बंद कर दिए गए हैं. इसका जवाब तो मोदी को आज नहीं तो कल देना ही पड़ेगा.