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बलरामपुर में एनीमिया विकराल, झाड़-फूंक के चक्कर में जान गंवा रहे हैं पंडो

बलरामपुर जिले में पंडो जनजाति के लोगों की लगातार मौत रही है. बताया जा रहा है कि इस जिले में एनीमिया ने विकराल रूप अख्तियार कर लिया है. खून की कमी और झाड़-फूंक से इलाज कराने के कारण अधिकांश लोगों की मौत यहां हो रही है.

Balrampur Ramanujganj
बलरामपुर रामानुजगंज
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Published : Sep 29, 2021, 11:29 AM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में पंडो जनजाति (Pando Tribe) के लोगों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. आलम यह है कि सूबे के बलरामपुर जिले में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है. जानकारी के अनुसार इस जिले में एनीमिया की समस्या (Anemia Problem) भयावह बनी हुई है. चालू सितंबर महीने की ही बात करें तो अब तक दर्जनों लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. सबसे भयावह नजारा यह है कि एक महीने में लगातार एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई है. इससे एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग (Health Department) पर सवालिया निशान लह रहा है, वहीं भाजपा राज्य सरकार पर हावी हो रही है. अब तक की हुई अधिकांश मौतों में मृतकों को मौत से पहले सही उपचार नहीं मिलना ही कारण रहा है. आर्थिक तंगी और समय पर समुचित इलाज नहीं मिल पाने के कारण पंडो जनजाति के लोग झाड़-फूंक से इलाज कराने लगते हैं, जिससे उनकी तबीयत और खराब हो जाती है.

अस्पताल अधीक्षक ने हार्ट अटैक से मौत की जताई आशंका

इधर, बलरामपुर में लगातार हो रही पंडो जनजाति के लोगों की मौत के मामले में बलरापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि एक पंडो युवक को अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. युवक को हाई बीपी व ब्रीदिंग डिफिकल्टी थी. सम्भवतः हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत हुई है.

बलरामपुर में एनीमिया की समस्या है विकराल

बलरामपुर रामानुजगंज जिले के रामचंद्रपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत विमलापुर निवासी मनकुरी पंडो पति फजीहत पंडो (41 वर्ष) की मौत भी इलाज के दौरान हो गई थी. उसके शरीर में भी महज 8 ग्राम खून बचा था. आर्थिक तंगी के कारण वह अंधविश्वास में पड़कर झाड़-फूंक से ही इलाज करा रही थी.

इधर, भैयाथान सूरजपुर निवासी धीरण पंडो (50 वर्ष) की मौत भी इलाज के दौरान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो गई थी. उल्टी-दस्त की समस्या होने पर उसे भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

बलरामपुर रामानुजगंज जिले के रामचंद्रपुर ब्लॉक के ग्राम गाजर बाजारपारा की 4 साल की मासूम बीना पंडो पिता धनेश्वर पंडो को तो बुखार हुआ था. पहले तो परिजनों ने उसका इलाज झोला छाप डॉक्टर से कराया. इसके बाद उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ती चली गई. उसे भी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसने भी दम तोड़ दिया.

लगातार हो रही मौत पर कलेक्टर पर गिरी थी गाज

उधर, बलरामपुर के कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल को सरकार ने हटा दिया. बताया जा रहा है कि पंडो जनजाति के सदस्यों की मौत के मामले में यह कार्रवाई की गई है. जबकि कुंदन कुमार को बलरामपुर और रामानुजगंज का कलेक्टर बनाया गया है.

विपक्ष हुआ हमलावर

पंडो जनजाति के लोगों की मौत के मामले को लेकर प्रदेश में सियासत चरम पर है. मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि विपक्ष की जांच लगातार जारी है. हमारे नेता लगातार वहां दौरा कर रहे हैं. आखिर वहां मौतें क्यों हो रही हैं? रिपोर्ट का आशय रिपोर्ट नहीं है, बस मृत्यु पर लगाम लगनी चाहिए. पंडो जनजाति के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए. इसलिए सरकार रिपोर्ट की नौटंकी बंद करे, ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ में पंडो जनजाति (Pando Tribe) के लोगों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. आलम यह है कि सूबे के बलरामपुर जिले में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है. जानकारी के अनुसार इस जिले में एनीमिया की समस्या (Anemia Problem) भयावह बनी हुई है. चालू सितंबर महीने की ही बात करें तो अब तक दर्जनों लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. सबसे भयावह नजारा यह है कि एक महीने में लगातार एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई है. इससे एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग (Health Department) पर सवालिया निशान लह रहा है, वहीं भाजपा राज्य सरकार पर हावी हो रही है. अब तक की हुई अधिकांश मौतों में मृतकों को मौत से पहले सही उपचार नहीं मिलना ही कारण रहा है. आर्थिक तंगी और समय पर समुचित इलाज नहीं मिल पाने के कारण पंडो जनजाति के लोग झाड़-फूंक से इलाज कराने लगते हैं, जिससे उनकी तबीयत और खराब हो जाती है.

अस्पताल अधीक्षक ने हार्ट अटैक से मौत की जताई आशंका

इधर, बलरामपुर में लगातार हो रही पंडो जनजाति के लोगों की मौत के मामले में बलरापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि एक पंडो युवक को अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. युवक को हाई बीपी व ब्रीदिंग डिफिकल्टी थी. सम्भवतः हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत हुई है.

बलरामपुर में एनीमिया की समस्या है विकराल

बलरामपुर रामानुजगंज जिले के रामचंद्रपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत विमलापुर निवासी मनकुरी पंडो पति फजीहत पंडो (41 वर्ष) की मौत भी इलाज के दौरान हो गई थी. उसके शरीर में भी महज 8 ग्राम खून बचा था. आर्थिक तंगी के कारण वह अंधविश्वास में पड़कर झाड़-फूंक से ही इलाज करा रही थी.

इधर, भैयाथान सूरजपुर निवासी धीरण पंडो (50 वर्ष) की मौत भी इलाज के दौरान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो गई थी. उल्टी-दस्त की समस्या होने पर उसे भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

बलरामपुर रामानुजगंज जिले के रामचंद्रपुर ब्लॉक के ग्राम गाजर बाजारपारा की 4 साल की मासूम बीना पंडो पिता धनेश्वर पंडो को तो बुखार हुआ था. पहले तो परिजनों ने उसका इलाज झोला छाप डॉक्टर से कराया. इसके बाद उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ती चली गई. उसे भी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसने भी दम तोड़ दिया.

लगातार हो रही मौत पर कलेक्टर पर गिरी थी गाज

उधर, बलरामपुर के कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल को सरकार ने हटा दिया. बताया जा रहा है कि पंडो जनजाति के सदस्यों की मौत के मामले में यह कार्रवाई की गई है. जबकि कुंदन कुमार को बलरामपुर और रामानुजगंज का कलेक्टर बनाया गया है.

विपक्ष हुआ हमलावर

पंडो जनजाति के लोगों की मौत के मामले को लेकर प्रदेश में सियासत चरम पर है. मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि विपक्ष की जांच लगातार जारी है. हमारे नेता लगातार वहां दौरा कर रहे हैं. आखिर वहां मौतें क्यों हो रही हैं? रिपोर्ट का आशय रिपोर्ट नहीं है, बस मृत्यु पर लगाम लगनी चाहिए. पंडो जनजाति के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए. इसलिए सरकार रिपोर्ट की नौटंकी बंद करे, ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

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