रायपुर: पहले फायर ब्रिगेड नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका के अंतर्गत था, लेकिन सरकार ने इसे अब गृह विभाग से जोड़ दिया है. गृह विभाग से जोड़ने के बाद फायर ब्रिगेड में उपकरणों के हालात तो बदले, लेकिन फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों के हालात अब भी वहीं है. हालांकि, कुछ मामलों में उनके लिए अत्याधुनिक सुरक्षा जैकेट, उपकरण तो दिये गए हैं, लेकिन विभाग में कर्मचारियों की कमी के साथ जीवन बीमा जैसी मूलभूत जरूरतों की उन्हें अब भी दरकार है.
न भत्ता मिलता है न बीमा
रायपुर में फायर फाइटर के एक कर्मचारी ने बातचीत के दौरान बताया कि वे अपनी जान जोखिम में डालकर आग से लोगों को बचाते हैं उनकी जान-माल की रक्षा करते हैं, लेकिन वे खुद असुरक्षित हैं क्योंकि न तो इनको शासन-प्रशासन की ओर से स्पेशल भत्ता दिया जाता है और न ही इन लोगों का इंश्योरेंस किया गया है. जिसकी वजह से अगर कभी इनके साथ कोई अनहोनी होती है तो इन्हें उचित मुआवजा तक नहीं मिल पाता है.
तंग गलियों में देरी पर मिलता है नोटिस
फायर फाइटर का दर्द यहीं खत्म नहीं होता है. यदि किसी कारण ये मौके पर देरी से पहुंचते हैं तो इन्हें विभाग की ओर से नोटिस भी जारी कर दिया जाता है, या यूं कहें कि समय पर आग बुझाने पर इन्हें पुरस्कृत भले न किया जाए थेड़ी देरी होने पर इन्हें नोटिस जरुर दे दिया जाता है.
इंश्योरेंस का आश्वासन मिला है
बीमा के मामले में फायर ब्रिगेड के अधीक्षक मोहिद्दीन अशरफी बताते हैं, उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों से इस मसले पर चर्चा की है और इंश्योरेंस का प्रस्ताव भेजा है, हालांकि अब तक इस प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया गया है, लेकिन बड़े अधिकारियों ने इसके लिए आश्वासन जरुर दिया है.
घटना कंफर्म करने में होती है देरी
अशरफी बताते हैं कई बार 112 से जो जानकारी आती है उसे कंफर्म करने के लिए विभाग से कॉल करने वाले से संपर्क किया जाता है. कई बार उससे संपर्क न होने की वजह से भी देरी हो जाती है. साथ ही तंग गलियों और यातायात भी अग्नि दुर्घटना के बाद मौके पर पहुंचने में देरी का सबसे बड़ा कारण है, जो आम लोग समझ नहीं पाते हैं.