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SPECIAL : धान खरीदी और तस्करों का जाल, बॉर्डर पर तस्करी का खुला खेल

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की शुरुआत होते ही धान तस्करी करने वाले गिरोह भी सक्रिय हो गए हैं. ओडिशा, झारखंड, मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश बॉर्डर से भी रात के अंधेरे में धान की तस्करी का खुला खेल शुरू हो गया है.

Paddy smuggling gangs are active in the Chhattisgarh Odisha border
धान खरीदी पर तस्करों का जाल
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Published : Dec 4, 2020, 10:10 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरु हो गई है. छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में इतने आकर्षक दामों पर धान खरीदी नहीं होती है, इसलिए धान तस्करी धड़ल्ले से होती है. धान कैसे आएगा? पेमेंट कैसे होगा? सब कुछ पहले से तय होता है, क्योंकि यह खेल बरसों बरस से चल रहा है.

धान तस्करी का जाल

इन इलाकों से होती है धान तस्करी

छत्तीसगढ़ में रामानुजगंज, सरगुजा, मुंगेली, रायगढ़, बलरामपुर, महासमुंद धान तस्करी के बड़े केंद्र हैं. ओडिशा से आने वाले धान की खपत महासमुंद से गरियाबंद और बस्तर के कुछ इलाकों में भी होती है. बिहार और उत्तरप्रदेश से आने वाला धान सरगुजा के रास्ते से छत्तीसगढ़ में आता है. महाराष्ट्र से आने वाला धान राजनांदगांव के अंदरूनी जंगलों से और मध्यप्रदेश से आने वाले धान की सप्लाई कवर्धा और अनूपपुर से होती है.

Paddy smuggling gangs are active in the Chhattisgarh Odisha border
धान

हर साल होती है धान तस्करी

प्रदेश राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल के मुताबिक हर साल दूसरे राज्यों के धान को छत्तीसगढ़ में खपाने के लिए कोशिश की जाती है. बीते सालों में की गई सख्ती की वजह से 90 फीसदी तक धान की तस्करी रुकी है. लेकिन धान का समर्थन मूल्य ज्यादा होने की वजह से पड़ोसी राज्यों से अब भी बड़े पैमाने पर धान की तस्करी होती है.

मिलीभगत का खेल

ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी सुखदेव सिंह सिद्धू के मुताबिक पड़ोसी राज्यों से मालवाहक गाड़ियों में धान की तस्करी की जाती है. गांव- गांव में कोचिए और सरकारी सिस्टम के लोगों की मिलीभगत से यह तस्करी की जाती है. इसके लिए भले ही पेट्रोलिंग और चौकियां बना दी जाएं, लेकिन जबतक सरकारी तंत्र इनकी मदद नहीं करेगा. यह तस्करी रुक नहीं पाएगी.

जंगल के रास्ते तस्करी

अवैध धान की तस्करी को लेकर राज्य सरकार ने पेट्रोलिंग और चौकियां लगाई हैं. तस्करों ने इससे निपटने के लिए जंगल का रास्ता अख्तियार कर लिया है. जंगल के रास्तों से धान की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है. दिन में पेट्रोलिंग और चौकियों में सरकारी तंत्र के अधिकारी डेरा डाले रहते हैं. ऐसे में धान तस्कर देर रात ही तस्करी को अंजाम देते हैं. इसके लिए बिचौलिए दोपहर से ही बॉर्डर में डेरा डाले रखते हैं. धान खरीदने और फिर बाहर निकालने का काम बिचौलियों का ही होता है.

साल 2019 के धान तस्करी के आंकड़े

जिला जब्त धान
बस्तर 4703 क्विंटल
बीजापुर 774 क्विंटल
दंतेवाड़ा 658 क्विंटल
कांकेर 1614 क्विंटल
बिलासपुर1824 क्विंटल
जांजगीर 16 हजार 637 क्विंटल
मुंगेली 690 क्विंटल
बेमेतरा3540 क्विंटल
कवर्धा 9668 क्विंटल

साल 2019 के धान तस्करी के आंकड़े

जिला जब्त धान
राजनांदगांव 6317 क्विंटल
गरियाबंद 7480 क्विंटल
बलरामपुर 2394 क्विंटल
सरगुजा3466 क्विंटल

रायपुर : छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरु हो गई है. छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में इतने आकर्षक दामों पर धान खरीदी नहीं होती है, इसलिए धान तस्करी धड़ल्ले से होती है. धान कैसे आएगा? पेमेंट कैसे होगा? सब कुछ पहले से तय होता है, क्योंकि यह खेल बरसों बरस से चल रहा है.

धान तस्करी का जाल

इन इलाकों से होती है धान तस्करी

छत्तीसगढ़ में रामानुजगंज, सरगुजा, मुंगेली, रायगढ़, बलरामपुर, महासमुंद धान तस्करी के बड़े केंद्र हैं. ओडिशा से आने वाले धान की खपत महासमुंद से गरियाबंद और बस्तर के कुछ इलाकों में भी होती है. बिहार और उत्तरप्रदेश से आने वाला धान सरगुजा के रास्ते से छत्तीसगढ़ में आता है. महाराष्ट्र से आने वाला धान राजनांदगांव के अंदरूनी जंगलों से और मध्यप्रदेश से आने वाले धान की सप्लाई कवर्धा और अनूपपुर से होती है.

Paddy smuggling gangs are active in the Chhattisgarh Odisha border
धान

हर साल होती है धान तस्करी

प्रदेश राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल के मुताबिक हर साल दूसरे राज्यों के धान को छत्तीसगढ़ में खपाने के लिए कोशिश की जाती है. बीते सालों में की गई सख्ती की वजह से 90 फीसदी तक धान की तस्करी रुकी है. लेकिन धान का समर्थन मूल्य ज्यादा होने की वजह से पड़ोसी राज्यों से अब भी बड़े पैमाने पर धान की तस्करी होती है.

मिलीभगत का खेल

ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी सुखदेव सिंह सिद्धू के मुताबिक पड़ोसी राज्यों से मालवाहक गाड़ियों में धान की तस्करी की जाती है. गांव- गांव में कोचिए और सरकारी सिस्टम के लोगों की मिलीभगत से यह तस्करी की जाती है. इसके लिए भले ही पेट्रोलिंग और चौकियां बना दी जाएं, लेकिन जबतक सरकारी तंत्र इनकी मदद नहीं करेगा. यह तस्करी रुक नहीं पाएगी.

जंगल के रास्ते तस्करी

अवैध धान की तस्करी को लेकर राज्य सरकार ने पेट्रोलिंग और चौकियां लगाई हैं. तस्करों ने इससे निपटने के लिए जंगल का रास्ता अख्तियार कर लिया है. जंगल के रास्तों से धान की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है. दिन में पेट्रोलिंग और चौकियों में सरकारी तंत्र के अधिकारी डेरा डाले रहते हैं. ऐसे में धान तस्कर देर रात ही तस्करी को अंजाम देते हैं. इसके लिए बिचौलिए दोपहर से ही बॉर्डर में डेरा डाले रखते हैं. धान खरीदने और फिर बाहर निकालने का काम बिचौलियों का ही होता है.

साल 2019 के धान तस्करी के आंकड़े

जिला जब्त धान
बस्तर 4703 क्विंटल
बीजापुर 774 क्विंटल
दंतेवाड़ा 658 क्विंटल
कांकेर 1614 क्विंटल
बिलासपुर1824 क्विंटल
जांजगीर 16 हजार 637 क्विंटल
मुंगेली 690 क्विंटल
बेमेतरा3540 क्विंटल
कवर्धा 9668 क्विंटल

साल 2019 के धान तस्करी के आंकड़े

जिला जब्त धान
राजनांदगांव 6317 क्विंटल
गरियाबंद 7480 क्विंटल
बलरामपुर 2394 क्विंटल
सरगुजा3466 क्विंटल
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