रायपुर : एक तरफ सरकार का वादा, तो दूसरी तरफ लाचार अन्नदाता. छत्तीसगढ़ में आज से शुरू हो रही धान खरीदी ने किसानों को रोने के लिए मजबूर कर दिया. कांग्रेस ने वादा किया कि किसानों से धान 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा. अन्नादाता खुश था लेकिन केंद्र सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई. केंद्र सरकार ने शर्त रख दी है कि उसकी ओर से तय किए गए मूल्य से अधिक में धान की खरीदी की गई, तो बोनस की राशि नहीं दी जाएगी. बस यहीं से शुरू हुई खींचतान. दूसरी ओर प्रदेश में लेट से मानसून आने और कई जिलों में सूखे को देखते हुए सरकार को धान खरीदी की तारीख 15 नवंबर से बढ़ाकर 1 दिसंबर करनी पड़ी.
एक तरफ 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी पर असहमति का मसला था ही. दूसरी तरफ धान खरीदी की बढ़ी तारीख ने विपक्ष को बैठे-बिठाए राजनीति और सियासत करने के लिए मसाला दे दिया. सब अपनी-अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे थे , लेकिन किसान को खा रही उसकी फसल की चिंता.
सरकार के आदेश पर किसानों ने बिगुल फूंका
इधर, केंद्र सरकार के साथ खींचतान चल रही थी उधर राज्य के प्रशासनिक मुखिया ने धान संग्रहण करने वाले व्यापारी और कोचियों पर शक के साथ-साथ दूसरे राज्यों से धान खपाने वाले बिचौलियों पर सख्ती बरतना शुरू कर दिया. नतीजा ये निकला कि कई टन धान जब्त किया जाने लगा. एक तरफ जहां प्रशासन ने दावा किया कि इससे भ्रष्टाचार रुकेगा. सरकार के इस आदेश के खिलाफ किसानों ने बिगुल फूंक दिया. जगह-जगह जमकर प्रदर्शन हुए. वहीं प्रदेश में ऐसी कई तस्वीर भी सामने आईं जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया. किसानों ने रोते हुए कहा कि उनका एक किलो धान भी कोई नहीं खरीद रहा है. ऐसे में वे कैसे अपनी रोजी रोटी चलाएंगे. कैसे गुजारा करेंगे.
किसान संघों ने दी धमकी
किसानों ने कहा कि खाद, बीज का दाम इतना ज्यादा है अगर सरकार वादे के मुताबिक दाम नहीं देती है तो ये उनके साथ धोखा है. किसान संघों ने तो धमकी तक दी है कि अगर सरकार वादा नहीं निभाती, तो इसका खामियाजा नगरीय निकाय चुनाव में उठाना पड़ेगा.
मामले में केंद्र सरकार मान नहीं रही और राज्य सरकार विकल्प तलाश रही है. धान खरीदी शुरू हो रही है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि अन्नदाता के साथ इंसाफ हो.