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रायपुर में महंगा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर, डिमांड 20 गुना हुई

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Published : Apr 16, 2021, 10:54 PM IST

कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. जैसे-जैसे मरीज बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे अस्पतालों की खराब हालत और बदइंतजामी की खबरें सुर्खियां बन रही हैं. कोरोना के बढ़ते मरीजों के बीच छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड बढ़ गई है. जितनी जरूरत है, उसके हिसाब से सप्लाई नहीं हो पा रही है. राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम भी बढ़ गए हैं.

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छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी

रायपुर: देश में कोरोना से बुरा हाल है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों खासकर राजधानी रायपुर और दुर्ग से मरीजों को बेड और ऑक्सीजन न मिलने की खबरें सामने आ रही हैं. इसी बीच सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. मांग के अनुरूप उत्पादन ज्यादा किया जा रहा है. लेकिन सप्लायर का कहना है कि मांग 20 गुना बढ़ गई, जिससे शॉर्टेज है. सप्लायर का कहना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) के दाम करीब 20 फीसदी बढ़ गए हैं.

रायपुर में महंगा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर

कोरोना संक्रमण के बीच राजधानी में ऑक्सीजन की खपत तेजी से बढ़ गई है. ऑक्सीजन सप्लायर की मानें तो मांग के अनुरूप ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई कंपनियां नहीं कर पा रही हैं. लोगों ने घरों में ही ऑक्सीजन की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है. पहले की अपेक्षा मांग जितनी बढ़ी है, सप्लाई उतनी नहीं हो पा रही है. राजधानी के ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लायर नरेंद्र हरचंदानी ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर के दामों में भी 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

10 किलो 40CFT ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम

10 किलो 40CFT ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल लोग घरों में करते हैं. इसकी मांग काफी तेजी से बढ़ी है. पहले लगभग सौ सिलेंडर प्रति महीने बिकते थे लेकिन अब 500 सिलेंडर की मांग है. वैसे इस सिलेंडर की कीमत 6 हजार रुपए है. लेकिन केस बढ़ने के बाद अब यह 7 हजार रुपए में मिल रहा है. हालत यह है कि मांग ज्यादा होने से इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है. ऑक्सीजन सिलेंडर नागपुर और गुजरात से छत्तीसगढ़ में सप्लाई किया जाता है. रीफिल कराने में प्रति सिलेंडर 150-से 200 रुपए लगते हैं.

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छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी

100 किलो जंबो सिलेंडर के दाम

छोटे अस्पताल और क्लीनिक में जंबो सिलेंडर की सप्लाई की जाती है. यह सिलेंडर 100 किलो का होता है. इस सिलेंडर की कीमत पहले लगभग 13 हजार रुपए थी जो अब बढ़कर 15 हजार रुपए हो गई है. पहले जहां 20 के करीब हर महीने यह सिलेंडर बिकता था. लेकिन अब इसकी डिमांड 50 से ज्यादा बढ़ गई है. इस सरेंडर को रिफिल करने पर 500 प्रति सिलेंडर का खर्च आता है.

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छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी
डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम

कोरोना काल में डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर की ज्यादा डिमांड है. इस ऑक्सीजन सिलेंडर में लगभग 200 से ढाई सौ पफ होते हैं. इस सिलेंडर की मांग पहले नाम मात्र की थी, लेकिन कोरोना कॉल मे इसकी खपत तेजी से बढ़ी है. अब लगभग हजार से ज्यादा डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर बिक रहा है. लोग एहतियात के तौर पर भी इस डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर को घर में रख रहे हैं. इसकी कीमत भी 300 से 400 रुपए है.

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की डिमांड और दाम
इन दिनों ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की मांग तेजी से बढ़ी है. इस मशीन का इस्तेमाल लंबे समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट देने के लिए मरीज घरों में करते हैं. इस मशीन की कीमत पहले 35 हजार रुपए थी, लेकिन अब लगभग 45 हजार रुपए पहुंच गई है. पहले हर महीने जहां 100 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनों की मांग थी, लेकिन कोरोना काल में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है. अब 2000 मशीनों की मांग हो गई है.

सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाई में भी बढ़ी डिमांड

अस्पतालों में सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम के जरिए मरीजों तक पाइपलाइन की मदद से ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है. इसमें इस्तेमाल होने वाले ऑक्सीजन सिलेंडरो की मांग की भी बढ़ी है.

सरकार का दावा- 'प्रदेश में मांग से ज्यादा उत्पादन'

इसी बीच सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है.

  • आंकड़े के अनुसार 15 अप्रैल की स्थिति में राज्य में प्रतिदिन 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है.
  • वर्तमान में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 5898 मरीजों के लिए प्रतिदिन 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है.
  • राज्य में बीते 14 मार्च से ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है.
  • 14 मार्च की स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 197 मरीज के लिए 3.68 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, जो आज 15 अप्रैल की स्थिति में बढ़कर 110.30 मीट्रिक टन हो गई है.
  • 15 अप्रैल की स्थिति में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या 5898 है.

प्रदेश में 29 ऑक्सीजन प्लांट

  • स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की संख्या कुल 27 है.
  • रोजाना 176.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन किया जा रहा है.
  • राज्य में दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैन्युफैक्चर रोजाना 210 मीट्रिक टन एयर डेस्टिलेशन यूनिट और पीएसए ऑक्सीजन जनरेट किया जा रहा है.
  • प्रदेश के कुल 29 ऑक्सीजन प्लांट हैं. जिसमें 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा रहा है.
  • वर्तमान में मात्र 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस की का ही उपयोग किया जा रहा है.

सरकार ने इस संबंध में निर्देश भी जारी किए हैं. जिसमें छत्तीसगढ़ में उत्पादित ऑक्सीजन में से 80 प्रतिशत ऑक्सीजन की आपूर्ति अस्पतालों में की जाएगी. वहीं शेष 20 प्रतिशत ऑक्सीजन भी जरूरत पड़ने पर अस्पतालों को दिया जाएगा.

रायपुर: देश में कोरोना से बुरा हाल है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों खासकर राजधानी रायपुर और दुर्ग से मरीजों को बेड और ऑक्सीजन न मिलने की खबरें सामने आ रही हैं. इसी बीच सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. मांग के अनुरूप उत्पादन ज्यादा किया जा रहा है. लेकिन सप्लायर का कहना है कि मांग 20 गुना बढ़ गई, जिससे शॉर्टेज है. सप्लायर का कहना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) के दाम करीब 20 फीसदी बढ़ गए हैं.

रायपुर में महंगा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर

कोरोना संक्रमण के बीच राजधानी में ऑक्सीजन की खपत तेजी से बढ़ गई है. ऑक्सीजन सप्लायर की मानें तो मांग के अनुरूप ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई कंपनियां नहीं कर पा रही हैं. लोगों ने घरों में ही ऑक्सीजन की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है. पहले की अपेक्षा मांग जितनी बढ़ी है, सप्लाई उतनी नहीं हो पा रही है. राजधानी के ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लायर नरेंद्र हरचंदानी ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर के दामों में भी 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

10 किलो 40CFT ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम

10 किलो 40CFT ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल लोग घरों में करते हैं. इसकी मांग काफी तेजी से बढ़ी है. पहले लगभग सौ सिलेंडर प्रति महीने बिकते थे लेकिन अब 500 सिलेंडर की मांग है. वैसे इस सिलेंडर की कीमत 6 हजार रुपए है. लेकिन केस बढ़ने के बाद अब यह 7 हजार रुपए में मिल रहा है. हालत यह है कि मांग ज्यादा होने से इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है. ऑक्सीजन सिलेंडर नागपुर और गुजरात से छत्तीसगढ़ में सप्लाई किया जाता है. रीफिल कराने में प्रति सिलेंडर 150-से 200 रुपए लगते हैं.

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छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी

100 किलो जंबो सिलेंडर के दाम

छोटे अस्पताल और क्लीनिक में जंबो सिलेंडर की सप्लाई की जाती है. यह सिलेंडर 100 किलो का होता है. इस सिलेंडर की कीमत पहले लगभग 13 हजार रुपए थी जो अब बढ़कर 15 हजार रुपए हो गई है. पहले जहां 20 के करीब हर महीने यह सिलेंडर बिकता था. लेकिन अब इसकी डिमांड 50 से ज्यादा बढ़ गई है. इस सरेंडर को रिफिल करने पर 500 प्रति सिलेंडर का खर्च आता है.

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छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी
डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम

कोरोना काल में डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर की ज्यादा डिमांड है. इस ऑक्सीजन सिलेंडर में लगभग 200 से ढाई सौ पफ होते हैं. इस सिलेंडर की मांग पहले नाम मात्र की थी, लेकिन कोरोना कॉल मे इसकी खपत तेजी से बढ़ी है. अब लगभग हजार से ज्यादा डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर बिक रहा है. लोग एहतियात के तौर पर भी इस डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर को घर में रख रहे हैं. इसकी कीमत भी 300 से 400 रुपए है.

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की डिमांड और दाम
इन दिनों ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की मांग तेजी से बढ़ी है. इस मशीन का इस्तेमाल लंबे समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट देने के लिए मरीज घरों में करते हैं. इस मशीन की कीमत पहले 35 हजार रुपए थी, लेकिन अब लगभग 45 हजार रुपए पहुंच गई है. पहले हर महीने जहां 100 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनों की मांग थी, लेकिन कोरोना काल में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है. अब 2000 मशीनों की मांग हो गई है.

सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाई में भी बढ़ी डिमांड

अस्पतालों में सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम के जरिए मरीजों तक पाइपलाइन की मदद से ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है. इसमें इस्तेमाल होने वाले ऑक्सीजन सिलेंडरो की मांग की भी बढ़ी है.

सरकार का दावा- 'प्रदेश में मांग से ज्यादा उत्पादन'

इसी बीच सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है.

  • आंकड़े के अनुसार 15 अप्रैल की स्थिति में राज्य में प्रतिदिन 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है.
  • वर्तमान में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 5898 मरीजों के लिए प्रतिदिन 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है.
  • राज्य में बीते 14 मार्च से ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है.
  • 14 मार्च की स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 197 मरीज के लिए 3.68 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, जो आज 15 अप्रैल की स्थिति में बढ़कर 110.30 मीट्रिक टन हो गई है.
  • 15 अप्रैल की स्थिति में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या 5898 है.

प्रदेश में 29 ऑक्सीजन प्लांट

  • स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की संख्या कुल 27 है.
  • रोजाना 176.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन किया जा रहा है.
  • राज्य में दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैन्युफैक्चर रोजाना 210 मीट्रिक टन एयर डेस्टिलेशन यूनिट और पीएसए ऑक्सीजन जनरेट किया जा रहा है.
  • प्रदेश के कुल 29 ऑक्सीजन प्लांट हैं. जिसमें 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा रहा है.
  • वर्तमान में मात्र 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस की का ही उपयोग किया जा रहा है.

सरकार ने इस संबंध में निर्देश भी जारी किए हैं. जिसमें छत्तीसगढ़ में उत्पादित ऑक्सीजन में से 80 प्रतिशत ऑक्सीजन की आपूर्ति अस्पतालों में की जाएगी. वहीं शेष 20 प्रतिशत ऑक्सीजन भी जरूरत पड़ने पर अस्पतालों को दिया जाएगा.

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