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EXCLUSIVE: आखिर पढ़े-लिखे युवा अपराध के दलदल में क्यों फंसते जा रहे, जानें जानकारों की राय

छत्तीसगढ़ में इन दिनों क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि इन सब अपराधों में सबसे ज्यादा जिसकी संलिप्तता है वो हैं पढ़े-लिखे लोग. इसमें भी युवा वर्ग ज्यादा शामिल है. बढ़ते क्राइम रेट ने पढ़े-लिखे वर्ग को भी नहीं छोड़ा है. नशे का कारोबार हो, तस्करी का कारोबार हो या फिर और कोई अपराध हो, इन सब में शिक्षित वर्ग की सबसे ज्यादा संलिप्तता देखी जा रही है. इन सभी विषयों को लेकर ETV भारत ने रायपुर के कुछ लोगों से बात की.

Opinion of experts on increasing crime in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बढ़ते क्राइम पर जानकारों की राय
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Published : Oct 24, 2020, 3:31 AM IST

Updated : Oct 24, 2020, 1:51 PM IST

रायपुर: एक समय था जब लोग पढ़ लिख कर एक अच्छी नौकरी, व्यवसाय करने की सोचते थे, लेकिन अब पढ़े-लिखे लोग ज्यादातर अपराध की ओर अग्रसर हैं. हायर तकनीकी पढ़ाई-लिखाई का उपयोग लोग अच्छे कामों में कर सकते हैं, लेकिन उसकी जगह वे अपराधिक गतिविधियों में उस ज्ञान का उपयोग कर रहे हैं. अच्छा तकनीकी ज्ञान पाने के बाद लोग साइबर क्राइम जैसे अपराधों में लिप्त हो रहे हैं. इसके अलावा भी कई नई-नई तकनीक के तरीके से लोग अपराधों को अंजाम दे रहे हैं, जो कहीं ना कहीं समाज प्रदेश और देश के लिए काफी नुकसानदायक है.

छत्तीसगढ़ में बढ़ते क्राइम पर जानकारों की राय
आइए एक नजर डालते हैं प्रदेश में आपराधिक आंकड़ों पर
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की जारी रिपोर्ट क्राईम इन इंडिया 2017 ने छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक अपराध दर वाले राज्यों में शुमार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में प्रदेश के थानों में कुल 90516 अपराधिक मामले दर्ज हुए. प्रति एक लाख जनसंख्या पर अपराध के मान से इसकी दर 344.3 आंकी गई है. यह दर प्रदेश को देश के 36 राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में दसवें स्थान पर रख रही है. अपराधियों की सूची में भारतीय दंड संहिता में परिभाषित अपराधों की संख्या 58481 है. मतलब 222.5 की अपराध दर. इसमें भी प्रदेश 12वीं स्थान पर है. राज्य के स्थानीय कानून के तहत 32035 मामले दर्ज हैं.
छत्तीसगढ़ में बढ़ते क्राइम पर जानकारों की राय...पार्ट-2
पढ़े-लिखे अपराधियों की संख्या बढ़ी
एक जानकारी के मुताबिक इन दर्ज मामलों में ज्यादातर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग पढ़े लिखे हैं. अशिक्षित लोगों की संख्या काफी कम है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर पढ़े-लिखे एजुकेटेड लोग अपराध से जुड़ी गतिविधियों में क्यों शामिल हो रहे हैं. इसकी प्रमुख वजह क्या है और इसे किस तरह से रोका जा सकता है. इसके लिए क्या प्रयास किया जाना चाहिए.

निर्भया फंड : दावों और सच्चाई के बीच कितने फासले, एक नजर

वर्णिका, ममता और स्मिता ने रखे विचार...
इन तमाम बातों पर ETV BHARAT की टीम ने कुछ बुद्धिजीवियों से विस्तार से बातचीत की. इनमें मनोवैज्ञानिक डॉ. वर्णिका शर्मा, समाज सेविका ममता शर्मा और एडवोकेट स्मिता पांडेय शामिल हुईं. बातचीत के दौरान हमने जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है जिस कारण से आज पढ़े-लिखे युवा अपराध की ओर जा रहे हैं. बातचीत पर यह बात सामने आएगी इसके पीछे कई ऐसी वजह है, जो पढ़े-लिखे युवाओं को अपराध के दलदल में धकेल रही है.

अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन ठग गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार, पाकिस्तान से जुड़े तार

पारिवारिक वातावरण
सबसे पहले हम बात करेंगे पारिवारिक वातावरण पर खासकर पढ़े-लिखे लोग जिन्हें अच्छी शिक्षा तो मिल जाती है, लेकिन परिवार उन्हें समय नहीं दे पाता है. धीरे-धीरे जॉइंट फैमिली का कल्चर खत्म होता जा रहा है. अब परिवार छोटा होता जा रहा है. मां-बाप और बच्चे ही घर में होते हैं. इस बढ़ती महंगाई के चलते परिवार चलाना काफी मुश्किल हो गया है, जिस वजह से मां बाप दोनों को नौकरी करनी पड़ती है. ऐसे में उनके बच्चों की परवरिश सर्वेंट या फिर अन्य किसी से कराई जाती है. इस वजह से जिन बच्चों को बचपन में अच्छे संस्कार मिलने चाहिए मिल नहीं पाते हैं. वे स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई तो कर लेते हैं, लेकिन उनमें संस्कारों की कमी होती है. रिश्तों का महत्व नहीं समझते हैं. यही वजह है कि वे लोग अपराध करते समय भी इस बारे में नहीं सोचते हैं कि जिनके साथ में अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. आखिर उन पर और उनके परिवार पर क्या गुजरेगी.

सामाजिक वातावरण
एक बच्चा जब धीरे-धीरे बड़ा होता है तो वह परिवार से बाहर की ओर रुख करता है. ऐसे में उसके आसपास का वातावरण काफी मायने रखता है. इस सामाजिक परिवेश में आने के बाद वह पढ़ा लिखा युवा के चीजों को देखता है. इसमें अच्छे बुरे दोनों चीजें होती है, लेकिन चकाचौंध के बीच अच्छाई को छूड पढ़े-लिखे लोग बुराई की ओर चल देते हैं. अच्छे कपड़े अच्छे मोबाइल कार तमाम ऐसी विलासता की चीजें होती है, जो उस पढ़े-लिखे को लगता है कि उसके पास भी होना चाहिए. उन चीजों को हासिल करने के लिए वह अपराध करने से भी नहीं चुकता है.

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सरकारी नौकरी और योजनाओं का लाभ ना मिलना
इन दिनों शिक्षा के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है. जगह-जगह स्कूल कॉलेज खोले गए हैं. यहां करोड़ों बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं. लाखों की संख्या में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट बच्चे निकल रहे हैं, लेकिन यहां से निकलने के बाद ज्यादातर युवाओं के पास नौकरी नहीं है. ना ही वे युवा कोई व्यवसाय कर सकते हैं, क्योंकि व्यवसाय के लिए पूंजी बहुत जरूरी है, जो हर किसी के पास होना संभव नहीं है. वहीं जिस तेजी से कॉलेजों से पढ़े-लिखे युवा बाहर निकल रहे हैं. उसी तेजी से सरकार उनके लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर पा रही है.

योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से ना होना
ज्यादातर देखा जाता है कि सरकार पढ़े-लिखे बेरोजगारों के लिए अच्छी-अच्छी योजनाएं शुरू करती है. चाहे वह फिर शासकीय नौकरी हो या फिर अन्य कोई रोजगार व्यवसाय, लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन की जवाबदारी जिन अधिकारी और कर्मचारियों पर होती है. वह उस जवाबदारी को सही तरीके से निभा नहीं पाते हैं.

  • उदाहरण के तौर पर रोजगार के लिए पढ़े लिखे युवा को समय पर लोन का ना मिलना.
  • सरकारी नौकरी में रिटायरमेंट के बाद भी संविदा पर उच्च पदों पर लोगों को रखना.
  • नई भर्ती ना करना इसके अलावा भी ऐसी कई बातें हैं जो पढ़े लिखे हो पर विपरीत प्रभाव डालती है.
  • जिस वजह से वे सीधे रास्ते पर ना चलते हुए गलत रास्ते की ओर बढ़ जाते हैं.
  • इससे पढ़े लिखे होने के बाद भी अपराधिक कैरियर की शुरुआत हो जाती है.


पढ़ाई लिखाई के बाद छोटे काम करने से गुरेज करना
यह भी देखा जा रहा है कि पढ़े-लिखे लोग अब छोटा-मोटा काम नहीं करना चाह रहे हैं उनकी जरूरत पड़ी है, लेकिन आय का साधन नहीं है जिस वजह से भी यह युवा कम मेहनत कर ज्यादा पैसा कमाने अपराध करने से भी नहीं चूकते हैं. चोरी, चैन स्नैचिंग, लूटपाट, मारपीट, लड़ाई-झगड़ा, अवैध वसूली इन घटनाओं को अंजाम देते हैं, जिसके बाद उन्हें छोटी मोटी रकम तो जरूर मिल जाती है, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं चलती है. इसके बाद इन लोगों के द्वारा बड़ी अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.

पढ़े-लिखे लोग कर रहे हैं साइबर क्राइम
पिछले कुछ समय में अचानक से साइबर क्राइम बढ़ा है. लोग कई तरीके से आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे हैं. ये पढ़े-लिखे लोग इस तकनीक का इस्तेमाल अच्छे काम में न करते हुए आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने में कर रहे हैं. उनके द्वारा ऑनलाइन ठगी फोन कर बैंक डिटेल मांग कर खाते से पैसे निकालना कोई लालच देते हैं. लोगों के खाते से तकनीक के माध्यम से पैसों की चोरी करते हैं. इन आधुनिक तकनीकों के जरिए लोग कुछ ही समय में ज्यादा पैसा कमा ने का प्रयास कर रहे हैं.

अपराध रोकने करनी होगी यह पहल
अपराध रूपी दलदल में जा रहे पढ़े-लिखे युवाओं को रोकने के लिए कई स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है. सबसे पहले परिवार को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ अच्छा संस्कार देना होगा उन पर नजर रखनी होगी, जिससे वे गलत रास्ते पर ना जा सके साथ ही समाज का भी यह कर्तव्य है. वह पढ़े लिखे युवाओं को हर अच्छे काम में मदद करें. अगर समाज उनके लिए सकारात्मक सोच रखेगा, तो यह पढ़े-लिखे युवा अपराध की ओर नहीं जाएंगे.

सरकार करे ये पहल
साथ ही शासन प्रशासन को भी इन पढ़े-लिखे युवाओं के रोजगार को लेकर एक विशाल रूप में योजना बनानी होगी, जिससे कॉलेज से निकलने के बाद पढ़े-लिखे युवाओं के सामने बेरोजगारी की समस्या ना हो. इन युवाओं के पास निजी या फिर सरकारी नौकरी हो. यह सरकार को सुनिश्चित करना होगा. अगर नौकरी नहीं मिलती है, तो ऐसे में इन पढ़े-लिखे युवाओं को व्यवसाय के लिए प्रेरित करना भी सरकार का काम है. अगर यह सभी उपाय किए जाते हैं, तो पढ़े-लिखे युवा अपराध के दलदल में नहीं जाएंगे. एक स्वच्छता सुंदर वातावरण निर्मित होगा.

रायपुर: एक समय था जब लोग पढ़ लिख कर एक अच्छी नौकरी, व्यवसाय करने की सोचते थे, लेकिन अब पढ़े-लिखे लोग ज्यादातर अपराध की ओर अग्रसर हैं. हायर तकनीकी पढ़ाई-लिखाई का उपयोग लोग अच्छे कामों में कर सकते हैं, लेकिन उसकी जगह वे अपराधिक गतिविधियों में उस ज्ञान का उपयोग कर रहे हैं. अच्छा तकनीकी ज्ञान पाने के बाद लोग साइबर क्राइम जैसे अपराधों में लिप्त हो रहे हैं. इसके अलावा भी कई नई-नई तकनीक के तरीके से लोग अपराधों को अंजाम दे रहे हैं, जो कहीं ना कहीं समाज प्रदेश और देश के लिए काफी नुकसानदायक है.

छत्तीसगढ़ में बढ़ते क्राइम पर जानकारों की राय
आइए एक नजर डालते हैं प्रदेश में आपराधिक आंकड़ों पर
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की जारी रिपोर्ट क्राईम इन इंडिया 2017 ने छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक अपराध दर वाले राज्यों में शुमार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में प्रदेश के थानों में कुल 90516 अपराधिक मामले दर्ज हुए. प्रति एक लाख जनसंख्या पर अपराध के मान से इसकी दर 344.3 आंकी गई है. यह दर प्रदेश को देश के 36 राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में दसवें स्थान पर रख रही है. अपराधियों की सूची में भारतीय दंड संहिता में परिभाषित अपराधों की संख्या 58481 है. मतलब 222.5 की अपराध दर. इसमें भी प्रदेश 12वीं स्थान पर है. राज्य के स्थानीय कानून के तहत 32035 मामले दर्ज हैं.
छत्तीसगढ़ में बढ़ते क्राइम पर जानकारों की राय...पार्ट-2
पढ़े-लिखे अपराधियों की संख्या बढ़ी
एक जानकारी के मुताबिक इन दर्ज मामलों में ज्यादातर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग पढ़े लिखे हैं. अशिक्षित लोगों की संख्या काफी कम है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर पढ़े-लिखे एजुकेटेड लोग अपराध से जुड़ी गतिविधियों में क्यों शामिल हो रहे हैं. इसकी प्रमुख वजह क्या है और इसे किस तरह से रोका जा सकता है. इसके लिए क्या प्रयास किया जाना चाहिए.

निर्भया फंड : दावों और सच्चाई के बीच कितने फासले, एक नजर

वर्णिका, ममता और स्मिता ने रखे विचार...
इन तमाम बातों पर ETV BHARAT की टीम ने कुछ बुद्धिजीवियों से विस्तार से बातचीत की. इनमें मनोवैज्ञानिक डॉ. वर्णिका शर्मा, समाज सेविका ममता शर्मा और एडवोकेट स्मिता पांडेय शामिल हुईं. बातचीत के दौरान हमने जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है जिस कारण से आज पढ़े-लिखे युवा अपराध की ओर जा रहे हैं. बातचीत पर यह बात सामने आएगी इसके पीछे कई ऐसी वजह है, जो पढ़े-लिखे युवाओं को अपराध के दलदल में धकेल रही है.

अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन ठग गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार, पाकिस्तान से जुड़े तार

पारिवारिक वातावरण
सबसे पहले हम बात करेंगे पारिवारिक वातावरण पर खासकर पढ़े-लिखे लोग जिन्हें अच्छी शिक्षा तो मिल जाती है, लेकिन परिवार उन्हें समय नहीं दे पाता है. धीरे-धीरे जॉइंट फैमिली का कल्चर खत्म होता जा रहा है. अब परिवार छोटा होता जा रहा है. मां-बाप और बच्चे ही घर में होते हैं. इस बढ़ती महंगाई के चलते परिवार चलाना काफी मुश्किल हो गया है, जिस वजह से मां बाप दोनों को नौकरी करनी पड़ती है. ऐसे में उनके बच्चों की परवरिश सर्वेंट या फिर अन्य किसी से कराई जाती है. इस वजह से जिन बच्चों को बचपन में अच्छे संस्कार मिलने चाहिए मिल नहीं पाते हैं. वे स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई तो कर लेते हैं, लेकिन उनमें संस्कारों की कमी होती है. रिश्तों का महत्व नहीं समझते हैं. यही वजह है कि वे लोग अपराध करते समय भी इस बारे में नहीं सोचते हैं कि जिनके साथ में अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. आखिर उन पर और उनके परिवार पर क्या गुजरेगी.

सामाजिक वातावरण
एक बच्चा जब धीरे-धीरे बड़ा होता है तो वह परिवार से बाहर की ओर रुख करता है. ऐसे में उसके आसपास का वातावरण काफी मायने रखता है. इस सामाजिक परिवेश में आने के बाद वह पढ़ा लिखा युवा के चीजों को देखता है. इसमें अच्छे बुरे दोनों चीजें होती है, लेकिन चकाचौंध के बीच अच्छाई को छूड पढ़े-लिखे लोग बुराई की ओर चल देते हैं. अच्छे कपड़े अच्छे मोबाइल कार तमाम ऐसी विलासता की चीजें होती है, जो उस पढ़े-लिखे को लगता है कि उसके पास भी होना चाहिए. उन चीजों को हासिल करने के लिए वह अपराध करने से भी नहीं चुकता है.

क्राइम कंट्रोल की स्मार्ट तैयारी, क्यूआर कोड बताएगा गोली किसने मारी

सरकारी नौकरी और योजनाओं का लाभ ना मिलना
इन दिनों शिक्षा के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है. जगह-जगह स्कूल कॉलेज खोले गए हैं. यहां करोड़ों बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं. लाखों की संख्या में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट बच्चे निकल रहे हैं, लेकिन यहां से निकलने के बाद ज्यादातर युवाओं के पास नौकरी नहीं है. ना ही वे युवा कोई व्यवसाय कर सकते हैं, क्योंकि व्यवसाय के लिए पूंजी बहुत जरूरी है, जो हर किसी के पास होना संभव नहीं है. वहीं जिस तेजी से कॉलेजों से पढ़े-लिखे युवा बाहर निकल रहे हैं. उसी तेजी से सरकार उनके लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर पा रही है.

योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से ना होना
ज्यादातर देखा जाता है कि सरकार पढ़े-लिखे बेरोजगारों के लिए अच्छी-अच्छी योजनाएं शुरू करती है. चाहे वह फिर शासकीय नौकरी हो या फिर अन्य कोई रोजगार व्यवसाय, लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन की जवाबदारी जिन अधिकारी और कर्मचारियों पर होती है. वह उस जवाबदारी को सही तरीके से निभा नहीं पाते हैं.

  • उदाहरण के तौर पर रोजगार के लिए पढ़े लिखे युवा को समय पर लोन का ना मिलना.
  • सरकारी नौकरी में रिटायरमेंट के बाद भी संविदा पर उच्च पदों पर लोगों को रखना.
  • नई भर्ती ना करना इसके अलावा भी ऐसी कई बातें हैं जो पढ़े लिखे हो पर विपरीत प्रभाव डालती है.
  • जिस वजह से वे सीधे रास्ते पर ना चलते हुए गलत रास्ते की ओर बढ़ जाते हैं.
  • इससे पढ़े लिखे होने के बाद भी अपराधिक कैरियर की शुरुआत हो जाती है.


पढ़ाई लिखाई के बाद छोटे काम करने से गुरेज करना
यह भी देखा जा रहा है कि पढ़े-लिखे लोग अब छोटा-मोटा काम नहीं करना चाह रहे हैं उनकी जरूरत पड़ी है, लेकिन आय का साधन नहीं है जिस वजह से भी यह युवा कम मेहनत कर ज्यादा पैसा कमाने अपराध करने से भी नहीं चूकते हैं. चोरी, चैन स्नैचिंग, लूटपाट, मारपीट, लड़ाई-झगड़ा, अवैध वसूली इन घटनाओं को अंजाम देते हैं, जिसके बाद उन्हें छोटी मोटी रकम तो जरूर मिल जाती है, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं चलती है. इसके बाद इन लोगों के द्वारा बड़ी अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.

पढ़े-लिखे लोग कर रहे हैं साइबर क्राइम
पिछले कुछ समय में अचानक से साइबर क्राइम बढ़ा है. लोग कई तरीके से आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे हैं. ये पढ़े-लिखे लोग इस तकनीक का इस्तेमाल अच्छे काम में न करते हुए आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने में कर रहे हैं. उनके द्वारा ऑनलाइन ठगी फोन कर बैंक डिटेल मांग कर खाते से पैसे निकालना कोई लालच देते हैं. लोगों के खाते से तकनीक के माध्यम से पैसों की चोरी करते हैं. इन आधुनिक तकनीकों के जरिए लोग कुछ ही समय में ज्यादा पैसा कमा ने का प्रयास कर रहे हैं.

अपराध रोकने करनी होगी यह पहल
अपराध रूपी दलदल में जा रहे पढ़े-लिखे युवाओं को रोकने के लिए कई स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है. सबसे पहले परिवार को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ अच्छा संस्कार देना होगा उन पर नजर रखनी होगी, जिससे वे गलत रास्ते पर ना जा सके साथ ही समाज का भी यह कर्तव्य है. वह पढ़े लिखे युवाओं को हर अच्छे काम में मदद करें. अगर समाज उनके लिए सकारात्मक सोच रखेगा, तो यह पढ़े-लिखे युवा अपराध की ओर नहीं जाएंगे.

सरकार करे ये पहल
साथ ही शासन प्रशासन को भी इन पढ़े-लिखे युवाओं के रोजगार को लेकर एक विशाल रूप में योजना बनानी होगी, जिससे कॉलेज से निकलने के बाद पढ़े-लिखे युवाओं के सामने बेरोजगारी की समस्या ना हो. इन युवाओं के पास निजी या फिर सरकारी नौकरी हो. यह सरकार को सुनिश्चित करना होगा. अगर नौकरी नहीं मिलती है, तो ऐसे में इन पढ़े-लिखे युवाओं को व्यवसाय के लिए प्रेरित करना भी सरकार का काम है. अगर यह सभी उपाय किए जाते हैं, तो पढ़े-लिखे युवा अपराध के दलदल में नहीं जाएंगे. एक स्वच्छता सुंदर वातावरण निर्मित होगा.

Last Updated : Oct 24, 2020, 1:51 PM IST
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