रायपुर : छत्तीसगढ़ के शहरों में ट्रैफिक सिग्नल्स पर भीख मांगने वाले 117 बच्चों का रेस्क्यू किया गया है. इन बच्चों में से कुछ बच्चे राज्य के बाहर के भी थे, जिन्हें उनके माता पिता के पास वापस भेज दिया गया है. हालांकि जिन बच्चों की जानकारी नहीं मिली है, उन्हें एनजीओ में भर्ती कराया गया है. दरअसल, छ्त्तीसगढ़ के शहरों में ट्रैफिक सिगनल्स पर भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही थी. इसकी शिकायत पुलिस के पास पहुंची. इन शिकायतों को देखते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने 1 जून से प्रयास मुहिम की शुरुआत की. इस मुहिम के तहत 117 बच्चों को रेस्क्यू किया गया.
ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगने की ट्रेनिंग : ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ियों के रुकते ही बच्चों का झुंड गाड़ी चालकों को घेर लेता है. इसके बाद अपनी गरीबी का हवाला देकर पैसे मांगे जाते हैं.दरअसल इन बच्चों को कई गिरोह ऑपरेट करते हैं. जो दूसरे राज्यों से बच्चों को लाकर भीख मंगवाने का काम करवाते हैं.ऐसे गिरोह के शिकार वे बच्चे सबसे ज्यादा होते हैं जो आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग से आते हैं.
बच्चों के पुनर्वास के लिए काम करने के निर्देश : इस बारे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रवीण कुमार मिश्रा ने जानकारी दी है. मिश्रा के मुताबिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालन अध्यक्ष न्यायाधीश गौतम भादुड़ी के आदेश पर प्रयास अभियान को लॉन्च किया गया, जिसमें निर्देशित किया गया कि पैरा लीगल वालंटियर के माध्यम से जो बच्चे चौक चौराहों पर भीख मांग रहे हैं. या कोई वर्ग विशेष उनसे काम करवा रहा है.उसे तुरंत रोका जाए. बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जाए.
''भारतवर्ष के हर क्षेत्र के हर जिले के बच्चे हमें प्राप्त हुए हैं. छत्तीसगढ़ के उन तबकों के बच्चे हमें खासकर प्राप्त हुए हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर है या इनके माता-पिता किसी नशे के आदी हो चुके हैं. इसके अलावा विशेष वर्ग समुदाय का भी हमें पता चला है. जो इसकी सूचना हमें संबंधित थाने में दे दी गई है और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई भी की जा रही है." प्रवीण कुमार मिश्रा,न्यायाधीश व सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
योजनाएं बनीं लेकिन जागरुकता की कमी के कारण ढेर : जांच के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को किसी गैंग से प्राप्त बच्चे से अधिक ऐसे बच्चों की संख्या ज्यादा मिली है.जिनके माता पिता ने उन्हें भीख मांगने भेजा था. जो कहीं ना कहीं आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग की सोच को दर्शाता है. सरकार लाख योजनाएं ले आए लेकिन गरीब बच्चों के लिए ये योजनाएं सिर्फ कागज में लिखे गए विज्ञापन हैं. क्योंकि इन योजनाओं को जिन माता पिता को बच्चों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी रहती है. वो खुद किसी दूसरी दुनिया में खोए रहते हैं.लिहाजा बच्चों का बचपन अंधकार और गलत दिशा में खो जाता है.