रायपुर: 42 फीसदी वन क्षेत्र वाले छत्तीसगढ़ में हाथी और इंसान के बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है. बता दें कि छत्तीसगढ़ के करीब 17 जिले हाथियों के उत्पात से पीड़ित हैं. साल 2004 से 2014 के बीच हाथियों के हमले में 200 लोगों की जान गई, तो वहीं इस दौरान 33 हजार हैक्टेयर फसल को हाथियों ने तबाह कर दिया.
ऐसा नहीं है कि इस संघर्ष में सिर्फ इंसानों की मौत हुई है, हाथियों को भी इस लड़ाई में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. सरकारी आंकड़े के मुताबिक हर साल सूबे में औसतन 14 हाथियों की मौत होती है, वहीं करीब 64 लोगों को हाथियों के हमले में जान गंवानी पड़ी है.
हाथियों के विचरण का कॉरिडोर है छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ की सीमा देश के छह राज्यों से लगती है, जिसमें मध्यप्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र शामिल है. ओडीशा और आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे होने की वजह से छत्तीसगढ़ हाथियों के विचरण के लिए एक को-ऑरिडोर के तौर पर जाना जाता है और हाथी विचरण के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं.
जंगल की कटाई टकराव की अहम वजह
आबादी बढ़ने की वजह से जहां एक ओर अंधाधुंध तरीके से वनों की कटाई हो रही है, वहीं लोग जंगलों के आस-पास घर बना रहे हैं और शायद हाथी और इंसान के बीच हो रहे इस टकराव की यही अहम वजह भी है.