रायपुर: अनलॉक-1.0 से ही कई स्कूल और कॉलेज ऑनलाइन चल रहे हैं. क्लास वन से लेकर कॉलेज और दूसरे कई कोर्स करने वाले छात्र अब मोबाइल और लैपटॉप के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेस अटेंड कर रहे हैं, लेकिन इसका काफी बुरा असर बच्चों और छात्रों पर पड़ रहा है. ज्यादा देर तक मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन देखने के कारण इससे छोटे बच्चों और छात्रों की आंखों पर तो असर पड़ ही रहा है, दिमाग पर पर भी इसका प्रभाव दिखने लगा है.
कोरोना वायरस ने बदला ट्रेंड
कोरोना वायरस ने दुनिया में कई चीजें बदल दी है. मसलन लाइफ स्टाइल, उठने-बैठने के तरीके, लोगों से मिलने का तरीका, पहनावा, वर्क कल्चर, सोच और इसके साथ-साथ बहुत कुछ. ऐसे ही एक और कल्चर में बदलाव आया है, वो है पढ़ाई. अब पहले की तरह रोज सुबह बच्चे न तो तैयार होकर स्कूल जा पा रहे हैं, न ही स्कूल में अपने दोस्तों के साथ बैठकर अलग-अलग टिफिन का मजा ले पा रहे हैं और न ही अब क्लासरूम में बैठकर घंटी बजते ही क्लास खत्म होने का इंतजार कर पा रहे हैं. अब तो बच्चे घर में ही रहकर अपना भविष्य बना रहे हैं. मतलब ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल के माध्यम से बच्चे ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे हैं. इसके साथ ही होमवर्क कर ऑनलाइन सबमिट भी किया जा रहा है. जिसमें बच्चे और पैरेंट्स दोनों सफर कर रहे हैं.
'3-4 घंटे कंप्यूटर स्क्रीन के साथ बीत रहे'
छात्रों ने बताया कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण स्कूल और कॉलेज बंद होने से उनकी ऑनलाइन क्लास ली जा रही है. जिस वजह से उन्हें दिन में 3 से 4 घंटे लगातार कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठना पड़ रहा है. इसके साथ ही कॉलेज और स्कूल की तरफ से प्रोजेक्ट भी दिए जा रहे हैं, जिसे उन्हें कंप्यूटर और लैपटॉप पर ही बनाना पड़ रहा है. जिससे आंखों में जलन और सिरदर्द की समस्या आ रही है.
बच्चे और पैरेंट्स दोनों हो रहे परेशान
पैरेंट्स ने बताया कि लगातार बच्चों के स्क्रीन देखने पर कई बार बच्चों की आंखें लाल हो जाती है. कई बार बच्चों के आंखों से पानी भी गिरने लगता है. कई पैरेंटस ने कहा कि स्कूल और कॉलेज की तरफ से ऑनलाइन क्लासेस से घर में रहने के बावजूद बच्चे बिजी तो रह रहे हैं, लेकिन इससे उनके स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ रहा है. कई बार बच्चे चिड़चिड़ा व्यवहार भी कर रहे हैं. इसके अलावा ऑनलाइन क्लासेस से पैरेंटस भी काफी परेशान हो रहे हैं.
डॉक्टर की राय
डॉक्टर राकेश गुप्ता ने बताया कि ज्यादा देर स्क्रीन को देखना किसी भी व्यक्ति के लिए हानिकारक साबित होता है. खासकर बच्चों को 30 मिनट से ज्यादा देर तक लगातार स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए. इससे बच्चों की आंखें खराब होती है. इसके अलावा आंखों से लगातार पानी गिरना भी नुकसानदायक है. डॉ. गुप्ता ने ये भी बताया कि कोई भी बच्चा 40 मिनट की बातें ही याद रख पाता है. स्कूलों की तरफ से 3-4 घंटे क्लासेस लेने का कोई अर्थ नहीं है.
गैजेट्स के भरोसे बच्चों का भविष्य
पहले जहां बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर से दूर रहने की सलाह दी जाती थी, अब उन्हीं बच्चों को इन गैजेट्स के सहारे अपना भविष्य संवारना पड़ रहा है. विज्ञान और तकनीक को मानव जीवन के लिए चमत्कार कहा गया है. बल्कि यूं कहें तो आज के इस दौर में इसके बिना मंजिल को पाना नामुमकिन है, लेकिन जब वहीं टेक्नोलॉजी बोझ लगने लगे तो वो चमत्कार नहीं बल्कि मुसीबत लगने लगती है.