रायपुर: बढ़ते महंगाई के बीच जीएसटी काउंसिल की तरफ से हॉस्टलर्स पर 12 फीसदी जीएसटी लगाए जाने का विरोध हो रहा है. इस मुद्दे पर सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से अपनी आपत्ति दर्ज की है. सीएम बघेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीएसटी प्राधिकरण के नए प्रावधन पर सख्त एतराज जताया है. उन्होंने इसे गरीब और मिडिल क्लास के छात्र छात्राओं के लिए भार वाला फैसला बताया है. 12 प्रतिशत जीएसटी के एक्स्ट्रा चार्ज से स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा. वह दूसरे शहरों में हॉस्टल के अंदर रहकर नहीं पढ़ पाएंगे. इसलिए सीएम ने इस टैक्स को हटाने की मांग की है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सीएम बघेल ने लिखा पत्र: सीएम बघेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इसे महंगाई में परेशान करने वाला फैसला बताया है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि" जीएसटी प्राधिकरण की तरफ से पेईंग गेस्ट के रूप में हॉस्टल में रहकर जो बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. उन पर 12 फीसदी जीएसटी का अतिरिक्त भार लगाया गया है. इसके भुगतान के आदेश से गरीब, निम्न वर्ग और मिडिल क्लास के पढ़ाई करने वाले बच्चों को काफी परेशानी होगी. इस महंगाई के दौर में 12 फीसदी का अतिरिक्त भार उठाने में दिक्कत होगी. लिहाजा इसे हटाया जाए"
"जीएसटी प्राधिकरण के इस फैसले से कई गरीब प्रतिभावान स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाी छोड़कर अपने घर लौटना पड़ेगा. इसके लिए उन्हें मजबूर होना पड़ेगा. इसिलए मेरा अनुरोध ह कि केंद्र सरकार इस फैसले में दखल करे. 12 फीसदी जीएसटी का जो भार हॉस्टलर्स स्टूडेंट्स पर लगाया गया है. उससे उन्हें छूट दी जाए. इस फैसले को लागू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया जाए"- भूपेश बघेल, सीएम, छत्तीसगढ़
सीएम भूपेश बघेल ने दुर्ग के भेंट मुलाकात में युवाओं से की थी चर्चा: दुर्ग में सीएम भूपेश बघेल ने युवाओं से भेंट मुलाकात की थी. इसमें उन्होंने स्टूडेंट्स को भरोसा दिलाया था कि इस मुद्दे पर वह केंद्रीय वित्त मंत्री तक उनकी बात पहुंचाएंगे. बेंगलुरू जीएसटी प्राधिकरण द्वारा छात्रावास में रहने वाले छात्रों के लिए 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने के फैसले का सीएम ने विरोध किया था. सीएम ने इस दौरान यह भी कहा था कि अगर केंद्र सरकार इसे नहीं हटाती है तो 12 फीसदी जीएसटी राशि के अतिरिक्त भार का वहन छत्तीसगढ़ सरकार करेगी.
जुलाई में यह फैसला हुआ था लागू: जुलाई में अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (Authority for Advance Ruling) यानी एएआर की बैंगलुरु पीठ ने इस मसले पर सुनवाई की थी. जिसमें यह फैसला हुआ कि हॉस्टल और पीजी एक समान नहीं होते हैं. यहां हॉस्टल और पीजी जैसी व्यापारिक गतिविधि वाले जगहों पर 12 फीसदी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स देना जरूरी है. लिहाजा जीएसटी में यह छूट नहीं मिलनी चाहिए. एएआर जीएसटी काउंसिल से जुड़ा विंग है.