रायपुर: छत्तीसगढ़ शासन प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी कर रही है, लेकिन बारदानों की कमी के कारण बहुत समस्या हो रही है. अब खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में बारदाने की कमी को देखते हुए समितियों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले पुराने जूट के बारदानों के उपयोग को अनुमति दे दी गई है. समितियों से मिले पुराने जूट के बारदानों का इस्तेमाल धान खरीदी के लिए किया जाएगा. धान खरीदी करने के संबंध में 24 दिसम्बर को मंत्रालय महानदी भवन से खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है. छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू हुई है और ये 31 जनवरी तक चलेगी.
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पुराने जूट के बारदानों का होगा इस्तेमाल
राज्य में धान खरीदी के लिए नए जूट के बारदानों, पीटीएस बारदानों, मिलर्स द्वारा उपलब्ध कराए गए पुराने बारदानों, किसानों के बारदानों के अलावा अब समितियों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले पुराने जूट के बारदानों का भी उपयोग किया जाएगा. समितियों द्वारा उपलब्ध कराए गए पुराने जूट के बारदानों के लिए उपयोगिता शुल्क 7.32 रुपए प्रति नग निर्धारित किया गया है. यह निर्धारण भारत सरकार द्वारा पुराने बारदानों के उपयोग के संबंध में समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अधीन किया गया है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार से मांगा था बारदाना
भारत सरकार द्वारा जूट कमिश्नर के माध्यम से आपूर्ति किए जाने वाले नए बारदाने की कमी हो रही है. इसकी पूर्ति के लिए राज्य सरकार एचडीपीई, पीपी बारदानों की खरीदी कर रही है. इसके बावजूद हो रही बारदानों की संभावित कमी को पूरा करने के लिए समितियों द्वारा उपलब्ध कराए गए पुराने बारदानों के उपयोग की अनुमति दी गई है. राज्य सरकार ने भारत सरकार से छत्तीसगढ़ में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में किसानों से धान खरीदी के लिए 3 लाख 50 हजार गठान बारदानें उपलब्ध कराने का आग्रह किया है.
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भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ को आपूर्ति की जाने वाली बारदानों में 50 प्रतिशत की कटौती करते हुए केवल 1 लाख 43 हजार गठान नए बारदानों की आपूर्ति करने की सूचना जूट कमिश्नर के माध्यम से दी गई है. भारत सरकार द्वारा बारदानों की आपूर्ति में भारी कटौती करने के कारण राज्य में धान खरीदी प्रभावित न हो, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 70 हजार एचडीपीई, पीपी के नये बारदानों की खरीदी की गई है.