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गोवर्धन पूजा के मौके पर जैतू साव मठ में होती है विशेष पूजा, लगाया जाता है छप्पन भोग

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Published : Nov 5, 2021, 6:50 PM IST

Updated : Nov 5, 2021, 7:15 PM IST

रायपुर (Raipur) के प्राचीनतम मंदिर श्री जैतू साव मठ (Sri Jaitu Sav Math) में गोवर्धन पूजा (govardhan puja) का पर्व धूमधाम से मनाया गया. गोवर्धन पूजा के मौके पर हर वर्ष भगवान को छप्पन भोग (Chhappan bhog) लगाया जाता है.

Special worship is done in Jaitu Sav Math
जैतू साव मठ में होती है विशेष पूजा

रायपुरः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur)के प्राचीनतम मंदिर श्री जैतू साव मठ (Sri Jaitu Sav Math) में गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) का पर्व धूमधाम से मनाया गया. दरअसल, गोवर्धन पूजा के मौके पर हर वर्ष भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) और श्री कृष्ण (Sri Krishna) को छप्पन भोग (Chhappan bhog) लगाया जाता है. वहीं, पहले यहां भंडारे का भी आयोजन किया जाता था. हालांकि कोरोना संक्रमण (Corona infection) को देखते हुए भंडारे (Bhandara) के आयोजन पर रोक लग गई. लेकिन श्रद्धालुओं को पैकेट में में भंडारे का प्रसाद (Prasad) मिल जाता है.

लगाया जाता है छप्पन भोग

Govardhan puja 2021: इस दिन खुश रहना है जरूरी, जानिए क्यों

सनातन धर्म में गौ माता (Gau maata) का बड़ा महत्व है. गौ माता और प्रकृति के संरक्षण के लिए भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) को ही अपनी उंगली पर उठा लिया था. तब से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस साल भी हर साल की तरह मंदिर में पूजा के बाद महाआरती की गई.

250 सालों से मनाया जा रहा गोवर्धन पूजा का पर्व

बता दें कि रायपुर के जे तू सो मच में पिछले ढाई सौ वर्षों से गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस मौके पर भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है और महाआरती की जाती है.

2 वर्ष से नहींं हुआ भंडारे का आयोजन

बताया जा रहा है कि हर साल इस मौके पर प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया जाता है. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए पिछले 2 सालों से भंडारे का आयोजन नहीं किया जा रहा है. हालांकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पैकेट में प्रसाद वितरण किया जा रहा है.

प्रकृति और गौमाता की कष्ण ने की थी रक्षा

छत्तीसगढ़ की परंपरा में गौ माता को आज के दिन सोहाई (एक तरह का आभूषण) पहनाई जाती है. सनातन धर्म में गौ माता का बड़ा महत्व है. कहा जाता है कि आज ही के दिन गौ माता और प्रकृति की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली में उठा लिया था. तभी से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है.

हर पर्व इस मठ में धूमधाम से मनाया जाता है

इस विषय में जैतूसाव पुरानी बस्ती के अजय तिवारी बताते हैं कि जबसे मठ का निर्माण हुआ है. तबसे भगवान श्रीराम और भगवान कृष्ण यहां विराजमान हुए हैं. उस समय से अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, रामनवमी, जन्माष्टमी, देवउठनी एकादशी का त्योहार उल्लास के साथ यहां पर मनाया जाता है.

121 प्रकार के भोग लगे हैं

साथ ही उन्होंने बताया कि यहां हर वर्ष भगवान को छप्पन भोग लगते हैं. हालांकि इस बार 121 प्रकार के भोग लगाए गए हैं.

रायपुरः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur)के प्राचीनतम मंदिर श्री जैतू साव मठ (Sri Jaitu Sav Math) में गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) का पर्व धूमधाम से मनाया गया. दरअसल, गोवर्धन पूजा के मौके पर हर वर्ष भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) और श्री कृष्ण (Sri Krishna) को छप्पन भोग (Chhappan bhog) लगाया जाता है. वहीं, पहले यहां भंडारे का भी आयोजन किया जाता था. हालांकि कोरोना संक्रमण (Corona infection) को देखते हुए भंडारे (Bhandara) के आयोजन पर रोक लग गई. लेकिन श्रद्धालुओं को पैकेट में में भंडारे का प्रसाद (Prasad) मिल जाता है.

लगाया जाता है छप्पन भोग

Govardhan puja 2021: इस दिन खुश रहना है जरूरी, जानिए क्यों

सनातन धर्म में गौ माता (Gau maata) का बड़ा महत्व है. गौ माता और प्रकृति के संरक्षण के लिए भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) को ही अपनी उंगली पर उठा लिया था. तब से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस साल भी हर साल की तरह मंदिर में पूजा के बाद महाआरती की गई.

250 सालों से मनाया जा रहा गोवर्धन पूजा का पर्व

बता दें कि रायपुर के जे तू सो मच में पिछले ढाई सौ वर्षों से गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस मौके पर भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है और महाआरती की जाती है.

2 वर्ष से नहींं हुआ भंडारे का आयोजन

बताया जा रहा है कि हर साल इस मौके पर प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया जाता है. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए पिछले 2 सालों से भंडारे का आयोजन नहीं किया जा रहा है. हालांकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पैकेट में प्रसाद वितरण किया जा रहा है.

प्रकृति और गौमाता की कष्ण ने की थी रक्षा

छत्तीसगढ़ की परंपरा में गौ माता को आज के दिन सोहाई (एक तरह का आभूषण) पहनाई जाती है. सनातन धर्म में गौ माता का बड़ा महत्व है. कहा जाता है कि आज ही के दिन गौ माता और प्रकृति की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली में उठा लिया था. तभी से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है.

हर पर्व इस मठ में धूमधाम से मनाया जाता है

इस विषय में जैतूसाव पुरानी बस्ती के अजय तिवारी बताते हैं कि जबसे मठ का निर्माण हुआ है. तबसे भगवान श्रीराम और भगवान कृष्ण यहां विराजमान हुए हैं. उस समय से अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, रामनवमी, जन्माष्टमी, देवउठनी एकादशी का त्योहार उल्लास के साथ यहां पर मनाया जाता है.

121 प्रकार के भोग लगे हैं

साथ ही उन्होंने बताया कि यहां हर वर्ष भगवान को छप्पन भोग लगते हैं. हालांकि इस बार 121 प्रकार के भोग लगाए गए हैं.

Last Updated : Nov 5, 2021, 7:15 PM IST
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