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छत्तीसगढ़ में लर्निंग लॉस के विद्यार्थियों का आंकड़ा 51 से घटकर 7 प्रतिशत - corona period in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में लर्निंग लॉस के आंकड़ों में तेजी से गिरावट देखने को मिली (Number of students of learning loss decreased in Chhattisgarh) हैं. कोरोना काल के बाद जहां आंकड़ें चिंताजनक थे वहीं अब विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति नवा संचार पैदा हुआ है.

Number of students of learning loss decreased in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में लर्निंग लॉस के विद्यार्थियों का आंकड़ा 51 से घटकर 7 प्रतिशत
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Published : Jul 30, 2022, 6:51 PM IST

रायपुर : कोरोना काल के कारण बच्चों में हुए लर्निंग लॉस में छत्तीसगढ़ में अपनाई गई उचित रणनीति और सतत् प्रयास से तेजी से सुधार हुआ (Number of students of learning loss decreased in Chhattisgarh) है. लर्निंग लॉस के आकलन के लिए 27 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों पर किए गए सर्वे के अनुसार अब लर्निंग लॉस के विद्यार्थियों का आंकड़ा 51 से घटकर 7 से 8 प्रतिशत रह गया (learning loss progress in Chhattisgarh ) है. वार्षिक परीक्षा के आधार पर 90.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर आ गए हैं। इसके साथ ही न्यूनतम और प्रारंभिक स्तर के विद्यार्थियों का प्रतिशत घटकर लगभग 4 प्रतिशत रह गया है.

क्यों किया गया एनालिसिस : कोरोना काल में लंबे समय (corona period in chhattisgarh) से स्कूलों के बंद रहने के कारण कई प्रयासों के बाद भी बच्चों में लर्निंग लॉस देखा गया. इसके आकलन के लिए राज्य स्तरीय आकलन प्रणाली में बड़ा बदलाव लाते हुए उसे नया स्वरूप दिया गया. एससीईआरटी द्वारा प्रश्न पत्रों के परम्परागत पैटर्न में बड़ा बदलाव लाया गया. एनआईसी के सहयोग से ऑनलाईन ऑटोमेटेड असेसमेंट एनालिसिस सिस्टम तैयार किया गया है. इससे सुनिश्चित किया जा सका कि विद्यार्थी अपनी कक्षा स्तर से कितने स्तर नीचे है.

क्या मिला रिजल्ट : कोरोना काल के बाद प्रथम आकलन में पाया गया कि 51 प्रतिशत विद्यार्थी अपनी कक्षा के लायक नहीं थे. इस लर्निंग लॉस की बड़ी चुनौती को शिक्षा सचिव एस. भारतीदासन और संचालक राजेश सिंह राणा ने स्वीकार करते हुए कई कार्यक्रम शुरू किए. विद्यार्थियों को अपने कक्षा स्तर पर लाने के लिए ‘ब्रिज कोर्स’ (सेतु पाठ्यक्रम) का निर्माण किया गया. साथ ही शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ( Education Minister Dr Premsai Singh Tekam) ने उपचारात्मक शिक्षण हेतु ‘नवाजतन’ कार्यक्रम की शुरूआत की. स्कूल मॉनिटरिंग को सशक्त किया गया. परिणाम स्वरूप मिडलाइन टेस्ट (अर्द्धवार्षिक परीक्षा) में 75.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर पहुंच गए. वे 29 प्रतिशत विद्यार्थी जो लगभग प्रारंभिक स्तर पर पहुंच गए थे उनकी संख्या घटकर 11 प्रतिशत पर आ गई. इसी तरह एंडलाइन टेस्ट (वार्षिक परीक्षा) में 90.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर आ गए तथा न्यूनतम/प्रारंभिक स्तर के विद्यार्थियों का प्रतिशत घटकर लगभग 4 प्रतिशत रह गया.


प्रदेश की देश में तारीफ : छत्तीसगढ़ की इस सफलता की देशभर में तारीफ हुई है. नीति आयोग से लेकर राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान परिषद ने छत्तीसगढ़ की तारीफ करते हुए यहां के शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने के उपायों को कारगर बताया है. गौरतलब है कि कोरोना काल में जब शिक्षण संस्थाएं अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी गई थी, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने एक माह से भी कम समय में ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ ऑनलाईन शिक्षा पोर्टल का निर्माण कर ऑनलाईन कक्षाओं का संचालन शुरू किया गया. पहली से 12 तक की सभी पाठ्यपुस्तकों को इस पोर्टल पर अपलोड किया गया ताकि कोई भी विद्यार्थी अपने मोबाईल पर इसे आसानी से पढ़ सके. कोविड संक्रमण कम होते ही मोहल्ला कक्षा, लाउडस्पीकर कक्षा, अंगना म शिक्षा जैसे नवाचारी ऑफलाईन शिक्षण माध्यमों को अपनाया गया.

रायपुर : कोरोना काल के कारण बच्चों में हुए लर्निंग लॉस में छत्तीसगढ़ में अपनाई गई उचित रणनीति और सतत् प्रयास से तेजी से सुधार हुआ (Number of students of learning loss decreased in Chhattisgarh) है. लर्निंग लॉस के आकलन के लिए 27 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों पर किए गए सर्वे के अनुसार अब लर्निंग लॉस के विद्यार्थियों का आंकड़ा 51 से घटकर 7 से 8 प्रतिशत रह गया (learning loss progress in Chhattisgarh ) है. वार्षिक परीक्षा के आधार पर 90.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर आ गए हैं। इसके साथ ही न्यूनतम और प्रारंभिक स्तर के विद्यार्थियों का प्रतिशत घटकर लगभग 4 प्रतिशत रह गया है.

क्यों किया गया एनालिसिस : कोरोना काल में लंबे समय (corona period in chhattisgarh) से स्कूलों के बंद रहने के कारण कई प्रयासों के बाद भी बच्चों में लर्निंग लॉस देखा गया. इसके आकलन के लिए राज्य स्तरीय आकलन प्रणाली में बड़ा बदलाव लाते हुए उसे नया स्वरूप दिया गया. एससीईआरटी द्वारा प्रश्न पत्रों के परम्परागत पैटर्न में बड़ा बदलाव लाया गया. एनआईसी के सहयोग से ऑनलाईन ऑटोमेटेड असेसमेंट एनालिसिस सिस्टम तैयार किया गया है. इससे सुनिश्चित किया जा सका कि विद्यार्थी अपनी कक्षा स्तर से कितने स्तर नीचे है.

क्या मिला रिजल्ट : कोरोना काल के बाद प्रथम आकलन में पाया गया कि 51 प्रतिशत विद्यार्थी अपनी कक्षा के लायक नहीं थे. इस लर्निंग लॉस की बड़ी चुनौती को शिक्षा सचिव एस. भारतीदासन और संचालक राजेश सिंह राणा ने स्वीकार करते हुए कई कार्यक्रम शुरू किए. विद्यार्थियों को अपने कक्षा स्तर पर लाने के लिए ‘ब्रिज कोर्स’ (सेतु पाठ्यक्रम) का निर्माण किया गया. साथ ही शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ( Education Minister Dr Premsai Singh Tekam) ने उपचारात्मक शिक्षण हेतु ‘नवाजतन’ कार्यक्रम की शुरूआत की. स्कूल मॉनिटरिंग को सशक्त किया गया. परिणाम स्वरूप मिडलाइन टेस्ट (अर्द्धवार्षिक परीक्षा) में 75.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर पहुंच गए. वे 29 प्रतिशत विद्यार्थी जो लगभग प्रारंभिक स्तर पर पहुंच गए थे उनकी संख्या घटकर 11 प्रतिशत पर आ गई. इसी तरह एंडलाइन टेस्ट (वार्षिक परीक्षा) में 90.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर आ गए तथा न्यूनतम/प्रारंभिक स्तर के विद्यार्थियों का प्रतिशत घटकर लगभग 4 प्रतिशत रह गया.


प्रदेश की देश में तारीफ : छत्तीसगढ़ की इस सफलता की देशभर में तारीफ हुई है. नीति आयोग से लेकर राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान परिषद ने छत्तीसगढ़ की तारीफ करते हुए यहां के शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने के उपायों को कारगर बताया है. गौरतलब है कि कोरोना काल में जब शिक्षण संस्थाएं अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी गई थी, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने एक माह से भी कम समय में ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ ऑनलाईन शिक्षा पोर्टल का निर्माण कर ऑनलाईन कक्षाओं का संचालन शुरू किया गया. पहली से 12 तक की सभी पाठ्यपुस्तकों को इस पोर्टल पर अपलोड किया गया ताकि कोई भी विद्यार्थी अपने मोबाईल पर इसे आसानी से पढ़ सके. कोविड संक्रमण कम होते ही मोहल्ला कक्षा, लाउडस्पीकर कक्षा, अंगना म शिक्षा जैसे नवाचारी ऑफलाईन शिक्षण माध्यमों को अपनाया गया.

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