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पोस्टमॉर्टम नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग पर बढ़ रहा था दबाव, जानिए क्यों जरूरी है शव का पीएम

प्रदेश में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी है. अब तक 77 लोगों की जान कोरोना से जा चुकी है. इसी बीच राजधानी रायपुर में पोस्टमॉर्टम को लेकर पिछले हफ्ते काफी दबाव देखने को मिला. पोस्टमॉर्टम नहीं होने से पुलिस महकमा भी चिंतित था. हालांकि अब स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पिछले हफ्ते जितने भी शव पोस्टमॉर्टम के लिए आए थे, उन सभी का पोस्टमॉर्टम कर लिया गया है.

Not having postmortem was increasing pressure on health department in raipur
पोस्टमॉर्टम नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग पर बढ़ रहा था दबाव
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Published : Aug 7, 2020, 4:46 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 12:58 PM IST

रायपुर: देश के साथ ही प्रदेश में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. इसके साथ ही कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. इसी बीच राजधानी रायपुर में पोस्टमॉर्टम को लेकर पिछले हफ्ते काफी दबाव बना हुआ था. प्रदेश में 77 मौतें कोरोना से हो चुकी हैं, ऐसे में कई शवों का पोस्टमॉर्टम होना था.

जानकारी के मुताबिक स्टाफ की कमी और कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर कई शवों का पोस्टमॉर्टम नहीं हो पा रहा था, जिसकी वजह से पुलिस महकमे की चिंता भी बढ़ती जा रही थी. वहीं स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया को जल्द संपन्न करने के लिए आग्रह भी किया गया था. हालांकि अब स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पिछले हफ्ते बने दबाव को दूर कर लिया गया है और अब उनके पास एक भी शव पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं बचा है.

पोस्टमॉर्टम नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग पर बढ़ रहा था दबाव

पोस्टमॉर्टम में देरी से क्यों बढ़ती हैं मुश्किलें

पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट कई बार न्यायालयीन मामलों में अहम सबूत का काम करती है. ऐसे में पुलिस विभाग को अक्सर चिंता होती है कि किसी भी शव का जल्द से जल्द पोस्टमॉर्टम कर लिया जाए, ताकि सबूत को सुरक्षित रखा जा सके. इसके अलावा भी मर्चुरी में ज्यादा दिनों तक शव रखने से कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. शव की स्थिति खराब होने लगती है. ऐसे में पोस्टमॉर्टम को लेकर होने वाली देरी कई तरह की मुश्किलें पैदा कर सकती है.

सामान्य दिनों में रोज होता है 10 से 12 पोस्टमॉर्टम

मेकाहारा प्रबंधन के मुताबिक सामान्य दिनों में रोजाना 10 से 12 शवों का पोस्टमॉर्टम किया जाता है. कोरोना की वजह से पिछले हफ्ते आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती हुए सफाई कर्मचारियों की नाराजगी की वजह से पोस्टमॉर्टम करने में कुछ समय के लिए दिक्कत आई थी, जिसे जल्द ही दूर कर लिया गया है. हालांकि प्रबंधन ने ये साफ नहीं किया है कि इन दिनों हर रोज कितने शवों का पोस्टमॉर्टम हो रहा है. वहीं पिछले हफ्ते तक चिंता में नजर आ रही पुलिस फिलहाल संतुष्ट नजर आ रही है.

स्वास्थ्य विभाग ने पोस्टमॉर्टम के मामले में खत्म की पेंडिंग

देश के कई शहरों में पोस्टमॉर्टम को लेकर कई तरह की समस्याओं की खबरों के बीच जिस तरह छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग ने बिगड़ते हालात को संभाला है और पोस्टमॉर्टम के मामले में पेंडिंग को खत्म किया है वह काबिलेतारीफ है.

क्यों जरूरी है पोस्टमॉर्टम

मेडिकल साइंस में पोस्टमॉर्टम एक बेहद ही अहम प्रतिक्रिया है, जिससे व्यक्ति की मौत की असली वजह का पता चलता है. हालांकि व्यक्ति की मौत की सटीक वजह जानने के लिए पोस्टमॉर्टम 10 घंटे के भीतर कर लिया जाना चाहिए.

पुलिस की अनुमति से कराया जाता है पोस्टमॉर्टम

बता दें कि शव का परीक्षण करने और मौत की असल वजह के बारे में जानने के लिए पोस्टमॉर्टम किया जाता है. पुलिस के पास पहुंचने वाले सभी मामलों में पोस्टमॉर्टम कराया जाता है. बिना पोस्टमॉर्टम कराए पुलिस किसी भी मामले की जांच करने में असक्षम रहती है. कुछ मामलों में पोस्टमॉर्टम करने के लिए संबंधित व्यक्ति के परिजनों की सहमति जरूरी होती है, जबकि ज्यादातर मामलों में पुलिस की अनुमति से ही पोस्टमॉर्टम कराया जाता है.

रात में इसलिए नहीं किया जाता पोस्टमॉर्टम

पोस्टमॉर्टम करने के लिए डॉक्टर सूर्योदय से सूर्यास्त तक के समय को बेहतर मानते हैं. इसके पीछे दो वजहें बताई जाती हैं. पहली वजह वैज्ञानिक है, जबकि दूसरी वजह धर्म से जुड़ी हुई है. वैज्ञानिक कारण कहते हैं कि रात के समय दूधिया रोशनी में चोट का रंग लाल दिखने के बजाए बैंगनी रंग का दिखता है, जबकि मेडिकल साइंस में बैंगनी रंग की चोट का कोई उल्लेख नहीं किया गया है. इसके अलावा धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि अंधेरा होने के बाद शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए. यही वजह है कि बहुत जरूरी नहीं होने पर ज्यादातर पोस्टमॉर्टम अंधेरा ढलने से पहले ही किए जाते हैं.

पढ़ें: वाह रे सिस्टम ! पोस्टमार्टम के लिए 70 किमी आए लेकिन रिश्वत के लिए गिरवी रखनी पड़ी गाड़ी

बता दें कि देश में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या में रोजना वृद्धि हो रही है. इस बीच कई ऐसे भी मामले सामने आए, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया. हालांकि इन सब के बीच भी लोग सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

रायपुर: देश के साथ ही प्रदेश में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. इसके साथ ही कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. इसी बीच राजधानी रायपुर में पोस्टमॉर्टम को लेकर पिछले हफ्ते काफी दबाव बना हुआ था. प्रदेश में 77 मौतें कोरोना से हो चुकी हैं, ऐसे में कई शवों का पोस्टमॉर्टम होना था.

जानकारी के मुताबिक स्टाफ की कमी और कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर कई शवों का पोस्टमॉर्टम नहीं हो पा रहा था, जिसकी वजह से पुलिस महकमे की चिंता भी बढ़ती जा रही थी. वहीं स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया को जल्द संपन्न करने के लिए आग्रह भी किया गया था. हालांकि अब स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पिछले हफ्ते बने दबाव को दूर कर लिया गया है और अब उनके पास एक भी शव पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं बचा है.

पोस्टमॉर्टम नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग पर बढ़ रहा था दबाव

पोस्टमॉर्टम में देरी से क्यों बढ़ती हैं मुश्किलें

पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट कई बार न्यायालयीन मामलों में अहम सबूत का काम करती है. ऐसे में पुलिस विभाग को अक्सर चिंता होती है कि किसी भी शव का जल्द से जल्द पोस्टमॉर्टम कर लिया जाए, ताकि सबूत को सुरक्षित रखा जा सके. इसके अलावा भी मर्चुरी में ज्यादा दिनों तक शव रखने से कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. शव की स्थिति खराब होने लगती है. ऐसे में पोस्टमॉर्टम को लेकर होने वाली देरी कई तरह की मुश्किलें पैदा कर सकती है.

सामान्य दिनों में रोज होता है 10 से 12 पोस्टमॉर्टम

मेकाहारा प्रबंधन के मुताबिक सामान्य दिनों में रोजाना 10 से 12 शवों का पोस्टमॉर्टम किया जाता है. कोरोना की वजह से पिछले हफ्ते आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती हुए सफाई कर्मचारियों की नाराजगी की वजह से पोस्टमॉर्टम करने में कुछ समय के लिए दिक्कत आई थी, जिसे जल्द ही दूर कर लिया गया है. हालांकि प्रबंधन ने ये साफ नहीं किया है कि इन दिनों हर रोज कितने शवों का पोस्टमॉर्टम हो रहा है. वहीं पिछले हफ्ते तक चिंता में नजर आ रही पुलिस फिलहाल संतुष्ट नजर आ रही है.

स्वास्थ्य विभाग ने पोस्टमॉर्टम के मामले में खत्म की पेंडिंग

देश के कई शहरों में पोस्टमॉर्टम को लेकर कई तरह की समस्याओं की खबरों के बीच जिस तरह छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग ने बिगड़ते हालात को संभाला है और पोस्टमॉर्टम के मामले में पेंडिंग को खत्म किया है वह काबिलेतारीफ है.

क्यों जरूरी है पोस्टमॉर्टम

मेडिकल साइंस में पोस्टमॉर्टम एक बेहद ही अहम प्रतिक्रिया है, जिससे व्यक्ति की मौत की असली वजह का पता चलता है. हालांकि व्यक्ति की मौत की सटीक वजह जानने के लिए पोस्टमॉर्टम 10 घंटे के भीतर कर लिया जाना चाहिए.

पुलिस की अनुमति से कराया जाता है पोस्टमॉर्टम

बता दें कि शव का परीक्षण करने और मौत की असल वजह के बारे में जानने के लिए पोस्टमॉर्टम किया जाता है. पुलिस के पास पहुंचने वाले सभी मामलों में पोस्टमॉर्टम कराया जाता है. बिना पोस्टमॉर्टम कराए पुलिस किसी भी मामले की जांच करने में असक्षम रहती है. कुछ मामलों में पोस्टमॉर्टम करने के लिए संबंधित व्यक्ति के परिजनों की सहमति जरूरी होती है, जबकि ज्यादातर मामलों में पुलिस की अनुमति से ही पोस्टमॉर्टम कराया जाता है.

रात में इसलिए नहीं किया जाता पोस्टमॉर्टम

पोस्टमॉर्टम करने के लिए डॉक्टर सूर्योदय से सूर्यास्त तक के समय को बेहतर मानते हैं. इसके पीछे दो वजहें बताई जाती हैं. पहली वजह वैज्ञानिक है, जबकि दूसरी वजह धर्म से जुड़ी हुई है. वैज्ञानिक कारण कहते हैं कि रात के समय दूधिया रोशनी में चोट का रंग लाल दिखने के बजाए बैंगनी रंग का दिखता है, जबकि मेडिकल साइंस में बैंगनी रंग की चोट का कोई उल्लेख नहीं किया गया है. इसके अलावा धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि अंधेरा होने के बाद शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए. यही वजह है कि बहुत जरूरी नहीं होने पर ज्यादातर पोस्टमॉर्टम अंधेरा ढलने से पहले ही किए जाते हैं.

पढ़ें: वाह रे सिस्टम ! पोस्टमार्टम के लिए 70 किमी आए लेकिन रिश्वत के लिए गिरवी रखनी पड़ी गाड़ी

बता दें कि देश में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या में रोजना वृद्धि हो रही है. इस बीच कई ऐसे भी मामले सामने आए, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया. हालांकि इन सब के बीच भी लोग सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

Last Updated : Aug 8, 2020, 12:58 PM IST
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