रायपुर: नीति आयोग ने एक बार फिर शिक्षा के लिए राजनांदगांव की तारीफ की है. आयोग ने पढ़ई तुंहर दुआर के तहत राजनांदगांव जिले में बच्चों की शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रभावी प्रयासों की प्रशंसा की है. नीति आयोग ने कहा कि कोविड-19 की विषम परिस्थिति के बावजूद भी राजनांदगांव जिले के सुदूर वनांचल के क्षेत्रों के बच्चों को सहजता से शिक्षा उपलब्ध हो रही है और बच्चे अध्ययन-अध्यापन की इस नवाचार से आनंदित हो रहे हैं. शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से बच्चों की पढ़ाई में कहीं कोई बाधा नहीं आ रही है.
’पढ़ई तुंहर दुआर’ के लिए नारायणपुर की भी तारीफ
नीति आयोग ने अगस्त माह में भी प्रदेश के नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल जिला नारायणपुर के नेटवर्क विहीन क्षेत्रों में जिला प्रशासन एवं गांव के शिक्षित युवक-युवतियों की सामुदायिक सहभागिता से संचालित ’पढ़ई तुंहर दुआर’ योजना की सराहना की थी.
कोरोना काल में कारगर साबित हो रही ’पढ़ई तुंहर दुआर’
छत्तीसगढ़ में कोरोना की इस विषम परिस्थिति में भी बच्चों तक सुलभ और सुचारू शिक्षा के लिए ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था के रूप में ’पढ़ई तुंहर दुआर’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इस व्यवस्था के तहत प्रदेश के करीब 22 लाख छात्र-छात्राएं और करीब 2 लाख शिक्षक अध्ययन-अध्यापन से जुड़े हुए हैं.
विभिन्न माध्यमों से हो रही पढ़ाई
राज्य शासन द्वारा संचालित पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के अंतर्गत ऑनलाइन पढ़ाई के अतिरिक्त शिक्षकों के द्वारा समुदाय की सहभागिता से कई नवाचार की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, जिसमें गांव और मोहल्ले में समुदाय की सहभागिता से बच्चों की सीखने की व्यवस्था, लाउडस्पीकर और बुलटू के बोल के माध्यम से पढ़ाई शामिल है.
सुदूर वनांचलों में भी नहीं थम रही शिक्षा की रफ्तार
जिले के कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा के मार्गदर्शन में शिक्षा विभाग की टीम सराहनीय काम कर रही है. जिले में विभिन्न माध्यमों से बच्चों को पढ़ाई कराई जा रही है. सुदूर वनांचलों में भी शिक्षकों एवं शिक्षा सारथियों ने अध्ययन-अध्यापन की कमान थामी हुई है. मोहल्ला क्लास, बुल्टू के बोल एवं सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग राजनांदगांव जिले में बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है.