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NIT के प्रोफेसर और स्कॉलर ने बनाया अनोखा सिस्टम: दिमाग से भेजे गए सिग्नल को देवनागरी में सिस्टम करेगा कन्वर्ट

अब मरीजों के दिमाग को पढ़ने वाले सिस्टम का निर्माण हुआ है. एनआईटी रायपुर के प्रोफेसर और स्कॉलर ने ये अनोखा सिस्टम बनाया है. विस्तार से जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

signal sent from brain into Devanagari script
सिग्नल को देवनागरी लिपि में कर देगा कन्वर्ट
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Published : Apr 4, 2022, 8:58 PM IST

रायपुर: पूरी दुनिया में तकनीक का तेजी से विकास हो रहा है. तकनीक के क्षेत्र में भारत ने कई देशों को आज पीछे छोड़ दिया है. आईओटी, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दिन ब दिन हमारी जिंदगी को और हमारे काम करने वाले तरीकों को सरल बनाने में लगे हुए हैं. हेल्थकेयर सेक्टर में भी तकनीक तेजी से विकसित होती जा रही है, जिस वजह से डॉक्टरों का काम आसान हो रहा है.

NIT के प्रोफेसर और स्कॉलर ने बनाया अनोखा सिस्टम

हेल्थ के क्षेत्र में रायपुर एनआईटी के प्रोफेसर और रिसर्च स्कॉलर ने मिलकर एक ऐसा सिस्टम बनाया है जिससे महज 2 सेकंड में ब्रेन सिग्नल को मैसेज में कन्वर्ट किया जा सकता है. भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं जो बोल सुन नहीं सकते हैं. ऐसे में उन लोगों को अपनी परेशानी डॉक्टरों को बताने में काफी दिक्कतें होती है. इस सिस्टम के माध्यम से इस तरह के मरीज इसके साथ ही न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर और पैरालाइसिस के मरीज भी अपनी परेशानी डॉक्टरों को बता सकते हैं. इस सिस्टम के बारे में ईटीवी भारत में रायपुर एनआईटी के प्रोफेसर डॉ एन डी लोढ़े से बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

देवनागरी लिपि में सिस्टम दिमाग के भेजे गए सिग्नल को कर देगा कन्वर्ट: रायपुर एनआईटी के प्रोफेसर डॉ. एन डी लोंढे ने बताया कि 4 साल की मेहनत से हमने ऐसा सिस्टम बनाया है, जो पैरालाइसिस, न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से ग्रसित मरीज, जो बोल नहीं पाते. वह इस सिस्टम के माध्यम से अपनी परेशानी डॉक्टर को बता सकते हैं. देश में ऐसे बहुत सारे मरीज हैं, जो बोल-सुन नहीं पाते. इस वजह से डॉक्टरों को उनकी परेशानी जानने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस सिस्टम के माध्यम से डॉ. आसानी से किसी भी मरीज के दिमाग से मिले सिग्नल को टेक्स्ट फॉर्म में कन्वर्ट कर सकता है, जिसे डॉक्टर आसानी से पढ़ सकते हैं.

कैसे काम करता है ये सिस्टम: यह सिस्टम कंप्यूटर या लैपटॉप से कनेक्टेड रहता है. सिस्टम के वायर को मास्क के रूप में मरीज के ब्रेन से जोड़ा जाता है. उसके बाद डॉक्टर कोई भी प्रश्न करते हैं. मरीज के सामने स्क्रीन में बहुत से अक्षर आते है तो मरीज उस अक्षर को दिमाग में रिपीट करता है. यह सिस्टम उस अक्षर को कंप्यूटर में जोड़ कर शब्द को टेक्स्ट के फॉर्म में दर्शाती है. इस सिस्टम में टीचर स्टूडेंट लर्निंग टेक्निक का यूज हुआ है. इस तरह की सिस्टम पहले इंग्लिश, चाइनीज और जापानी में बनाई जा चुकी है. लेकिन ये पहला सिस्टम है जो देवनागरी लिपि में मरीज द्वारा दिए जा रहे आंसर को दिखाती है. जो मरीज बोल नहीं सकते, पैरालाइसिस और न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर वाले मरीजों के लिए यह एक तरीके का वरदान है.

दिमाग के सिग्नल को देवनागरी लिपि में कन्वर्ट करेगा सिस्टम: अभी सिस्टम का इस्तेमाल लैपटॉप के माध्यम से किया जा रहा है. लेकिन आने वाले समय में मोबाइल से भी इससे ऑपरेट किया जा सकेगा. इस सिस्टम को पेशेंट केयर के लिए डिजाइन किया गया है. फिलहाल इस सिस्टम को लैपटॉप से इस्तेमाल किया जा रहा है. इस वजह से जब डॉक्टर को मरीज से बात करनी होती है. तभी इसे शुरू किया जाता है. जब यह सिस्टम मोबाइल में शुरू कर दिया जाएगा. तब डॉक्टर या मरीज के परिजन पास नहीं होंगे फिर भी उनको डायरेक्ट मैसेज मिल जाएगा.

रायपुर: पूरी दुनिया में तकनीक का तेजी से विकास हो रहा है. तकनीक के क्षेत्र में भारत ने कई देशों को आज पीछे छोड़ दिया है. आईओटी, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दिन ब दिन हमारी जिंदगी को और हमारे काम करने वाले तरीकों को सरल बनाने में लगे हुए हैं. हेल्थकेयर सेक्टर में भी तकनीक तेजी से विकसित होती जा रही है, जिस वजह से डॉक्टरों का काम आसान हो रहा है.

NIT के प्रोफेसर और स्कॉलर ने बनाया अनोखा सिस्टम

हेल्थ के क्षेत्र में रायपुर एनआईटी के प्रोफेसर और रिसर्च स्कॉलर ने मिलकर एक ऐसा सिस्टम बनाया है जिससे महज 2 सेकंड में ब्रेन सिग्नल को मैसेज में कन्वर्ट किया जा सकता है. भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं जो बोल सुन नहीं सकते हैं. ऐसे में उन लोगों को अपनी परेशानी डॉक्टरों को बताने में काफी दिक्कतें होती है. इस सिस्टम के माध्यम से इस तरह के मरीज इसके साथ ही न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर और पैरालाइसिस के मरीज भी अपनी परेशानी डॉक्टरों को बता सकते हैं. इस सिस्टम के बारे में ईटीवी भारत में रायपुर एनआईटी के प्रोफेसर डॉ एन डी लोढ़े से बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

देवनागरी लिपि में सिस्टम दिमाग के भेजे गए सिग्नल को कर देगा कन्वर्ट: रायपुर एनआईटी के प्रोफेसर डॉ. एन डी लोंढे ने बताया कि 4 साल की मेहनत से हमने ऐसा सिस्टम बनाया है, जो पैरालाइसिस, न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से ग्रसित मरीज, जो बोल नहीं पाते. वह इस सिस्टम के माध्यम से अपनी परेशानी डॉक्टर को बता सकते हैं. देश में ऐसे बहुत सारे मरीज हैं, जो बोल-सुन नहीं पाते. इस वजह से डॉक्टरों को उनकी परेशानी जानने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस सिस्टम के माध्यम से डॉ. आसानी से किसी भी मरीज के दिमाग से मिले सिग्नल को टेक्स्ट फॉर्म में कन्वर्ट कर सकता है, जिसे डॉक्टर आसानी से पढ़ सकते हैं.

कैसे काम करता है ये सिस्टम: यह सिस्टम कंप्यूटर या लैपटॉप से कनेक्टेड रहता है. सिस्टम के वायर को मास्क के रूप में मरीज के ब्रेन से जोड़ा जाता है. उसके बाद डॉक्टर कोई भी प्रश्न करते हैं. मरीज के सामने स्क्रीन में बहुत से अक्षर आते है तो मरीज उस अक्षर को दिमाग में रिपीट करता है. यह सिस्टम उस अक्षर को कंप्यूटर में जोड़ कर शब्द को टेक्स्ट के फॉर्म में दर्शाती है. इस सिस्टम में टीचर स्टूडेंट लर्निंग टेक्निक का यूज हुआ है. इस तरह की सिस्टम पहले इंग्लिश, चाइनीज और जापानी में बनाई जा चुकी है. लेकिन ये पहला सिस्टम है जो देवनागरी लिपि में मरीज द्वारा दिए जा रहे आंसर को दिखाती है. जो मरीज बोल नहीं सकते, पैरालाइसिस और न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर वाले मरीजों के लिए यह एक तरीके का वरदान है.

दिमाग के सिग्नल को देवनागरी लिपि में कन्वर्ट करेगा सिस्टम: अभी सिस्टम का इस्तेमाल लैपटॉप के माध्यम से किया जा रहा है. लेकिन आने वाले समय में मोबाइल से भी इससे ऑपरेट किया जा सकेगा. इस सिस्टम को पेशेंट केयर के लिए डिजाइन किया गया है. फिलहाल इस सिस्टम को लैपटॉप से इस्तेमाल किया जा रहा है. इस वजह से जब डॉक्टर को मरीज से बात करनी होती है. तभी इसे शुरू किया जाता है. जब यह सिस्टम मोबाइल में शुरू कर दिया जाएगा. तब डॉक्टर या मरीज के परिजन पास नहीं होंगे फिर भी उनको डायरेक्ट मैसेज मिल जाएगा.

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