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Vikram Samvat: 22 मार्च से होगी नए हिंदू वर्ष की शुरुआत, जानिए कैसे काम करते हैं इस्लामिक और अंग्रेजी कैलेंडर - हिंदू पंचांग

रोजमर्रा के कामों में या सरकारी कामकाज में आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है. इसी के हिसाब से सप्ताह में काम करने के दिन और छुट्टी तय होती है. हिंदू धर्म में शादी ब्याह या व्रत त्योहार नए विक्रम संवत के मुताबिक मनाए जाते हैं. इस बार विक्रम संवत या नए हिंदू वर्ष की शुरुआत 22 मार्च से होगी. यह अंग्रेजी कैलेंडर से कितना अलग है और इस्लामिक कैलेंडर किस तरह करता है काम, आइए जानते हैं.New Hindu year

Vikram Samvat
22 मार्च से होगी नए हिंदू वर्ष की शुरुआत
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Published : Mar 18, 2023, 8:46 PM IST

22 मार्च से होगी नए हिंदू वर्ष की शुरुआत

रायपुर: शालीवाहन राजा ने जब शकों को हराया तो उसकी स्मृति में शक संवत की शुरुआत 78 ईसवी से की. शक संवत 22 मार्च 2023 को 1945 शक के रूप में शुरू होने जा रहा है. यह वर्षों से हमारे पंचांग का अहम हिस्सा है. यह पंचांग सूर्य सिद्धांत पर आधारित है. ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक "हिंदू पंचांग चैत्र मास की प्रतिपदा 22 मार्च 2023 यानी बुधवार से नया संवत, नया हिंदू वर्ष, नया सनातन वर्ष, नव हिंदू पंचांग शुरू हो रहा है. यह विक्रम संवत 2080 शालिवाहन शक 1945 के रूप में जाना जाएगा."

तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण से मिलकर बना है हिंदू पंचांग: हिंदू पंचांग चैत्र शुक्ल पक्ष से शुरू होता है. चैत्र, वैशाख, ज्येष्ट, आषाढ़, सावन, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन कुल 12 महीने होते हैं. हिंदू पंचांग पांच तत्वों से मिलकर बना है. तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण. कुल तिथियां 30 होती हैं, जिसमें 7 वार होते हैं. 27 नक्षत्र 27 योग और 11 करण से मिलकर हिंदू पंचांग बना है.

Navaratri Ghat Sthapana : चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त और महत्व जानिए

365 दिनों का होता है अंग्रेजी कैलेंडर: अंग्रेजी कैलेंडर 1 जनवरी से शुरू होते हैं. इनमें जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर कुल 12 माह होते हैं. कुल 365 दिनों के सहयोग से अंग्रेजी कैलेंडर की स्थापना होती है. अंग्रेजी कैलेंडर में भी 7 वार होते हैं. इसके अलावा अंग्रेजी कैलेंडर का यह 2023 वर्ष है. हर 4 साल में एक बार आने वाले लीप वर्ष में फरवरी का महीना 29 दिनों का होता है. आधे दिन को समायोजित कर हर चौथे वर्ष में इसे जोड़ा जाता है. यह ग्रेगोरियन कैलेंडर भी माना जाता है.

लूनर सिस्टम पर आधारित है इस्लामिक कैलेंडर: वर्तमान में हिजरी सन् 1430-1431 चल रहा है. हिजरी सन चंद्रमा पर आधारित है. यह चंद्र कालदर्शक के सिद्धांत पर आधारित है. यह लूनर सिस्टम के आधार पर चलता है. इसमें 354 या 355 दिन होते हैं. इसमें हर साल 10 से 11 दिनों की कमी होती है.

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रायपुर: शालीवाहन राजा ने जब शकों को हराया तो उसकी स्मृति में शक संवत की शुरुआत 78 ईसवी से की. शक संवत 22 मार्च 2023 को 1945 शक के रूप में शुरू होने जा रहा है. यह वर्षों से हमारे पंचांग का अहम हिस्सा है. यह पंचांग सूर्य सिद्धांत पर आधारित है. ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक "हिंदू पंचांग चैत्र मास की प्रतिपदा 22 मार्च 2023 यानी बुधवार से नया संवत, नया हिंदू वर्ष, नया सनातन वर्ष, नव हिंदू पंचांग शुरू हो रहा है. यह विक्रम संवत 2080 शालिवाहन शक 1945 के रूप में जाना जाएगा."

तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण से मिलकर बना है हिंदू पंचांग: हिंदू पंचांग चैत्र शुक्ल पक्ष से शुरू होता है. चैत्र, वैशाख, ज्येष्ट, आषाढ़, सावन, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन कुल 12 महीने होते हैं. हिंदू पंचांग पांच तत्वों से मिलकर बना है. तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण. कुल तिथियां 30 होती हैं, जिसमें 7 वार होते हैं. 27 नक्षत्र 27 योग और 11 करण से मिलकर हिंदू पंचांग बना है.

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365 दिनों का होता है अंग्रेजी कैलेंडर: अंग्रेजी कैलेंडर 1 जनवरी से शुरू होते हैं. इनमें जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर कुल 12 माह होते हैं. कुल 365 दिनों के सहयोग से अंग्रेजी कैलेंडर की स्थापना होती है. अंग्रेजी कैलेंडर में भी 7 वार होते हैं. इसके अलावा अंग्रेजी कैलेंडर का यह 2023 वर्ष है. हर 4 साल में एक बार आने वाले लीप वर्ष में फरवरी का महीना 29 दिनों का होता है. आधे दिन को समायोजित कर हर चौथे वर्ष में इसे जोड़ा जाता है. यह ग्रेगोरियन कैलेंडर भी माना जाता है.

लूनर सिस्टम पर आधारित है इस्लामिक कैलेंडर: वर्तमान में हिजरी सन् 1430-1431 चल रहा है. हिजरी सन चंद्रमा पर आधारित है. यह चंद्र कालदर्शक के सिद्धांत पर आधारित है. यह लूनर सिस्टम के आधार पर चलता है. इसमें 354 या 355 दिन होते हैं. इसमें हर साल 10 से 11 दिनों की कमी होती है.

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