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Naxalites Attack on Leaders : नक्सली हिंसा में नेताओं की हत्या पर सियासत, इतने लीडर को उतारा मौत के घाट

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर नक्सलियों ने बीजेपी नेता की गोली मारकर हत्या कर दी है. इस बार नक्सिलयों ने नारायणपुर के भाजपा जिला उपाध्यक्ष सागर साहू की हत्या की है. पिछले चार साल में नक्सलियों ने बीजेपी के 4 नेताओं की हत्या कर दी है. इसमें दंतेवाड़ा के विधायक भीमा मंडावी भी शामिल हैं. वहीं कांग्रेस ने भी झीरम हमले में अपने 27 नेताओ को खो दिया था. इस तरह नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ ने अपने 31 नेताओं को खोना पड़ा.

Naxalites Attack on Leaders
नक्सली हिंसा में नेताओं की हत्या पर सियासत
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Published : Feb 11, 2023, 8:46 PM IST

Updated : Feb 11, 2023, 9:05 PM IST

राजनेताओं पर लाल आतंक का रक्त चरित्र

रायपुर: नेताओं पर हो रहे नक्सली हमले के बाद प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. विपक्ष में बैठी भाजपा कांग्रेस पर हमला बोल रही है तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी दल कांग्रेस भी यह अलाप रही है कि झीरम कांड में हमने भी अपने नेताओं को खोया है. राजनीतिक दलों के भले ही एक दूसरे पर आरोप लगते रहे, लेकिन नक्सली एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में आइये जानते हैं कि छत्तीसगढ़ में अब तक कितने नेताओं की हत्या नक्सलियों की और नेताओं की हत्या के पीछे की वजह क्या रही.


कांग्रेस-बीजेपी दोनों दलों के नेताओं की हत्या: छत्तीसगढ़ राज्य गठन को 22 बरस से अधिक हो गए हैं, लेकिन नक्सलवाद के दंश से अब भी यह राज्य जूझ रहा है. कभी कांग्रेस नेताओं की हत्या कर दी जाती है तो कभी भाजपा नेताओं को मौत के घाट उतार दिया जाता है. हालांकि नक्सली पहले गांव के सरंपच, पंच लोगों की मुखबिरी के शक में हत्या करते थे, लेकिन दिनों दिन बड़े नेताओं को भी अब नक्सली निशाना बना रहे हैं.

25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को नक्सलियों ने निशाना बनाया था. जिसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्रकर्मा समेत 27 नेताओं की शहादत हुई थी. इसके बाद दूसरी बड़ी घटना 9 अप्रैल 2019 को हुई. जिसमें नक्सलियों ने दंतेवाड़ा के विधायक और भाजपा नेता भीमा मंडावी पर हमला किया. जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी. इस तरह लगातार राजनीतिक दलों के नेताओं को नक्सली निशाना बना रहे हैं.

यह भी पढ़ें: cremation of bjp leader sagar sahu: बीजेपी नेता सागर साहू को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दी श्रद्धांजलि, अंतिम विदाई में उमड़े लोग

रमन बोले बीजेपी को किया जा रहा टारगेट: नारायणपुर में नक्सलियों ने भाजपा नेता सागर साहू की शुक्रवार को गोली मारकर हत्या कर दी. कुछ दिन पहले ही बीजापुर के मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्केम की कुल्हाड़ी से वार कर मौत की नींद सुला दिया. लगातार भाजपा नेताओं की हत्या से भाजपा आक्रोशित है. भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि "भाजपा कार्यकर्ता सागर साहू की नक्सलियों ने निर्मम हत्या कर दी है."

उन्होंने कहा कि "बस्तर में लगातार घटनाओं का दौर चल रहा है. एक महीने में तीसरी हत्या भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की हुई है. पहले जिला मंत्री जगदलपुर के बुधराम की, फिर उसूर ब्लॉक के नीलकंठ कक्केम की और अब नारायणपुर में सागर की हत्या कर दी गई है. इस प्रकार कांग्रेस की सरकार नक्सलियों को रोकने में असफल रही है. बीजेपी को ही टार्गेट बनाया जा रहा है. इसके राजनीतिक कारण और राजनीतिक संदर्भ निकाले जा सकते हैं. कहीं न कहीं मिलीभगत है. हमने जांच की मांग की है, लेकिन इस तरह की घटना रोकी जानी चाहिए."

सीएम बघेल ने कहा, सर्वाधिक नक्सली घटना का शिकार हुए कांग्रेसी: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि "डॉक्टर रमन सिंह जी 15 साल मुख्यमंत्री रहे हैं और जब भी इस प्रकार की घटना होती तो उसमें वे कहते थे कि राजनीति नहीं होनी चाहिए. जैसे ही आज विपक्ष में आए उसमें वे राजनीति देख रहे हैं. नक्सली दंश यदि देश में किसी पार्टी ने सबसे ज्यादा झेला है तो वह कांग्रेस पार्टी है. और यह सारी चीजें डॉ. रमन सिंह के शासन काल में हुआ है. झीरम में हमारे प्रथम पंक्ति के सारे नेता शहीद हुए हैं. इसलिए हम कहते हैं कि वह राजनीति अपराधिक षड़यंत्र था, जांच दे दें. बीते दिनों भी हमने कहा था कि नार्को टेस्ट करा ले, रमन सिंह जी, मुकेश गुप्ता और अमीत जोगी. लेकिन उस मामले में ये मौन साध लिए. जो कवासी लखमा का नार्कोटेस्ट मांग रहे हैं. आखिर ये क्यों चुप हैं."

यह भी पढ़ें: Naxalite Attack on Politicians: जानिए नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में कब कब राजनीतिक दल के नेताओं को बनाया निशाना

अब तक कितने नेताओं की हुई शहादत: छत्तीसगढ़ में अब तक भाजपा और कांग्रेस के कितने नेता नक्सली घटना में मारे गए हैं. इसकी न तो कांग्रेस के पास कोई सूची और न ही भाजपा के पास. भाजपा प्रवक्ता अमित चिमनानी कहते हैं कि"अब तक कितने भाजपा पदाधिकारियों की मौत हुई है. इसका डाटा नहीं है, लेकिन कांग्रेस सरकार में हमारे दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी की मौत हुई है. उसके बाद साल 2023 में पिछले एक माह में तीन भाजपा पदाधिकारियों की हत्या नक्सलियों ने की है." दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भी ऐसा कोई आंकड़ा नहीं होने की बात कही है, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि "झीरम में हमारे नेताओं की हत्या की गई है. पहले भी अंदरुनी इलाकों में हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है."

साल 2020 में जेसीसीजे और बीजेपी नेता की हत्या: साल 2020 के अक्टूबर में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बीजेपी और जोगी कांग्रेस के नेताओं की हत्या नक्सलियों ने की. बीजेपी नेता धनीराम और एक जेसीसीजे कार्यकर्ता की हत्या नक्सलियों ने की.

क्या कहते हैं अफसर: राजनीतिक दलों के नेताओं की हत्या के आंकड़े को लेकर जब हमने बस्तर आईजी पी सुंदरराज से बात की तो उन्होंने कहा कि "राजनीतिक दलों के नेताओं की हत्या का आंकड़ा नहीं है. कोई भी राजनीति दल के व्यक्ति की हत्या होती है तो हम उसे आम नागरिकों की हत्या की सूची के आंकड़े में शामिल करते हैं. बस्तर में जब से नक्सलवाद पनपा है तब से लेकर अब तक 1700 नागरिकों ने नक्सलियों ने हत्या की है.

यह भी पढ़ें: Naxalite Murder bjp leader: नड्डा के बस्तर दौरे से पहले नक्सलियों ने नारायणपुर में की बीजेपी नेता की हत्या

नक्सली क्यों नेताओं की करते हैं हत्या: वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर कहते हैं कि "नक्सली अभी बैकफुट पर है. कांग्रेस की सरकार में ऐसी कोई बड़ी वारदात की नहीं है, लेकिन नेताओं को टारगेट करने का दौर है वह झीरम की घटनाओं के बाद से अपने छत्तीसगढ़ में ज्यादा शुरू हुआ. इसके पहले जब मध्यप्रदेश अखण्ड था. तब जरूर उन्होंने लिखीराम कावरे जो उस समय तत्कालिन परिवहन मंत्री थे. उस दौरान बालाघाट के पास उनके घर में नक्सलियों ने हत्या की थी, लेकिन नक्सली अमूमन छोटे कार्यकर्ता, पदाधिकारी, सरपंच और कोटवार को ही निशाना बनाते थे. इसका एक कारण होता था कि उस क्षेत्र में अपने एक खास इलाके में अपना दबदबा बनाए रखना. इस तरह की प्रक्रिया नक्सली अपनाते थे, लेकिन बीते कुछ समय से राजनीतिक दलों के नेताओं को टारगेट करना उनकी एक बदली हुई रणनीति है."

राजनेताओं पर लाल आतंक का रक्त चरित्र

रायपुर: नेताओं पर हो रहे नक्सली हमले के बाद प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. विपक्ष में बैठी भाजपा कांग्रेस पर हमला बोल रही है तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी दल कांग्रेस भी यह अलाप रही है कि झीरम कांड में हमने भी अपने नेताओं को खोया है. राजनीतिक दलों के भले ही एक दूसरे पर आरोप लगते रहे, लेकिन नक्सली एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में आइये जानते हैं कि छत्तीसगढ़ में अब तक कितने नेताओं की हत्या नक्सलियों की और नेताओं की हत्या के पीछे की वजह क्या रही.


कांग्रेस-बीजेपी दोनों दलों के नेताओं की हत्या: छत्तीसगढ़ राज्य गठन को 22 बरस से अधिक हो गए हैं, लेकिन नक्सलवाद के दंश से अब भी यह राज्य जूझ रहा है. कभी कांग्रेस नेताओं की हत्या कर दी जाती है तो कभी भाजपा नेताओं को मौत के घाट उतार दिया जाता है. हालांकि नक्सली पहले गांव के सरंपच, पंच लोगों की मुखबिरी के शक में हत्या करते थे, लेकिन दिनों दिन बड़े नेताओं को भी अब नक्सली निशाना बना रहे हैं.

25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को नक्सलियों ने निशाना बनाया था. जिसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्रकर्मा समेत 27 नेताओं की शहादत हुई थी. इसके बाद दूसरी बड़ी घटना 9 अप्रैल 2019 को हुई. जिसमें नक्सलियों ने दंतेवाड़ा के विधायक और भाजपा नेता भीमा मंडावी पर हमला किया. जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी. इस तरह लगातार राजनीतिक दलों के नेताओं को नक्सली निशाना बना रहे हैं.

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रमन बोले बीजेपी को किया जा रहा टारगेट: नारायणपुर में नक्सलियों ने भाजपा नेता सागर साहू की शुक्रवार को गोली मारकर हत्या कर दी. कुछ दिन पहले ही बीजापुर के मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्केम की कुल्हाड़ी से वार कर मौत की नींद सुला दिया. लगातार भाजपा नेताओं की हत्या से भाजपा आक्रोशित है. भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि "भाजपा कार्यकर्ता सागर साहू की नक्सलियों ने निर्मम हत्या कर दी है."

उन्होंने कहा कि "बस्तर में लगातार घटनाओं का दौर चल रहा है. एक महीने में तीसरी हत्या भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की हुई है. पहले जिला मंत्री जगदलपुर के बुधराम की, फिर उसूर ब्लॉक के नीलकंठ कक्केम की और अब नारायणपुर में सागर की हत्या कर दी गई है. इस प्रकार कांग्रेस की सरकार नक्सलियों को रोकने में असफल रही है. बीजेपी को ही टार्गेट बनाया जा रहा है. इसके राजनीतिक कारण और राजनीतिक संदर्भ निकाले जा सकते हैं. कहीं न कहीं मिलीभगत है. हमने जांच की मांग की है, लेकिन इस तरह की घटना रोकी जानी चाहिए."

सीएम बघेल ने कहा, सर्वाधिक नक्सली घटना का शिकार हुए कांग्रेसी: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि "डॉक्टर रमन सिंह जी 15 साल मुख्यमंत्री रहे हैं और जब भी इस प्रकार की घटना होती तो उसमें वे कहते थे कि राजनीति नहीं होनी चाहिए. जैसे ही आज विपक्ष में आए उसमें वे राजनीति देख रहे हैं. नक्सली दंश यदि देश में किसी पार्टी ने सबसे ज्यादा झेला है तो वह कांग्रेस पार्टी है. और यह सारी चीजें डॉ. रमन सिंह के शासन काल में हुआ है. झीरम में हमारे प्रथम पंक्ति के सारे नेता शहीद हुए हैं. इसलिए हम कहते हैं कि वह राजनीति अपराधिक षड़यंत्र था, जांच दे दें. बीते दिनों भी हमने कहा था कि नार्को टेस्ट करा ले, रमन सिंह जी, मुकेश गुप्ता और अमीत जोगी. लेकिन उस मामले में ये मौन साध लिए. जो कवासी लखमा का नार्कोटेस्ट मांग रहे हैं. आखिर ये क्यों चुप हैं."

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अब तक कितने नेताओं की हुई शहादत: छत्तीसगढ़ में अब तक भाजपा और कांग्रेस के कितने नेता नक्सली घटना में मारे गए हैं. इसकी न तो कांग्रेस के पास कोई सूची और न ही भाजपा के पास. भाजपा प्रवक्ता अमित चिमनानी कहते हैं कि"अब तक कितने भाजपा पदाधिकारियों की मौत हुई है. इसका डाटा नहीं है, लेकिन कांग्रेस सरकार में हमारे दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी की मौत हुई है. उसके बाद साल 2023 में पिछले एक माह में तीन भाजपा पदाधिकारियों की हत्या नक्सलियों ने की है." दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भी ऐसा कोई आंकड़ा नहीं होने की बात कही है, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि "झीरम में हमारे नेताओं की हत्या की गई है. पहले भी अंदरुनी इलाकों में हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है."

साल 2020 में जेसीसीजे और बीजेपी नेता की हत्या: साल 2020 के अक्टूबर में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बीजेपी और जोगी कांग्रेस के नेताओं की हत्या नक्सलियों ने की. बीजेपी नेता धनीराम और एक जेसीसीजे कार्यकर्ता की हत्या नक्सलियों ने की.

क्या कहते हैं अफसर: राजनीतिक दलों के नेताओं की हत्या के आंकड़े को लेकर जब हमने बस्तर आईजी पी सुंदरराज से बात की तो उन्होंने कहा कि "राजनीतिक दलों के नेताओं की हत्या का आंकड़ा नहीं है. कोई भी राजनीति दल के व्यक्ति की हत्या होती है तो हम उसे आम नागरिकों की हत्या की सूची के आंकड़े में शामिल करते हैं. बस्तर में जब से नक्सलवाद पनपा है तब से लेकर अब तक 1700 नागरिकों ने नक्सलियों ने हत्या की है.

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नक्सली क्यों नेताओं की करते हैं हत्या: वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर कहते हैं कि "नक्सली अभी बैकफुट पर है. कांग्रेस की सरकार में ऐसी कोई बड़ी वारदात की नहीं है, लेकिन नेताओं को टारगेट करने का दौर है वह झीरम की घटनाओं के बाद से अपने छत्तीसगढ़ में ज्यादा शुरू हुआ. इसके पहले जब मध्यप्रदेश अखण्ड था. तब जरूर उन्होंने लिखीराम कावरे जो उस समय तत्कालिन परिवहन मंत्री थे. उस दौरान बालाघाट के पास उनके घर में नक्सलियों ने हत्या की थी, लेकिन नक्सली अमूमन छोटे कार्यकर्ता, पदाधिकारी, सरपंच और कोटवार को ही निशाना बनाते थे. इसका एक कारण होता था कि उस क्षेत्र में अपने एक खास इलाके में अपना दबदबा बनाए रखना. इस तरह की प्रक्रिया नक्सली अपनाते थे, लेकिन बीते कुछ समय से राजनीतिक दलों के नेताओं को टारगेट करना उनकी एक बदली हुई रणनीति है."

Last Updated : Feb 11, 2023, 9:05 PM IST
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