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अपने बीच मौजूद हैं अर्बन नक्सल, पहचानना काफी मुश्किल: नक्सल एक्सपर्ट

बस्तर पुलिस नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को ध्वस्त करने में लगी है. कई पुलिस जवानों की संलिप्तता नक्सलियों को हथियार और विस्फोटक पहुंचाने में सामने आ रही है. ETV भारत से नक्सल एक्सपर्ट और समाजसेवी वर्णिका शर्मा ने नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. आप भी पढ़ें

varnika sharma,naxal expert
वर्णिका शर्मा,नक्सल एक्सपर्ट
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Published : Jun 9, 2020, 10:30 PM IST

रायपुर: नक्सलियों के शहरी नेटवर्क मामले में पिछले कुछ दिनों से बस्तर पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लग रही है. शनिवार को ही सुकमा पुलिस ने नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का खुलासा करते हुए 700 जिंदा कारतूस के साथ चार सप्लायर्स को गिरफ्तार किया था. वहीं इस पूरे मामले में एएसआई और प्रधान आरक्षक को भी हिरासत में लिया गया है. नक्सल एक्सपर्ट और समाजसेवी वर्णिका शर्मा ने बताया है कि 'आखिर ये नक्सलियों का शहरी नेटवर्क कैसे काम करता है'.

अपने बीच मौजूद हैं अर्बन नक्सल

नक्सली सिर्फ जंगलों में मौजूद नहीं हैं. इनका नेटवर्क दूर-दूर तक फैला है. इसमें कई बुद्धिजीवी भी शामिल हैं, लेकिन सुकमा में दो पुलिस जवानों के नक्सली नेटवर्क में शामिल होने की खबर के बाद ये कहना वाकई गलत नहीं होगा कि इनकी पहुंच ऊपर तक है. जंगल में रह रहे नक्सलियों के लिए शहरी कनेक्शन इनकी मदद करते हैं.

नक्सल एक्सपर्ट और समाजसेवी वर्णिका शर्मा ने विस्तार से बताया कि किस तरह नक्सलियों का शहरी नेटवर्क काम करता है. उन्होंने बताया कि नक्सलियों का शहरी नेटवर्क संपूर्ण क्रियाविधि के साथ काम कर रहा है. इस नेटवर्क का एक आधारभूत ढ़ाचा स्थापित है, जिसके तहत ये काम करता है. केंद्रीय संगठन से इनका फंड आता है.

पढ़ें- खाकी पर दाग: नक्सलियों को कारतूस की सप्लाई, 2 पुलिसकर्मी गिरफ्तार

कुछ इस प्रकार है ढ़ांचा:-

  • टॉप वर्ग- ये पहला वर्ग है जिसे बुद्धिजीवी वर्ग भी कहा जाता है. ये वर्ग नक्सलियों के लिए योजनाएं और रणनीति बनाता है. यहीं से सारे फैसले लिए जाते हैं.
  • दूसरा वर्ग- दूसरा वर्ग सप्लायर होता है. यह वर्ग बुद्धिजीवी वर्ग की बनाए गए रणनीति का क्रियान्वयन करता है.
  • तीसरा वर्ग- ये वर्ग ऐसा है जिन्हें मालूम ही नहीं होता कि ये ऊपर वर्ग के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

वर्णिका शर्मा ने आगे बताया कि अर्बन नक्सली को पहचानना काफी मुश्किल होता है क्योंकि वो हमारे बीच ही रहता है. अर्बन नक्सली हमारे बीच ही मौजूद रहते हैं इसलिए उन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता. इन्हें पहचानने के लिए बहुत ही तर्कपूर्ण शक्ति की आवश्यकता होती है.

आसान नहीं है अर्बन नक्सली को पहचानना

अर्बन नक्सली शहरी क्षेत्रों में कई लेयर में काम करते हैं. नक्सल एक्सपर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र में भी हम केवल एक निश्चित आयाम तक ही अर्बन नक्सली को समझ पाए हैं. वे कहती हैं कि नक्सलियों का नेटवर्क बहुत मजबूत है, जिन्हें पहचानने में बहुत तत्परता और मेहनत लगेगी.

पढ़ें- सुकमा : पुलिस हिरासत में एएसआई व हेड कांस्टेबल, कई वर्दीधारी होंगे बेनकाब!

बस्तर पुलिस लगातार नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का भंडाफोड़ रही है. इस मामले में 12 मई तक पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया था और 14 मई को करोड़ों का कारोबारी निशांत जैन भी पुलिस हत्थे चढ़ा था और अब सुकमा पुलिस भी विस्फोटक सप्लाई करने वालों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. आने वाले समय में कई बड़े खुलासे होने की भी उम्मीद है.

रायपुर: नक्सलियों के शहरी नेटवर्क मामले में पिछले कुछ दिनों से बस्तर पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लग रही है. शनिवार को ही सुकमा पुलिस ने नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का खुलासा करते हुए 700 जिंदा कारतूस के साथ चार सप्लायर्स को गिरफ्तार किया था. वहीं इस पूरे मामले में एएसआई और प्रधान आरक्षक को भी हिरासत में लिया गया है. नक्सल एक्सपर्ट और समाजसेवी वर्णिका शर्मा ने बताया है कि 'आखिर ये नक्सलियों का शहरी नेटवर्क कैसे काम करता है'.

अपने बीच मौजूद हैं अर्बन नक्सल

नक्सली सिर्फ जंगलों में मौजूद नहीं हैं. इनका नेटवर्क दूर-दूर तक फैला है. इसमें कई बुद्धिजीवी भी शामिल हैं, लेकिन सुकमा में दो पुलिस जवानों के नक्सली नेटवर्क में शामिल होने की खबर के बाद ये कहना वाकई गलत नहीं होगा कि इनकी पहुंच ऊपर तक है. जंगल में रह रहे नक्सलियों के लिए शहरी कनेक्शन इनकी मदद करते हैं.

नक्सल एक्सपर्ट और समाजसेवी वर्णिका शर्मा ने विस्तार से बताया कि किस तरह नक्सलियों का शहरी नेटवर्क काम करता है. उन्होंने बताया कि नक्सलियों का शहरी नेटवर्क संपूर्ण क्रियाविधि के साथ काम कर रहा है. इस नेटवर्क का एक आधारभूत ढ़ाचा स्थापित है, जिसके तहत ये काम करता है. केंद्रीय संगठन से इनका फंड आता है.

पढ़ें- खाकी पर दाग: नक्सलियों को कारतूस की सप्लाई, 2 पुलिसकर्मी गिरफ्तार

कुछ इस प्रकार है ढ़ांचा:-

  • टॉप वर्ग- ये पहला वर्ग है जिसे बुद्धिजीवी वर्ग भी कहा जाता है. ये वर्ग नक्सलियों के लिए योजनाएं और रणनीति बनाता है. यहीं से सारे फैसले लिए जाते हैं.
  • दूसरा वर्ग- दूसरा वर्ग सप्लायर होता है. यह वर्ग बुद्धिजीवी वर्ग की बनाए गए रणनीति का क्रियान्वयन करता है.
  • तीसरा वर्ग- ये वर्ग ऐसा है जिन्हें मालूम ही नहीं होता कि ये ऊपर वर्ग के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

वर्णिका शर्मा ने आगे बताया कि अर्बन नक्सली को पहचानना काफी मुश्किल होता है क्योंकि वो हमारे बीच ही रहता है. अर्बन नक्सली हमारे बीच ही मौजूद रहते हैं इसलिए उन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता. इन्हें पहचानने के लिए बहुत ही तर्कपूर्ण शक्ति की आवश्यकता होती है.

आसान नहीं है अर्बन नक्सली को पहचानना

अर्बन नक्सली शहरी क्षेत्रों में कई लेयर में काम करते हैं. नक्सल एक्सपर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र में भी हम केवल एक निश्चित आयाम तक ही अर्बन नक्सली को समझ पाए हैं. वे कहती हैं कि नक्सलियों का नेटवर्क बहुत मजबूत है, जिन्हें पहचानने में बहुत तत्परता और मेहनत लगेगी.

पढ़ें- सुकमा : पुलिस हिरासत में एएसआई व हेड कांस्टेबल, कई वर्दीधारी होंगे बेनकाब!

बस्तर पुलिस लगातार नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का भंडाफोड़ रही है. इस मामले में 12 मई तक पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया था और 14 मई को करोड़ों का कारोबारी निशांत जैन भी पुलिस हत्थे चढ़ा था और अब सुकमा पुलिस भी विस्फोटक सप्लाई करने वालों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. आने वाले समय में कई बड़े खुलासे होने की भी उम्मीद है.

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