रायपुर: हर साल 7 अगस्त को देश में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस यानी कि राष्ट्रीय हैंडलूम डे 2022 (National Handloom Day 2022)मनाया जाता है. इसी दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ था. कोलकाता के टाउनहॉल में एक जनसभा में स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक रूप से शुरुआत की गई थी. भारत सरकार इसी की याद में हर वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के तौर पर मनाता है.
इसलिए खास है हैंडलूम: हैंडलूम उद्योग भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है. मंत्रालय के बयान के मुताबिक यह आजीविका का एक जरूरी स्रोत बना हुआ है. खासकर उन महिलाओं के लिए जो इस क्षेत्र के बुनकरों का लगभग 70 फीसद हैं. यह दिन हथकरघा समुदाय को सम्मानित करने और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में उनके योगदान को स्वीकार करने के लिए मनाया जाता है.
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का महत्व: भारत में हथकरघा क्षेत्र समय के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण कुटीर व्यापार के रूप में उभरता गया. हथकरघा बुनकर कपास, रेशम और ऊन के समान शुद्ध रेशों का उपयोग कर माल तैयार करते रहे हैं. राष्ट्रीय हथकरघा दिवस आयोजित करने का मूल लक्ष्य भारत के सामाजिक आर्थिक सुधार में हथकरघा के योगदान को स्पष्ट करना है. प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर बुनकरों को काम के विकल्प के बारे में जानकारी देने के लिए सरकार कार्यशालाएं आयोजित करती है.
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प्राचीन है हथकरघा उद्योग: हथकरघा उद्योग प्राचीनकाल से ही हाथ के कारीगरों को आजीविका प्रदान करता आया है. हथकरघा उद्योग से निर्मित सामानों का विदेशों में भी खूब निर्यात किया जाता है. माना जाता है कि इस उद्योग के विभिन्न कार्यों में लगभग 7 लाख व्यक्ति लगे हुए हैं. लेकिन अगर उनकी आर्थिक स्थिति की बात की जाये तो कहा जा सकता है कि तमाम सरकारी दावों के बावजूद उनकी स्थिति दयनीय ही बनी हुई है.