रायपुर: आज राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति की बैठक रायपुर में है. रायपुर के गास मेमोरियल सेंटर में 19 और 20 दिसंबर को बैठक का आयोजन किया गया है. जिसमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार समेत अन्य राज्यों के किसान नेता शामिल होंगे.
देशभर के किसान संगठनों के पदाधिकारी जुटेंगे राजधानी में
राजधानी में आज देशभर से किसान संगठनों के पदाधिकारी जुटेंगे. बैठक में देश में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर विरोध की रणनीति तय होगी. ये बैठक सुबह 11 बजे से शुरू होगी. छत्तीसगढ़ में इस वक्त धान खरीदी चल रही है. धान खरीदी खत्म होने के बाद यहां के किसान भी देश के बाकी किसानों की तरह दिल्ली कूच कर सकते हैं. आज होने वाली बैठक में संगठनात्मक गतिविधियों के साथ ही आने वाले दिनों में किसान आंदोलन की रणनीति भी तैयार की जाएगी. छत्तीसगढ़ में धान खरीदी 1 दिसंबर से शुरू हुई है और ये 31 जनवरी तक चलेगी. इसके बाद ही किसान प्रदर्शन के लिए दिल्ली का रुख कर सकते हैं.
किसान आंदोलन को छत्तीसगढ़ के किसानों का समर्थन
छत्तीसगढ़ के किसान भी राज्य में हो रही धान खरीदी को लेकर फिलहाल दिल्ली में नहीं हैं, लेकिन उनका पूरा समर्थन किसान आंदोलन को है. वहीं कांग्रेस, जेसीसीजे समेत लेफ्ट और आम आदमी पार्टी का भी सपोर्ट किसान आंदोलन को है.
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बीजेपी केंद्र के कृषि कानूनों के पक्ष में लोगों और किसानों को दे रही है जानकारी
वहीं बीजेपी छत्तीसगढ़ में किसान महापंचायत कर रही है. बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं ने अभियान के तहत धान खरीदी केंद्रों के बाहर किसानों और आम लोगों को केंद्र के कृषि कानूनों के पक्ष में जानकारी दी. बीजेपी का कहना है कि विभिन्न पार्टियां किसानों को भ्रमित कर रही हैं, जबकि कृषि कानून किसानों के हित में हैं और उनकी पार्टी किसानों के भ्रम को दूर करने का काम कर रही है.
रायगढ़ में लग चुकी है महापंचायत
इससे पहले रायगढ़ में बीजेपी किसान महापंचायत लगा चुकी है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में किसान जुटे थे, लेकिन इनमें से ज्यादातर किसानों को नए कृषि कानून के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ईटीवी भारत ने वहां मौजूद किसानों से इस बारे में बात की, लेकिन किसानों के पास कृषि कानून से जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी. किसान ना ही इस कानून का विरोध करते दिखे और ना ही इसका समर्थन करते दिखे थे.
केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध
देशभर के किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं. आज प्रदर्शन का 24वां दिन है. किसान और सरकार के बीच अब तक बात नहीं बन पाई है. अब सुप्रीम कोर्ट ने कमान संभाली है. आज हो सकता है कि न्यायालय के माध्यम से कोई बीच का रास्ता निकल आए. केंद्र सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी गठित करने का दिया है सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय के निपटारे के लिए एक कमेटी गठित करने का सुझाव दिया है. तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपना रुख कड़ा करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि सरकार से इन कानूनों को वापस कराकर ही रहेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां वे इसे जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
दिल्ली-नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर पर जमे हुए हैं किसान
किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर पर जमे हुए हैं. वहीं ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने शुक्रवार को कहा कि तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन का समाधान निकालने की जरूरत सरकार को है, सुप्रीम कोर्ट को नहीं.
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान आंदोलन में शामिल करीब 40 किसान संगठनों में से एक किसान सभा 'दिल्ली चलो' अभियान का नेतृत्व कर रहा है और उसका कहना है कि पहले-पहल किसी किसान संगठन ने अदालत का दरवाजा खटखटाकर मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध नहीं किया.
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