रायपुर: छत्तीसगढ़ में 23 से 30 सितंबर तक कृमि-मुक्ति दिवस का आयोजन किया गया है. इस दौरान मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर 1 से 19 साल के बच्चों को कृमि-मुक्ति की दवा (एल्बेंडाजॉल) देंगे. राष्ट्रीय कृमि-मुक्ति कार्यक्रम 2020 में 28 जिलों के कुल 1.14 करोड़ बच्चों को एल्बेंडाजॉल की गोली खिलाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
इस साल कोविड-19 संक्रमण की व्यापकता को देखते हुए स्कूल, आगनबाड़ी और अन्य शैक्षणिक सस्थान का संचालन नहीं किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम का क्रियान्वयन स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सामुदायिक स्तर पर किया जाएगा.
- सरगुजा और सूरजपुर जिले के 3 ब्लॉक-रामानुजगंज, सूरजपुर और प्रेमनगर में फाइलेरिया कार्यक्रम के अंतर्गत सभी बच्चों को एल्बेण्डाजॉल की दवा का सेवन कराया जाएगा.
- एक से दो साल के बच्चों को एल्बेण्डाजॉल की आधी गोली और 3 से 19 साल के बच्चों को एक पूरी गोली दी जायेगी.
क्या होता है कृमि
'कृमि लोगों के पेट और आंतों के भीतर रहने वाले परजीवी हैंं. लोग जो भोजन करते हैं उसमें से जब पोषक तत्व शरीर अलग करता है तो उस पोषक तत्व को कृमि खा लेते हैं. जिससे लोगों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है. कृमि के कारण ही एनीमिया मतलब खून की कमी की बीमारी भारत में काफी बढ़ी है क्योंकि खून बनने की प्रक्रिया के पहले ही पोषक तत्व कृमि खा लेते हैं. इसके अलावा बच्चों में कुपोषण भी कृमि की वजह से होता है'.
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पेट में कृमि होने के लक्षण
पेट खराब होना, कमजोरी, आयरन की कमी, शारीरिक विकास रुकना जैसे कई तकलीफें कृमि की वजह से होती है. यही कारण है कि लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सरकार ने कृमि को ही खत्म करने का अभियान चलाया है. सरकार ने यह तय किया है कि अभियान चलाकर निश्चित समय अवधि में देश के सारे बच्चों को कृमि रोधी एल्बेंडाजोल की गोली खिलाकर इससे मुक्ति दिलाई जाए.