रायपुर: मंदिर के पुजारी पंडित देवचरण शर्मा ने बताया कि "मंदिर स्वयंभू है, डेढ़ सौ से भी अधिक साल पुराना मंदिर है. यह जागृत मंदिर है, कोई भी भक्त जिस मनोकामनाएं से यहां आता है. यहां से वह खाली हाथ नहीं गया है. स्वयंभू शिवलिंग के साथ, भगवान गणेश, सूर्यनारायण, बीरभद्र और माता पार्वती की मूर्ति भी मौजूद है.
रोजना इस समय होती है आरती: मंदिर के पुजारी पंडित देवचरण शर्मा ने बताया कि "रोजाना सुबह शाम आरती होती है. सुबह 5:30 मन्दिर खुलता है, सुबह 7:00 बजे आरती होती है. फिर शाम के 7:00 बजे आरती होती है. शिवरात्रि के दिन मन्दिर में नरहरेश्वर महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. दूध और जल से अभिषेक किया जाता है, अनेक प्रकार के फूलों पत्तों से चांदी से श्रृंगार होता है.प्रत्येक सावन में गुरु पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन के दूसरे दिन तक एक महीना लगातार अखंड रामायण का पाठ चलता है, हर सावन सोमवार में चांदी से विशेष श्रृंगार किया जाता है."
दो तालाबों के बीच में बना है मंदिर: पंडित देवचरण शर्मा ने बताया कि "मन्दिर में बड़ी संख्या में भक्त मनोकामना लेकर आते हैं. श्री नरहरेश्व महादेव जी का मंदिर जागृत मंदिर है. जितने भी श्रद्धालु आते हैं. उनकी मनोकामना पूरी होती ही है. आज ऐसे भक्त भी हैं जो लंबे समय से बीमार थे, लेकिन आज वे भगवान भोलेनाथ की महत्वता को जानते हुए रोजाना यहां दर्शन करने आते हैं."
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मंदिर परिसर में हैं छह मंदिर: पंडित देवचरण शर्मा ने बताया कि "भगवान श्री नरहरेश्व महादेव जी का मंदिर दो तालाबों के बीच में बना है, श्री नरहरेश्व महादेव के नाम से ही आज इस तालाब नाम नरैया तालाब पड़ा है. शहर के बीच स्थित इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु पहुंचते हैं उन्हें आत्मिक शांति मिलती है. श्री हरेश्वर महादेव मंदिर परिसर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के साथ अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा होती है मंदिर परिसर में 6 मंदिर मौजूद है, इनमे भगवान गणेश, राम दरबार भगवान राम, लक्ष्मण माता जानकी मंदिर है. परिसर में राधाकृष्ण मंदिर, हनुमान मंदिर, माता काली जी के मंदिर के अलावा, संतोषी माता और दुर्गा माता का मंदिर स्थापित है.