रायपुर: अजीत जोगी गंभीर हालत में 9 मई को निजी अस्पताल में भर्ती कराए गए थे. डॉक्टर जी-जान लगाकर उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे थे. हरसंभव प्रयास किया कि कैसे उनका दिमाग काम करना शुरू करे, वो पहले की तरह हंसने-बोलने लगें. लेकिन 29 मई को छत्तीसगढ़ से भाग्य रूठा और अजीत जोगी ने दुनिया को अलविदा कह दिया. जोगी का इलाज जो डॉक्टर कर रहे थे, उन्होंने उनकी जान बचाने के लिए 27 मई को अपना खून भी दिया था, ताकि उनकी जान बचाई जा सके.
अजीत जोगी को हर कोई याद कर रहा है. जिस निजी अस्पताल में अजीत जोगी ने अपनी आखिरी सांस ली, वहां के डॉक्टर भी उन्हें याद कर रहे हैं. यहां के डॉक्टरों ने अजीत जोगी को बचाने के लिए दिन-रात सेवा की, लेकिन उन्हें नहीं बचा पाने का उनको गम है. ETV भारत ने उन डॉक्टरों से बात की, तो एक दिलचस्प किस्सा सामने आया. 27 मई को इलाज के दौरान अजीत जोगी के शरीर में खून की कमी हो गई थी. काफी प्रयासों के बावजूद जब खून नहीं मिल सका तो अस्पताल में मौजूद एक महिला डॉक्टर और एक जूनियर डॉक्टर ने उन्हें अपना खून दिया था. ETV भारत ने महिला डॉक्टर से बात की, तो उन्होंने कहा कि जोगी को न बचा पाने का गम उन्हें है.
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9 मई की सुबह अजीत जोगी की स्थिति बेहद नाजुक हो गई थी, जिसके बाद से वे कोमा मे थे. उनका ब्रेन काम नहीं कर रहा था. ऐसे वक्त में शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है. जिसे डॉक्टर लगातार मेंटेन करते हैं. 27 मई को जब अजीत जोगी की स्थिति बिगड़ी तो उन्हें आनन-फानन में ब्लड की जरूरत पड़ी. आपातकालीन स्थिति में अजीत जोगी का इलाज कर रहे 2 डॉक्टर स्नेह लता ठाकुर और डॉक्टर जावेद ने अपना ब्लड डोनेट किया. ऐसे कम ही मौके होते हैं जब कोई डॉक्टर किसी मरीज को अपना रक्त दान करे.