रायपुर : बीजेपी को अलविदा कहने के बाद नंद कुमार साय कांग्रेस में अपनी नई पारी खेल रहे हैं. साय के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीएम भूपेश के बड़े कार्यक्रमों में वो मंच साझा करते नजर आते हैं.नंदकुमार साय एक कद्दावर आदिवासी नेता हैं.जशपुर और सरगुजा क्षेत्र में नंदकुमार साय की पकड़ है.बावजूद इसके नंदकुमार साय ने बीते दिनों अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया. ये वीडियो पोस्ट होते ही तेजी से वायरल होने लगा.इस वीडियो में नंदकुमार साय एक गीत गाते हुए दिख रहे हैं.
सोशल मीडिया में आई तारीफों की बाढ़ : सोशल मीडिया पर उनके वीडियो पोस्ट करने के बाद कई लोगों ने उनकी तारीफ की. लेकिन कुछ लोग उन्हें इस गीत को लेकर मजेदार कमेंट भी कर रहे हैं. यूजर देवेन्द्र तिवारी उनके वीडियो पर कमेंट करते हुए लिखा "ये गीत राष्ट्रवादी विचारों से प्रेरित हैं. तुष्टीकरण की राह पर चलने वाली कांग्रेस के संक्रमण से समाज को बचाने हेतु यह संघ गीत गाते गाते भी आप कांग्रेस की जाल में जा फंसे. तोता रटंत की कहानी याद आ गयी.
यूजर देवेन्द्र कुमार हिन्दू ने लिखा" कांग्रेस में जाने के बाद भी अंतर्मन में संघ संस्कार संजोए पार्टी बदले हैं ,संस्कार नही . बीजेपी से कांग्रेस में जाने वाला कांग्रेसी हो सकता है. लेकिन संघ का स्वयंसेवक जहां भी रहे, एक बार भगवा ध्वज प्रणाम कर ले. वह आजीवन संघ का स्वयंसेवक होता है.इस बात को चरितार्थ करते आदरणीय नंद कुमार साय जी प्रेरणापुंज हैं" जैसे ही संघ से जोड़कर नंदकुमार साय को कमेंट किए जाने लगे.वैसे ही साय ने इस वीडियो को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हटा लिया.लेकिन साय की फैन फॉलोइंग इतनी है कि किसी ने उनके वीडियो को डाउनलोड करके सोशल मीडिया में वायरल कर दिया.
किसने लिखा है गीत : नंद कुमार साय जो गीत गाते नजर आ रहे हैं उसके बोल है" निर्माण के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें." इस गीत की रचना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक के एस सुदर्शन ने की थी. के एस सुदर्शन का जन्म रायपुर में 18 जून, 1931 को संकेती ब्राह्मण परिवार में हुआ था. मूल रूप से कर्नाटक के मांडवा जिले के कुप्पल्ली गांव के रहने वाले थे. एक बहुभाषी व्यक्तित्व के धनी एस सुदर्शन 2000 से 2009 तक पांचवें आरएसएस सरसंघचालक थे. 81 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से उनका रायपुर में निधन हुआ था.
क्या है राजनीति के जानकारों का कहना : नंदकुमार साय के संघ प्रेम को लेकर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ''लंबे समय तक नंद कुमार साय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के तौर पर काम करते रहे हैं. बीजेपी में साय की बड़ी सक्रियता रही है. संघ में रहकर उन्होंने जो शिक्षा ग्रहण की यह उसी का नतीजा है कि अब तक उनके जीवन में संघ से जुड़ी बातें उन्हें याद है. यही कारण है कि वे संघ का गीत गाते हुए नजर आ रहे हैं.
क्या है पूरा गीत : आईए आपको बताते हैं नंदकुमार साय के इस गीत के बोल क्या हैं.
निर्माणों के पावन युग में
निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें ,
स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें .
माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है
किन्तु डूबना मझधारों में साहस को स्विकार नही है,
जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसन्धान न भूलें .
शील विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नही है
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतीक आधार नहीं है,
कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूले .
आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नही है,
सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नही है
भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें.