रायपुर: ETV भारत की खबर का बड़ा असर हुआ है. रायपुर शहर के तालाबों पर ETV भारत ने संकट में सरोवर नाम से सीरीज चलाई थी, जिसमें तालाबों की बदहाली पर प्रमुखता से खबर प्रसारित की गई थी, जिसके बाद नगर निगम रायपुर ने अब तालाबों को संजोने का काम शुरू कर दिया है, जिसमें शहर के सबसे प्राचीन तालाब, बूढ़ा तालाब की सफाई का काम शुरू किया गया है.
छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग हुए तकरीबन 20 साल होने को हैं. इस बीच कई सरकारें आई और चली गईं, लेकिन अभी तक बूढ़ा तालाब की सफाई नहीं हो पाई थी. ETV भारत में खबर प्रसारित होने के बाद रायपुर महापौर एजाज ढेबर ने कहा है कि, बूढ़ा तालाब प्राचीन धरोहर है, अब जल्द ही स्वच्छ दिखेगा. इसमें सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं, हमारी कोशिश है कि हम सभी तालाबों को साफ कर पाएं और संरक्षित कर पाएं.
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ETV भारत ने बूढ़ा तालाब के हालातों की पड़ताल की थी
बता दें कि राजधानी का ऐतिहासिक बूढ़ा तालाब कई गौरवशाली पलों का गवाह रहा है. बूढ़ा तालाब ने रायपुर को बनते, बढ़ते और तेजी से बदलते हुए देखा. लेकिन वक्त के थपेड़ों और अपनों की अनदेखी ने इस ऐतिहासिक धरोहर के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है. ये अनदेखी तालाब के हाल से साफ नजर आती है, ETV भारत की टीम ने 'संकट में सरोवर' मुहिम में बूढ़ा तालाब के हालातों की पड़ताल की थी.
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स्वामी विवेकानंद ने लगाई थी डुबकी
ETV भारत ने अपनी पड़ताल में दिखाया था कि, कभी बूढ़ा तालाब पर बालक नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद) ने डुबकी लगाई थी. ये तालाब कलचुरी राजवंश की शान रहा. आज ये सरोवर गंदे पानी, कचरे और दुर्गंध से बदहाल है. इसकी बदहाली को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन अपनी धरोहर को संरक्षित रखने के लिए कितना सजग है.
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ये है इतिहास
इतिहासकार रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया था कि 'कलचुरी राजाओं के समय इसका निर्माण हुआ था. पांडुलिपियों में मिलता है कि बूढ़ा तालाब में एक राजघाट भी हुआ करता था, वहीं वहां शिलालेख लिखा हुआ था, जिसमें साल 1402 का उल्लेख मिलता है. बूढ़ा तालाब और महाराजगंज तालाब के बीच में कलचुरी राजाओं का किला हुआ करता था, ऐसा माना जाता है कि राजघाट के रूप में इसे राजपरिवार के लोग इस्तेमाल करते रहे होंगे. 18वीं शताब्दी में जब अंग्रेज यात्री रायपुर आए थे, तो उन्होंने भी इस तालाब की खूबसूरती का वर्णन किया है'.
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बूढ़ातालाब से विवेकानंद सरोवर नाम रखा गया
इतिहासकार रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया था कि 'स्वामी विवेकानंद सन 1870 से 1879 तक रायपुर के बूढ़ापारा डे-भवन में ठहरे थे. इस दौरान वो भी इस तालाब का इस्तेमाल किया करते थे, बाद में बूढ़ा तालाब का नाम विवेकानंद सरोवर रख दिया गया और तालाब के बीच में ही स्वामी विवेकानंद की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई'. इतिहासकार रमेंद्र नाथ मिश्र ने बूढ़ा तालाब को अहमदाबाद की कंकरिया झील का छोटा भाई भी कहा था.
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बूढ़ा तालाब की बदहाली
इतिहासकार रमेन्द्र नाथ मिश्र ने बूढ़ा तालाब की बदहाली पर दुख व्यक्त करते हुए बताया था कि 'अब तक बूढ़ा तालाब के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन उसका 10 प्रतिशत काम भी नहीं हो पाया. 'सरोवर हमारी धरोहर' नाम से एक योजना एकीकृत मध्य प्रदेश के दौरान सरकार को भेजी गई थी, जिसके बाद वहां से आई राशि को निगम ने दूसरे मदोंं में खर्च कर दिया.
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बूढ़ा तालाब को प्राइवेट कंपनी के हाथों सौंप दिया गया
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया था कि 'तात्कालिक बीजेपी सरकार के समय बूढ़ा तालाब को प्राइवेट कंपनी के हाथों सौंप दिया गया. कंपनी की जिम्मेदारी थी कि तालाब की देखरेख और सौंदर्यीकरण का काम करे, लेकिन कंपनी इसे लीज पर लेकर भूल गई. साफ-सफाई तो दूर की बात, प्रशासन की अनदेखी के चलते प्राइवेट कंपनी कोई भी काम बेहतर नहीं कर रही है'.
गौरवशाली धरोहर को बचाने की प्रयास
सदियों पुराने इस तालाब ने रायपुर के परिवर्तन के हर रंग देखे हैं, लेकिन अपने परिवर्तन की आस इस तालाब की अधूरी ही रह गई है. अगर शासन प्रशासन सोया है, तो क्या इस धरोहर को बचाने आम लोग आगे नहीं आ सकते..? ETV भारत लोगों से अपील करता है कि अपने गौरवशाली धरोहर को बचाने लोग आगे आएं, जिससे हमारे 'पुरखे' हमें आसरा देते रहें.
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खबर प्रसारण के बाद रायपुर नगर निगम गंभीर
बता दें कि खबर के प्रसारित होने के बाद रायपुर नगर निगम तालाबों को लेकर गंभीर नजर आ रहा है. महापौर ने कहा है कि 'बूढ़ा तालाब प्राचीन धरोहर है, अब जल्द ही स्वच्छ दिखेगा. इसमें सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं, हमारी कोशिश है कि हम सभी तालाबों को साफ कर पाएं और संरक्षित कर पाएं'.