रायपुर: भगवान राम का ननिहाल दक्षिण कोसल यानी छत्तीसगढ़ एक भक्तिमय प्रदेश है. माता कौशल्या के प्रदेश में प्रभु राम कण-कण में बसे हैं. कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम का वनवास लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में बीता है. माता कौशल्या की इस भूमि में प्रभु राम के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ यानी शिव की एक अलग ही मान्यता है. शायद यही वजह है कि छत्तीसगढ़ की चारों दिशाओं से ओम नमः शिवाय की गूंज सुनाई पड़ रही है. भगवान भोलेनाथ के इस खास माह सावन में ईटीवी भारत आपको उन ऐतिहासिक मंदिरों से रूबरू कराएगा, जो राष्ट्रीय संरक्षित मंदिरों में शामिल है.
39 में 19 मंदिरों में होती है पूजा
दक्षिण कोसल यानी छत्तीसगढ़ में छोटे बड़े 51 हजार से अधिक मंदिर हैं. इनमें राष्ट्रीय सरंक्षित मंदिरों में सबसे अधिक मंदिर भगवान शिव की है. कुल राष्ट्रीय सरंक्षित मंदिरों की संख्या 39 है, जिनकी देखरेख केंद्रीय पुरातत्व विभाग करता है. इनमें सबसे अधिक 17 शिव मंदिर हैं, बाकी 22 मंदिरों में विष्णु, बुद्ध, गणेश समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिर शामिल हैं. वर्तमान में 39 मंदिरों में से मात्र 19 मंदिरों में पूजा होती है. पुरातत्व विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इन 19 मंदिरों में भगवान शिव के 8 मंदिर भी शामिल हैं, जहां नियमित पूजा-अर्चना की जाती है.
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पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण
केंद्रीय संरक्षित इन ऐतिहासिक मंदिरों में लोग न केवल पूजा पाठ करने की दृष्टि से आते हैं, अपितु यह पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. इन ऐतिहासिक मंदिरों की बनावट और आकृति हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. कई मंदिर ऐसे भी हैं जिसे पत्थरों से ही तैयार किया गया है. उसमें नक्काशियां इतनी शानदार की गई है कि देखते ही उसकी सुंदरता बनती है. बहुत से मंदिरों में देवी- देवताओं के साथ हाथी और घोड़ों की कलाकृतियां भी उकेरी गई है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
7वीं से 16 वीं शताब्दी के मंदिर
केंद्रीय पुरातत्व विभाग के रायपुर उपमंडल के अधिकारियों के अनुसार राष्ट्रीय संरक्षित मंदिर 7वीं से लेकर 16 वीं शताब्दी तक के हैं. यह ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. इनमें से कई मंदिर केवल पत्थरों ईंटों से निर्मित है. पुरातत्व विभाग इनका सर्वेक्षण और संवर्धन करता है. इन ऐतिहासिक मंदिरों को तत्कालीन राजाओं-महाराजाओं ने बनवाया, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं.
राष्ट्रीय संरक्षित आठ शिव मंदिर, जहां होती है पूजा
अडभार मंदिर (भग्न शिव मंदिर) तहसील- शक्ति, जांजगीर चांपा (7वीं शताब्दी)
महादेव मंदिर पाली, तहसील-पाली, कोरबा (8वीं से 9 वीं शताब्दी)
पतालेश्वर महादेव मंदिर मल्हार, तहसील-मस्तूरी, बिलासपुर (12वीं शताब्दी)
महादेव मंदिर बस्तर, तहसील- बस्तर, जगदलपुर (12वीं शताब्दी)
महादेव मंदिर नारायणपुर, तहसील- कसडोल, बलौदाबाजार (13वीं से 14वीं शताब्दी)
प्राचीन शिव मंदिर देवबलोदा, तहसील- पाटन, दुर्ग (13वीं शताब्दी)
शिव मंदिर गतौरा, तहसील-मस्तूरी, बिलासपुर (14-15 वीं शताब्दी)
महादेव मंदिर बेलपान, तहसील-तखतपुर, बिलासपुर (16वीं शताब्दी).