रायपुर: देश में कोरोना के दस्तक के तुरंत बाद लॉकडाउन लागू कर दिया गया था. लॉकाडाउन के बाद दूसरे राज्यों में रोजी-मजदूरी करने गए सभी मजदूर अपने घर लौटने लगे. उस दौरान छत्तीसगढ़ में भी दो लाख तक प्रवासी मजदूरों के वापस लौटने की संभावनाएं सरकार ने जताई थी, लेकिन अब जो आंकड़े सामने आए हैं उसमें लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या लगभग सात लाख से ज्यादा है.
आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में लौटने वाले मजदूरों में सबसे ज्यादा जांजगीर और बिलासपुर के मजदूर हैं. इन दोनों ही जिलों में एक-एक लाख से ज्यादा मजदूर दूसरे राज्यों से लौटे हैं. वहीं बात की जाए सबसे कम की तो बीजापुर में सबसे कम प्रवासी मजदूर लौटे हैं. बीजापुर में लगभग 500 प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान लौटे हैं. पंचायत विभाग की ओर से प्रवासी मजदूरों के लिए तैयारियां की गई थी, उनके लौटने से पहले ही पूरे प्रदेश में 21 हजार क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए थे.
विभाग को थी 2 लाख मजदूरों के लौटने की उम्मीद
पंचायत और श्रम विभाग के पास कोरोना से पहले सिर्फ 2 लाख मजदूरों के पलायन की जानकारी थी. इस हिसाब से विभाग को लग रहा था कि लगभग 2 से 3 लाख मजदूर ही प्रदेश लौटकर आएंगे, लेकिन अब लौटने वाले मजदूरों का वर्तमान डाटा सामने आ गया है. डाटा के मुताबिक एक बड़ा आंकड़ा विभाग के सामने निकल कर आया है. अब तक 7 लाख से ज्यादा मजदूर प्रदेश में वापस लौट चुके हैं. यानी कि 5 लाख का अंतर आया है.
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पंचायत संचालनालय विभाग के संचालक एस प्रकाश ने बताया कि जो मजदूर लौटे हैं उनके लिए उचित व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए सरकारी योजना के तहत जॉब कार्ड बनवाया जा रहा है, जिन्हें जॉब कार्ड द्वारा रोजगार दिया जा रहा है.
और भी मजदूरों के लौटने की संभावना
संचालक एस प्रकाश ने बताया कि अभी और मजदूरों के लौटने की संभावनाएं हैं. उनका कहना है कि अभी भी 10 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूर प्रदेश लौट सकते हैं. उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों से लौटने वाले मजदूरों को अपने ही प्रदेश में रोजगार देने की लगातार हर स्तर पर कोशिश की जा रही है.