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मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत 67 हजार से अधिक बच्चे हुए कुपोषण मुक्त - Malnutrition in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश में सुपोषण और एनीमिया मुक्त अभियान की शुरूआत की. इस अभियान के तहत बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है. आंकड़ों के अनुसार मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं.

Food distribution under the CM Nutrition Campaign
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत भोजन वितरण
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Published : Jun 14, 2020, 7:48 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ और विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान के तहत बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है. साल 2019 में आयोजित वजन त्योहार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे. इनमें से मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं.

इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है, जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है. बहुत ही कम समय में ही कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी का श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व सहित उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है.

प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित

छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश में अभियान की शुरूआत की गई थी. राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश में 5 साल से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 साल की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे. इन आंकड़ों को देखे तो प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे. इनमें से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे.

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत

इन आंकड़ों को भूपेश सरकार ने एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़' की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की. अभियान की सफलता के लिए इसमें जन-समुदाय को भी शामिल किया गया है.

वनांचल क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट

प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई. दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में ‘लइका जतन ठउर’ जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया.

कुपोषित बच्चों को बांटा निशुल्क पौष्टिक आहार

जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन देने की व्यवस्था की गई. इसकी सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इस अभियान को 2 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में लागू किया. इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन देने की व्यवस्था की गई है.

एनीमिया प्रभावितों पर विशेष ध्यान

एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जा रही है. प्रदेश को आगामी 3 सालों में कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभाग समन्वित प्रयास कर रहा है.

रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण

कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद किया गया है. ऐसी स्थिति में बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया है.

हितग्राहियों को बांटा सूखा राशन

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन के स्थान पर सूखा राशन वितरित करने की व्यवस्था की गई है. वहीं इसके तहत मई महीने तक तीन लाख 47 हजार हितग्राहियों को सूखा राशन बांटा गया है. विश्व बैंक ने भी आंगनाबाड़ी कार्यकर्ताओं के कोरोना वायरस के नियंत्रण के साथ ही ‘टेक होम राशन’ वितरण कार्य की प्रशंसा की है.

निशुल्क काउंसलिंग और परामर्श सेवाएं

छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे सभी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित भवन में ठहराकर उनके टीकाकरण, आवश्यक दवाई, स्वास्थ्य परीक्षण की पुख्ता व्यवस्था भी की गई है. कुपोषण प्रभावित बच्चों और महिलाओं को निशुल्क काउंसलिंग और परामर्श सेवाएं देने के साथ नियमित मॉनिटरिंग भी की जा रही है.

यूनिसेफ ने भी की सराहना

सुपोषण रथ, शिविरों और परिचर्चा के माध्यम से जनजागरूकता का प्रयास भी किया जा रहा है. इस कड़ी में एनीमिया के स्तर और स्वास्थ्य सुधार के लिए बस्तर जिले में शुरू किये गए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान और स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत किचन गार्डन को पोषण के लिए अनूठी राह बताते हुए यूनिसेफ ने सराहना की है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ और विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान के तहत बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है. साल 2019 में आयोजित वजन त्योहार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे. इनमें से मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं.

इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है, जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है. बहुत ही कम समय में ही कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी का श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व सहित उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है.

प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित

छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश में अभियान की शुरूआत की गई थी. राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश में 5 साल से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 साल की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे. इन आंकड़ों को देखे तो प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे. इनमें से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे.

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत

इन आंकड़ों को भूपेश सरकार ने एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़' की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की. अभियान की सफलता के लिए इसमें जन-समुदाय को भी शामिल किया गया है.

वनांचल क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट

प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई. दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में ‘लइका जतन ठउर’ जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया.

कुपोषित बच्चों को बांटा निशुल्क पौष्टिक आहार

जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन देने की व्यवस्था की गई. इसकी सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इस अभियान को 2 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में लागू किया. इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन देने की व्यवस्था की गई है.

एनीमिया प्रभावितों पर विशेष ध्यान

एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जा रही है. प्रदेश को आगामी 3 सालों में कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभाग समन्वित प्रयास कर रहा है.

रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण

कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद किया गया है. ऐसी स्थिति में बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया है.

हितग्राहियों को बांटा सूखा राशन

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन के स्थान पर सूखा राशन वितरित करने की व्यवस्था की गई है. वहीं इसके तहत मई महीने तक तीन लाख 47 हजार हितग्राहियों को सूखा राशन बांटा गया है. विश्व बैंक ने भी आंगनाबाड़ी कार्यकर्ताओं के कोरोना वायरस के नियंत्रण के साथ ही ‘टेक होम राशन’ वितरण कार्य की प्रशंसा की है.

निशुल्क काउंसलिंग और परामर्श सेवाएं

छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे सभी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित भवन में ठहराकर उनके टीकाकरण, आवश्यक दवाई, स्वास्थ्य परीक्षण की पुख्ता व्यवस्था भी की गई है. कुपोषण प्रभावित बच्चों और महिलाओं को निशुल्क काउंसलिंग और परामर्श सेवाएं देने के साथ नियमित मॉनिटरिंग भी की जा रही है.

यूनिसेफ ने भी की सराहना

सुपोषण रथ, शिविरों और परिचर्चा के माध्यम से जनजागरूकता का प्रयास भी किया जा रहा है. इस कड़ी में एनीमिया के स्तर और स्वास्थ्य सुधार के लिए बस्तर जिले में शुरू किये गए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान और स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत किचन गार्डन को पोषण के लिए अनूठी राह बताते हुए यूनिसेफ ने सराहना की है.

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