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REALITY CHECK: रायपुर में स्कूल के अंदर संचालित हो रही मोहल्ला क्लास

छत्तीसगढ़ में नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत हो चुकी है. प्राथमिक और माध्यमिक शाला के छात्रों के लिए मोहल्ला क्लास संचालित की जा रही हैं. रायपुर जिले में ही करीब 1000 मोहल्ला क्लासेस (Mohalla Class) चल रही हैं. इनमें से ज्यादातर में बहुत छोटी सी जगहों पर काफी संख्या में छात्रों को बैठाया जा रहा है. यहां ना तो पर्याप्त बैठक व्यवस्था है और ना ही दूसरे संसाधन मौजूद हैं.

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रायपुर में स्कूल के अंदर संचालित हो रहे मोहल्ला क्लास
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Published : Jul 14, 2021, 10:17 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 2:54 PM IST

रायपुर: कोरोना महामारी (corona pandemic) ने शिक्षा व्यवस्था को काफी प्रभावित किया है. कोरोना के चलते डेढ़ साल से ज्यादा समय से स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो पा रही है.ऑनलाइन माध्यमों से कोर्स को जरूर कंप्लीट कराया जा रहा है, लेकिन सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को, खासकर के दूरदराज में रहने वाले ग्रामीण छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से जुड़ना बहुत कठिन हो रहा है.

रायपुर में स्कूल के अंदर संचालित हो रहे मोहल्ला क्लास

छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन माध्यम के विकल्प के तौर पर मोहल्ला क्लास (Mohalla Class) की शुरुआत हुई, जिसमें शिक्षक मोहल्लों में बच्चों को इकट्ठा कर पढ़ाई कराना शुरू करते हैं. धीरे-धीरे दूर दराज के गांव में भी मैदानों में, मंदिर या सार्वजनिक स्थानों के आस-पास मोहल्ला क्लास लगना शुरू हो जाती है. इस साल भी यह प्रयोग जारी है, लेकिन मोहल्ला क्लास के नाम पर अब एक जगह पर ही बहुत अधिक छात्रों का जमावड़ा लगना भी शुरू हो गया है.

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मोहल्ला क्लास में पढ़ते बच्चे

रायपुर जिले में ही करीब 1000 मोहल्ला क्लासेस चल रही है. इनमें से ज्यादातर में बहुत छोटी सी जगहों पर काफी संख्या में छात्रों को बैठाया जा रहा है. यहां ना तो पर्याप्त बैठक व्यवस्था है और ना ही दूसरे संसाधन मौजूद हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि जब मोहल्ला की अनुमति दी जा रही है. बच्चों को एक जगह एकत्र करने दिया जा रहा है तो फिर स्कूल खोलने में ही क्या बुराई है ? जहां पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है. इन मोहल्ला क्लासों से ज्यादा कोरोना गाइड लाइन का पालन स्कूलों में किया जा सकता है.

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मोहल्ला क्लास में पढ़ते बच्चे

मोहल्ला क्लास ले रहे कुछ शिक्षक भी ऑफ कैमरा इस बात को कह रहे हैं कि छोटी जगहों में बच्चों को इस तरह पढ़ाई के बजाय स्कूल ज्यादा सुविधाजनक हो सकती है. राज्य के कुछ इलाकों में हमें स्कूल प्रांगण में ही मोहल्ला क्लास आयोजित करने के बारे में पता चला है. ऐसे में सरकार की योजना सवालों के घेरे में है.

Reality Check: सरगुजा में शुरू है मोहल्ला क्लास, लेकिन बारिश होने पर होती है मुसीबत

शिक्षाविदों ने भी उठाए सवाल

छत्तीसगढ़ में मोहल्ला क्लास के नाम पर हुए नवाचार कि सबने तारीफ की. इसकी चर्चा देशभर में हुई इस दौरान कुछ शिक्षकों ने दीवार पर लिखकर तो कुछ ने लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया. ऑनलाइन में चलने वाली क्लासों का लाभ नहीं ले पाने वाले बच्चों को भी कुछ शिक्षकों ने गली-मोहल्लों में दूर दूर बैठा कर सीधे बच्चों के साथ संवाद स्थापित पढ़ाई पूरी कराई.

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मोहल्ला क्लास में पढ़ते बच्चे

इस साल चलने वाली मोहल्ला क्लास का जायजा लेने ETV भारत की टीम पहुंची. इन क्लासों में बच्चों की अच्छी खासी संख्या देखने को मिली है. ज्यादातर मोहल्ला क्लास स्कूलों के आसपास ही सार्वजनिक स्थानों में संचालित दिखी, इस बारे में हमने देश के जाने-माने शिक्षाविद जवाहर सूरीशेट्टी से पूछा तो उनका साफ कहना है कोरोना संक्रमण काल में इस तरह मोहल्ला क्लास का प्रयोग खतरनाक हो सकता है. वे कहते हैं कि जब आज 1 किलोमीटर के दायरे में प्राइमरी स्कूल स्थापित हैं तो क्यों ना उसका इस्तेमाल इस तरह की पढ़ाई के लिए किया जाए.

बच्चों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता, ऑनलाइन क्लास के बाद हर महीने होगा टेस्ट: प्रेमसाय सिंह टेकाम

मोहल्ला क्लास में छात्राओं की संख्या कम

छत्तीसगढ़ में चल रही मोहल्ला क्लासों में एक और खामी नजर आई है. इनमें छात्राओं की संख्या बहुत कम होती है, क्योंकि इस तरह खुले जगहों पर छात्राएं पढ़ने नहीं जा पाती हैं. साथ ही इन जगहों पर टॉयलेट और अन्य सुविधाओं का अभाव होता है. इसलिए भी मोहल्ला क्लासों का लाभ छात्राओं को कम मिल पा रहा है. इसका नतीजा यह देखने को मिल रहा है कि वह अपनी कक्षाओं के छात्रों के मुकाबले सिलेबस में पिछड़ती चली जा रही हैं.

क्या है मोहल्ला क्लास ?

कोरोना काल में सरकार 'पढ़ाई तुंहर दुआर कार्यक्रम' (Padhai Tuhar Dwar program in Chhattisgarh) के अंतर्गत गली मोहल्लों में जाकर शिक्षक बच्चो को पढ़ाई करवाते हैं. शिक्षक बच्चों को एकत्र कर एक सार्वजनिक स्थान पढ़ाई कराते हैं.

रायपुर: कोरोना महामारी (corona pandemic) ने शिक्षा व्यवस्था को काफी प्रभावित किया है. कोरोना के चलते डेढ़ साल से ज्यादा समय से स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो पा रही है.ऑनलाइन माध्यमों से कोर्स को जरूर कंप्लीट कराया जा रहा है, लेकिन सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को, खासकर के दूरदराज में रहने वाले ग्रामीण छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से जुड़ना बहुत कठिन हो रहा है.

रायपुर में स्कूल के अंदर संचालित हो रहे मोहल्ला क्लास

छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन माध्यम के विकल्प के तौर पर मोहल्ला क्लास (Mohalla Class) की शुरुआत हुई, जिसमें शिक्षक मोहल्लों में बच्चों को इकट्ठा कर पढ़ाई कराना शुरू करते हैं. धीरे-धीरे दूर दराज के गांव में भी मैदानों में, मंदिर या सार्वजनिक स्थानों के आस-पास मोहल्ला क्लास लगना शुरू हो जाती है. इस साल भी यह प्रयोग जारी है, लेकिन मोहल्ला क्लास के नाम पर अब एक जगह पर ही बहुत अधिक छात्रों का जमावड़ा लगना भी शुरू हो गया है.

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मोहल्ला क्लास में पढ़ते बच्चे

रायपुर जिले में ही करीब 1000 मोहल्ला क्लासेस चल रही है. इनमें से ज्यादातर में बहुत छोटी सी जगहों पर काफी संख्या में छात्रों को बैठाया जा रहा है. यहां ना तो पर्याप्त बैठक व्यवस्था है और ना ही दूसरे संसाधन मौजूद हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि जब मोहल्ला की अनुमति दी जा रही है. बच्चों को एक जगह एकत्र करने दिया जा रहा है तो फिर स्कूल खोलने में ही क्या बुराई है ? जहां पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है. इन मोहल्ला क्लासों से ज्यादा कोरोना गाइड लाइन का पालन स्कूलों में किया जा सकता है.

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मोहल्ला क्लास में पढ़ते बच्चे

मोहल्ला क्लास ले रहे कुछ शिक्षक भी ऑफ कैमरा इस बात को कह रहे हैं कि छोटी जगहों में बच्चों को इस तरह पढ़ाई के बजाय स्कूल ज्यादा सुविधाजनक हो सकती है. राज्य के कुछ इलाकों में हमें स्कूल प्रांगण में ही मोहल्ला क्लास आयोजित करने के बारे में पता चला है. ऐसे में सरकार की योजना सवालों के घेरे में है.

Reality Check: सरगुजा में शुरू है मोहल्ला क्लास, लेकिन बारिश होने पर होती है मुसीबत

शिक्षाविदों ने भी उठाए सवाल

छत्तीसगढ़ में मोहल्ला क्लास के नाम पर हुए नवाचार कि सबने तारीफ की. इसकी चर्चा देशभर में हुई इस दौरान कुछ शिक्षकों ने दीवार पर लिखकर तो कुछ ने लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया. ऑनलाइन में चलने वाली क्लासों का लाभ नहीं ले पाने वाले बच्चों को भी कुछ शिक्षकों ने गली-मोहल्लों में दूर दूर बैठा कर सीधे बच्चों के साथ संवाद स्थापित पढ़ाई पूरी कराई.

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मोहल्ला क्लास में पढ़ते बच्चे

इस साल चलने वाली मोहल्ला क्लास का जायजा लेने ETV भारत की टीम पहुंची. इन क्लासों में बच्चों की अच्छी खासी संख्या देखने को मिली है. ज्यादातर मोहल्ला क्लास स्कूलों के आसपास ही सार्वजनिक स्थानों में संचालित दिखी, इस बारे में हमने देश के जाने-माने शिक्षाविद जवाहर सूरीशेट्टी से पूछा तो उनका साफ कहना है कोरोना संक्रमण काल में इस तरह मोहल्ला क्लास का प्रयोग खतरनाक हो सकता है. वे कहते हैं कि जब आज 1 किलोमीटर के दायरे में प्राइमरी स्कूल स्थापित हैं तो क्यों ना उसका इस्तेमाल इस तरह की पढ़ाई के लिए किया जाए.

बच्चों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता, ऑनलाइन क्लास के बाद हर महीने होगा टेस्ट: प्रेमसाय सिंह टेकाम

मोहल्ला क्लास में छात्राओं की संख्या कम

छत्तीसगढ़ में चल रही मोहल्ला क्लासों में एक और खामी नजर आई है. इनमें छात्राओं की संख्या बहुत कम होती है, क्योंकि इस तरह खुले जगहों पर छात्राएं पढ़ने नहीं जा पाती हैं. साथ ही इन जगहों पर टॉयलेट और अन्य सुविधाओं का अभाव होता है. इसलिए भी मोहल्ला क्लासों का लाभ छात्राओं को कम मिल पा रहा है. इसका नतीजा यह देखने को मिल रहा है कि वह अपनी कक्षाओं के छात्रों के मुकाबले सिलेबस में पिछड़ती चली जा रही हैं.

क्या है मोहल्ला क्लास ?

कोरोना काल में सरकार 'पढ़ाई तुंहर दुआर कार्यक्रम' (Padhai Tuhar Dwar program in Chhattisgarh) के अंतर्गत गली मोहल्लों में जाकर शिक्षक बच्चो को पढ़ाई करवाते हैं. शिक्षक बच्चों को एकत्र कर एक सार्वजनिक स्थान पढ़ाई कराते हैं.

Last Updated : Jul 15, 2021, 2:54 PM IST
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