रायपुर : झीरम मामले को लेकर एक बार फिर प्रदेश में राजनीति गरमा गई है. इस मामले को लेकर झीरम में जान गंवाने वाले नेताओं के परिजनों ने रविवार को तत्कालीन बीजेपी सरकार सहित केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने जांच में केंद्र सरकार पर सहयोग न करने का आरोप लगाया. वहीं सोमवार को इस मामले में बघेल सरकार फ्रंट फुट पर आ गई है. राज्य सरकार के 3-3 मंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
कांग्रेस प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. जिसमें मंत्री रविन्द्र चौबे, मोहम्मद अकबर और शिव डहरिया सहित कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम उपस्थित रहे. इस दौरान कांग्रेस सरकार ने झीरम मामले को लेकर केंद्र सरकार पर कई संगीन आरोप लगाए साथ ही उन्होंने पूर्व की रमन सरकार पर भी झीरम हमले की सत्यता छिपाने का आरोप लगाया है.
मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि झीरम हमले में हमने अपनी पहली पीढ़ी के सभी नेताओं को खोया है. आज भी यह प्रश्न सबके सामने है कि यह घटना क्या राजनीतिक वारदात थी, भाजपा की विकास यात्रा के समानांतर कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा चल रही थी, कांग्रेस की यात्रा को सुरक्षा मुहैया क्यों नहीं कराई गई. आज भी इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका है. NIA किसके इशारे पर काम कर रही है? हम मान कर चलते हैं जिनकी सरकार केंद्र में है उन्हीं के इशारे पर NIA काम कर रही है.
पढ़ें- झीरम घाटी केस : पीड़ित परिवार की केंद्र से मांग, NIA रिपोर्ट SIT को दे
चौबे ने कहा कि नक्सलियों के शहरी नेटवर्क पर हमारी सरकार लगातार कार्रवाई कर रही है. हाल ही में भाजपा नेता का नाम नक्सलियों को ट्रैक्टर सप्लाई करने में सामने आया है. NIA ने अदालत में बयान दिया कि जांच पूरी हो चुकी है. तो फिर क्यों प्रदेश सरकार को जांच से रोका जा रहा है.
कब तक चलेगी जांच?
वहीं मंत्री मोहम्मद अकबर ने भी केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि मौजूदा राज्य सरकार ने NIA की जांच से जुड़े दस्तावेज राज्य सरकार की गठित SIT को सौंपे जाने की मांग की थी, लेकिन दस्तावेज नहीं दिए गए. 2015 में NIA ने चार्जशीट दायर की और कहा कि जांच हो गई. जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में दर्ज FIR के हवाले से NIA की जांच में कुछ अन्य बिंदु शामिल करने की मांग की थी. तब NIA ने कहा कि ये सभी जांच में शामिल है, इतना विरोधाभास क्यों. पहले कहा गया जांच हो गई, अब कहते हैं जांच जारी है.
मोहन मरकान ने रमन सिंह को घेरा
मोहन मरकाम ने कहा कि भूपेश सरकार SIT का गठन करके जांच में गति लाना चाहती थी ,लेकिन मोदी सरकार ने अड़ंगा लगाया. हमारे फ्रंट लाइन के नेताओं की हत्या घटना नहीं बल्कि साजिश थी. केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच से मना किया था तो क्यों रमन सिंह ने यह बात छुपाई.
'एसआईटी जांच को रोका जा रहा है'
वही मंत्री डहरिया ने कहा कि 6 साल से केंद्र में बीजेपी सरकार है. हमारे शीर्ष नेतृत्व को सुपारी किलिंग के जरिए खत्म किया गया. इस मामले में रमन सिंह की सरकार संलिप्त नजर आती है. भाजपा सरकार जानबूझकर जांच नहीं कराना चाहती क्योंकि वह खुद संलिप्त है. राज्य सरकार की SIT को भी जांच से रोका जा रहा है.