रायपुर : सामान्यतौर पर बेहद शांत माना जाने वाला प्रदेश छत्तीसगढ़ आज देशभर में एनकाउंटर के मामले में टॉप पर आ पहुंचा है. छत्तीसगढ़ ने उत्तरप्रदेश, मुम्बई और बिहार जैसे कई बड़े राज्यों को एनकाउंटर के मामले में पछाड़ दिया है. पिछले पांच सालों में छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक एनकाउंटर हुए हैं. यह बात हम नहीं बल्कि संसद में पूछे गए एक सवाल (mha said chhattisgarh top in encounter in india) के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पेश किये गए आंकड़े कह रहे हैं. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2017 से इस साल 31 जनवरी के बीच छत्तीसगढ़ पुलिस ने 191 एनकाउंटर किये हैं. जबकि 117 एनकाउंटर के मामलों के साथ यूपी देश में दूसरे स्थान पर है.
एनकाउंटर में देश के इन राज्यों की जानें पोजीशन
देशभर में पिछले पांच साल में 655 मौतें पुलिस एनकाउंटर में दर्ज हुई हैं. सबसे ज्यादा 191 मौतें छत्तीसगढ़ में पुलिस एनकाउंटर के दौरान हुईं. इसके अलावा अपराधियों पर लगाम कसने और विकास दुबे एनकाउंटर के लिए चर्चित रहे उत्तर प्रदेश में ऐसे 117 मामले सामने आए हैं. असम में 50 एनकाउंटर हुए हैं. झारखंड में भी ऐसे 49 केस दर्ज हुए. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक ओडिशा में 36 और जम्मू कश्मीर में 35 केस दर्ज हुए हैं. वहीं महाराष्ट्र में 26 मौतें पुलिस एनकाउंटर में हुई हैं. इसी दौरान बिहार में 22 ऐसी घटनाएं दर्ज की गई हैं. हरियाणा में 15 और तमिलनाडु में भी 14 लोग पुलिस एनकाउंटर में मारे गए हैं. जबकि तेलंगाना, मध्य प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में ऐसे 13-13 मामले दर्ज किये गए हैं. आंध्र प्रदेश और मेघालय में एनकाउंटर के 9-9 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि राजस्थान और दिल्ली में महज 8 मामले दर्ज हुए.
जानिये कैसे एनकाउंटर के मामले में टॉप पर आया छत्तीसगढ़
गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक यह पहला मौका है जब छत्तीसगढ़ ने एनकाउंटर के मामले में कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. एक्सपर्ट डॉ. वर्णिका शर्मा ने बताया कि देश की आंतरिक सुरक्षा को सबसे जटिल चुनौती नक्सलवाद से है. छत्तीसगढ़ नक्सलवाद संघर्षग्रस्त राज्यों की सूची में सबसे अग्रणी है. इसी वजह से नक्सली वारदातों के मामलों में भी छत्तीसगढ़ सबसे आगे है. चूंकि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद सबसे ज्यादा है, इसी कारण अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा जवान तैनात हैं. मुठभेड़ की संभावनाएं भी लगातार बनी रहती हैं. छत्तीसगढ़ ज्वाइंट ऑपरेशन का भी क्षेत्र है. तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिशा की सीमा से लगे हुए कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं, जहां नक्सलवादी अन्य राज्यों से वारदात करके यहां शरण लेने की कोशिश करते हैं. ऐसी परिस्थिति में भी जब एनकाउंटर होता है या मुठभेड़ होते हैं तो निश्चित रूप से वारदातों की संख्या भी बढ़ती है. इसके साथ एनकाउंटर की संख्या में भी वृद्धि होती है.
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एनकाउंटर में टॉप पर हैं, फिर भी कमी नहीं तो होगा विचारणीय
एक्सपर्ट डॉ वर्णिका शर्मा बताती हैं कि अगर किसी राज्य में एनकाउंटर ज्यादा हो रहा है तो उस राज्य में अपराध में कमी आनी चाहिए. यह सवाल भी उठता है कि जिस तादाद में और जहां एनकाउंटर हो रहे हैं, क्या उस तादाद में वास्तव में अपराधों पर नकेल कसी गई है या नहीं. यदि एनकाउंटर्स के बढ़ने के अनुपात में अपराधों की संख्या में गिरावट आ रही है, तब इसे बैलेंसिंग मान सकते हैं.
गर्मी में सबसे अधिक होते हैं मुठभेड़
छत्तीसगढ़ पिछले कुछ दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. बस्तर संभाग के कई जिलों में आयेदिन नक्सली और पुलिस जवानों के बीच मुठभेड़ की खबर आती रहती है. कई मुठभेड़ में हमारे जवानों ने नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है. केंद्रीय गृहमंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पिछले 5 सालों में 191 नक्सलियों का एनकाउंटर हुआ है. इसके अलावा हजारों नक्सलियों को गिरफ्तार करने में पुलिस को कामयाबी भी मिली है. चूंकि छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित राज्य है, इसलिए यहां नक्सलियों का ही एनकाउंटर हुआ है. अन्य किसी भी आपराधिक मामलों में पुलिस ने किसी का एनकाउंटर नहीं किया.
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एनकाउंटर पर उठते रहे सवाल
छत्तीसगढ़ में कई बार पुलिस एनकाउंटर के मामलों पर सवाल भी उठते रहे हैं. वनांचल में ग्रामीण कई बार फर्जी मुठभेड़ का भी आरोप पुलिस पर लगा चुके हैं. मानवाधिकार आयोग ने भी कुछ मुठभेड़ को लेकर सवाल खड़े किये हैं. हाल ही में पुलिस ने एक ग्रामीण को नक्सली बताकर उसका एनकाउंटर कर दिया था. इसके बाद नक्सलियों ने पर्चा जारी कर पुलिस मुठभेड़ को फर्जी बताया और पुलिस द्वारा ग्रामीण की हत्या करने की बात कही थी. इसके दो दिन बाद पुलिस ने भी इस मामले को लेकर बयान जारी किया और गलती से ग्रामीण की मौत होने की बात कबूली.