ETV Bharat / state

WORLD MENTAL HEALTH DAY: जब स्वस्थ रहेगा मन, तो स्वस्थ रहेंगे आप

हर साल 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ करना और जीवन को लेकर सकारात्मक बनाना है. ETV भारत ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मनोरोग विशेषज्ञों से बातचीत की. लोग अपने दिमाग को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं, इसे भी जानने की कोशिश की गई.

author img

By

Published : Oct 10, 2020, 1:02 PM IST

world mental health day 2020
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020

रायपुर: हम रोजमर्रा के जीवन में कई बार खुद को समय देना भूल जाते हैं. घर-परिवार और कामकाज की वजह से हमारे पास इतना भी वक्त नहीं होता कि हम अपनी अंतरात्मा से संवाद कर सकें. यही वजह है कि कई बार हमारा दिमाग स्वस्थ नहीं रह पाता. मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने और दिमाग को सकारात्मक रखने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. ETV भारत ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मनोरोग विशेषज्ञों से बातचीत की है और लोग अपने दिमाग को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं, इसे भी जानने की कोशिश की.

वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे

भागती-दौड़ती जिंदगी के बीच कई बार इंसान इतना ज्यादा डिप्रेशन में चला जाता है कि वह आत्मघाती कदम उठाने को भी मजबूर हो जाता है. आए दिन आत्महत्या के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, सुसाइड करने वाला एक बड़ा वर्ग पुरुषों का है. राजधानी रायपुर की बात करें तो बीते 8 महीने में कुल 474 लोगों ने आत्महत्या की है, जिनमें 350 से ज्यादा पुरुष थे. जिन्होंने अलग-अलग कारणों से अपनी जान दे दी. खुदकुशी करने के आंकड़ों में महिलाओं का ग्राफ नीचे है.

अगस्त महीने में 187 लोगों ने की आत्महत्या

कोरोना महामारी के मद्देनजर 25 मार्च से लेकर करीब 3-4 महीने तक लॉकडाउन की स्थिति रही. संकटकाल में लगे इस लॉकडाउन से देश के हर क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ. इस दौरान कई लोगों ने आत्महत्या की है. इनमें से ज्यादातर सुसाइड की वजह बेरोजगारी थी. कई कारोबार ठप पड़ गए, जिससे कई लोगों की जिदंगी रास्ते पर आ गई. कई कंपनियां बंद हो गईं. मजदूरों को यहां-वहां भटकना पड़ा. मध्यमवर्गी परिवार भी इस बीच जूझता रहा. सिर्फ अगस्त में ही 187 लोगों ने खुदकुशी कर ली है.

पुलिस विभाग के मुताबिक साल 2019 की बात की जाए, तो राजधानी रायपुर में कुल 657 लोगों ने खुदकुशी की थी. इस आंकड़े में बुजुर्ग, महिला, पुरुष, नाबालिग और युवा भी शामिल हैं.

आत्महत्या में 90 फीसदी मामले अवसाद के

मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि दुबे ने बताया कि अक्सर पुरुषों में ज्यादा सुसाइड दर्ज किए गए हैं. खुदकुशी का जड़ अवसाद और हताशा है. यह एक मनोविकार है, इससे पीड़ित व्यक्ति में मोटिवेशन की बहुत कमी होती है. इंसान हताशा और निराशा से घिर जाता है. डॉक्टर का कहना है कि नशे की लत भी खुदखुशी का कारण बनती है. आत्महत्या में 90 फीसदी मामले अवसाद की वजह से होते हैं. सिर्फ 10 प्रतिशत मामले तत्कालीन कारणों की वजह से होते हैं.

मनोरोग विशेषज्ञ ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर पुरुष घर-परिवार की जिम्मेदारी को लेकर चिंतित भी थे. दो वक्त के खाने के लिए भी लोगों को सोचना पड़ रहा था, ऐसे में इंसान डिप्रेशन का शिकार हो ही जाएगा. दिमागी प्रेशर बढ़ने की वजह से लोगों ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया.

सुसाइड करने के मुख्य कारण

  • परिवार में हो रही दिक्कतों से तंग आकर ज्यादातर लोग सुसाइड करते हैं.
  • शराब, ड्रग्स और तंबाकू जैसे नशीले पदार्थ भी सुसाइड की प्रमुख वजह हैं.
  • बार-बार कोशिश करने के बाद भी सफलता नहीं मिलने पर.
  • पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में हो रहे तनाव को नहीं झेल पाना.
  • देश में बेरोजगारी की वजह से भी ज्यादातर युवा हर साल सुसाइड करते हैं.
  • इस साल कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोगों की नौकरी चली गई. जिससे परेशान कई लोगों ने खुदकुशी कर ली.

मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि दुबे कहती हैं कि सुसाइड के मामले में पुरुषों का आंकड़ा हमेशा ज्यादा इसलिए रहता है, क्योंकि वे अपनी फीलिंग शेयर नहीं करते. वह बातों को हमेशा अपने तक ही दबाकर रख लेते हैं.

सकारात्मक रहन है जरूरी

मनोरोग डॉक्टर शशिकांत सिंह राजपूत ने सुसाइड टेंडेंसी को किस तरह कम किया जा सकता है, इसके बारे में बताते हुए कहा कि अगर व्यक्ति नशा ना करे और अपने परिवार के बीच ज्यादा घुल मिलकर रहे. अपनी बातों को अपने परिवार या दोस्तों के साथ शेयर करे, तो सुसाइड टेंडेंसी काफी कम हो जाती है. इंसान का अंदर से खुश होना ज्यादा जरूरी होता है. अगर इंसान खुश है और सकारात्मक है, तो वह बड़ी-बड़ी समस्याओं से बाहर निकल सकता है.

पढ़ें- मेडिटेशन और योग करें...अवसाद से जीत सकते हैं जंग

किस तरह सुसाइड टेंडेंसी पर पाया जा सकता है काबू

  • ज्यादा से ज्यादा अपने परिवार और चाहने वालों के बीच रहें.
  • शराब या किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन बिल्कुल भी ना करें.
  • हमेशा खुश रहें और अपने आसपास के वातावरण को खुशनुमा रखें.
  • अच्छे लोगों से मिलें और उनसे बात करें.
  • अपनी समस्याओं को ज्यादा से ज्यादा अपने परिवार और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.
  • जितना हो सके अपने मूड को ठीक रखने के लिए अपनी पसंदीदा चीजें करें, जो आपको खुशी देती हो.

रायपुर: हम रोजमर्रा के जीवन में कई बार खुद को समय देना भूल जाते हैं. घर-परिवार और कामकाज की वजह से हमारे पास इतना भी वक्त नहीं होता कि हम अपनी अंतरात्मा से संवाद कर सकें. यही वजह है कि कई बार हमारा दिमाग स्वस्थ नहीं रह पाता. मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने और दिमाग को सकारात्मक रखने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. ETV भारत ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मनोरोग विशेषज्ञों से बातचीत की है और लोग अपने दिमाग को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं, इसे भी जानने की कोशिश की.

वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे

भागती-दौड़ती जिंदगी के बीच कई बार इंसान इतना ज्यादा डिप्रेशन में चला जाता है कि वह आत्मघाती कदम उठाने को भी मजबूर हो जाता है. आए दिन आत्महत्या के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, सुसाइड करने वाला एक बड़ा वर्ग पुरुषों का है. राजधानी रायपुर की बात करें तो बीते 8 महीने में कुल 474 लोगों ने आत्महत्या की है, जिनमें 350 से ज्यादा पुरुष थे. जिन्होंने अलग-अलग कारणों से अपनी जान दे दी. खुदकुशी करने के आंकड़ों में महिलाओं का ग्राफ नीचे है.

अगस्त महीने में 187 लोगों ने की आत्महत्या

कोरोना महामारी के मद्देनजर 25 मार्च से लेकर करीब 3-4 महीने तक लॉकडाउन की स्थिति रही. संकटकाल में लगे इस लॉकडाउन से देश के हर क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ. इस दौरान कई लोगों ने आत्महत्या की है. इनमें से ज्यादातर सुसाइड की वजह बेरोजगारी थी. कई कारोबार ठप पड़ गए, जिससे कई लोगों की जिदंगी रास्ते पर आ गई. कई कंपनियां बंद हो गईं. मजदूरों को यहां-वहां भटकना पड़ा. मध्यमवर्गी परिवार भी इस बीच जूझता रहा. सिर्फ अगस्त में ही 187 लोगों ने खुदकुशी कर ली है.

पुलिस विभाग के मुताबिक साल 2019 की बात की जाए, तो राजधानी रायपुर में कुल 657 लोगों ने खुदकुशी की थी. इस आंकड़े में बुजुर्ग, महिला, पुरुष, नाबालिग और युवा भी शामिल हैं.

आत्महत्या में 90 फीसदी मामले अवसाद के

मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि दुबे ने बताया कि अक्सर पुरुषों में ज्यादा सुसाइड दर्ज किए गए हैं. खुदकुशी का जड़ अवसाद और हताशा है. यह एक मनोविकार है, इससे पीड़ित व्यक्ति में मोटिवेशन की बहुत कमी होती है. इंसान हताशा और निराशा से घिर जाता है. डॉक्टर का कहना है कि नशे की लत भी खुदखुशी का कारण बनती है. आत्महत्या में 90 फीसदी मामले अवसाद की वजह से होते हैं. सिर्फ 10 प्रतिशत मामले तत्कालीन कारणों की वजह से होते हैं.

मनोरोग विशेषज्ञ ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर पुरुष घर-परिवार की जिम्मेदारी को लेकर चिंतित भी थे. दो वक्त के खाने के लिए भी लोगों को सोचना पड़ रहा था, ऐसे में इंसान डिप्रेशन का शिकार हो ही जाएगा. दिमागी प्रेशर बढ़ने की वजह से लोगों ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया.

सुसाइड करने के मुख्य कारण

  • परिवार में हो रही दिक्कतों से तंग आकर ज्यादातर लोग सुसाइड करते हैं.
  • शराब, ड्रग्स और तंबाकू जैसे नशीले पदार्थ भी सुसाइड की प्रमुख वजह हैं.
  • बार-बार कोशिश करने के बाद भी सफलता नहीं मिलने पर.
  • पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में हो रहे तनाव को नहीं झेल पाना.
  • देश में बेरोजगारी की वजह से भी ज्यादातर युवा हर साल सुसाइड करते हैं.
  • इस साल कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोगों की नौकरी चली गई. जिससे परेशान कई लोगों ने खुदकुशी कर ली.

मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि दुबे कहती हैं कि सुसाइड के मामले में पुरुषों का आंकड़ा हमेशा ज्यादा इसलिए रहता है, क्योंकि वे अपनी फीलिंग शेयर नहीं करते. वह बातों को हमेशा अपने तक ही दबाकर रख लेते हैं.

सकारात्मक रहन है जरूरी

मनोरोग डॉक्टर शशिकांत सिंह राजपूत ने सुसाइड टेंडेंसी को किस तरह कम किया जा सकता है, इसके बारे में बताते हुए कहा कि अगर व्यक्ति नशा ना करे और अपने परिवार के बीच ज्यादा घुल मिलकर रहे. अपनी बातों को अपने परिवार या दोस्तों के साथ शेयर करे, तो सुसाइड टेंडेंसी काफी कम हो जाती है. इंसान का अंदर से खुश होना ज्यादा जरूरी होता है. अगर इंसान खुश है और सकारात्मक है, तो वह बड़ी-बड़ी समस्याओं से बाहर निकल सकता है.

पढ़ें- मेडिटेशन और योग करें...अवसाद से जीत सकते हैं जंग

किस तरह सुसाइड टेंडेंसी पर पाया जा सकता है काबू

  • ज्यादा से ज्यादा अपने परिवार और चाहने वालों के बीच रहें.
  • शराब या किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन बिल्कुल भी ना करें.
  • हमेशा खुश रहें और अपने आसपास के वातावरण को खुशनुमा रखें.
  • अच्छे लोगों से मिलें और उनसे बात करें.
  • अपनी समस्याओं को ज्यादा से ज्यादा अपने परिवार और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.
  • जितना हो सके अपने मूड को ठीक रखने के लिए अपनी पसंदीदा चीजें करें, जो आपको खुशी देती हो.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.