रायपुर: पीरियड, माहवारी, महीना, मासिक धर्म. अलग-अलग नामों का एक सा 'दर्द'. दर्द जो शारीरिक तो है लेकिन उतना ही सामाजिक भी. आज विश्व मासिक धर्म दिवस है. साल 2014 से 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है, जिसका लक्ष्य है समाज में फैली पीरियड संबंधी गलत मानसिकता को दूर करना. महिलाओं और किशोरियों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना.
भारत में माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों ने जड़ें जमा रखी हैं. पीरियड पर खुलकर दो लड़कियां आपस में बात करने में झिझकती हैं, मां से बेटियां दर्द बांटने में शर्माती हैं, दुकान से सेनेटरी नैपकिन काली पॉलिथिन में लाने में या फिर बैग में छुपाने से दीवार ही खड़ी होती है. जरूरी है इस दिन इस झिझक को दूर किया जाए, ये दर्द बांटा जाए. आइए इस दिन आपको बताते हैं कि कैसे आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और इन दिनों में कैसे फ्री फील करें.
इन बातों का रखें ध्यान-
सफाई का सही तरीका चुनें -
- आज सेनिटरी नैपिकिन, टैम्पोन और मेन्स्ट्रुअल कप जैसे बहुत से विकल्प हैं, जिनकी जरिए आप मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई का विशेष ख्याल रख सकती हैं. हमारे देश में ज्यादातर लड़कियां सेनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं. अगर आप टैम्पोन यूज करती हैं तो भी संभाल कर करें, बदलती रहें. प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करें और देखें कि कौनसा का आपके लिए सबसे ज्यादा अनुकूल है.
- पीरियड्स के दौरान खून शरीर से बाहर निकलने के बाद जल्द ही दूषित होने लगता है. जिन दिनों आपको ज्यादा ब्लीडिंग नहीं होती, उन दिनों भी ऐसा ही होता है. आपका पैड गीला रहने और गुप्तांगों से पसीना आने के कारण बैक्टीरिया पनपने की संभावना होती है, इसलिए पैड बदलती रहें. लगातार गीले पैड से बैक्टीरिया पनपते हैं ऐसे में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है.
- अपने गुप्तांगों को रेग्युलर साफ करें
- पीरियड्स के दौरान आपके गुप्तागों के आस-पास की त्वचा में खून समा जाता है, जो संक्रमण का कारण बन सकता है. इसलिए जरूरी है कि प्राइवेट पार्ट को नियमित रूप से साफ करें. पैड बदलते वक्त भी सफाई का ध्यान रखें या तो गर्म पानी से साफ करें या फिर टिश्यु का इस्तेमाल करें.
- पीरियड्स के दौरान कपड़े का उपयोग करने की जगह पैड का उपयोग करें. हर 6 घंटे में पैड बदलते रहे साथ ही डिस्पोसेबल पैड का उप्योग करें.
- खाने पीने का विशेष ध्यान रखें.
- ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जी, भाजी और फल खाएं
हमारे देश में मासिक धर्म होने की वजह से लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं, कई इलाकों में घर के अंदर आने की इजाजत नहीं होती, मंदिरों में प्रवेश नहीं मिलता और हम इस विषय पर खुल कर बात नहीं करते हैं. मासिक धर्म स्वच्छता दिवस का उद्देश्य मौन तोड़ना और मूलभूत भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करना है, जिससे ये दीवार टूटे. पीरियड एक 'फिजिकल प्रोसेस' है, 'सोशल जजमेंट' नहीं.