रायपुर: कोरोना का असर हर तीज त्योहार पर देखने को मिल रहा है. चिकित्सकों के संगठन आईएमए ने राजस्थान में लाए गए अध्यादेश का हवाला देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. साथ ही छत्तीसगढ़ में भी पटाखों को बैन करने की मांग की है. चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना संक्रमितों के फेफड़े में इंफेक्शन होता है, ऐसे में आतिशबाजी से होने वाला प्रदूषण उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी पर रोक लगाने की मांग उठ रही है.
चिकित्सकों ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए शासन को सलाह दी है कि पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई जाए. उन्होंने कहा है कि पटाखा जलाने वालों पर भी सख्ती की जाए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के रायपुर अध्यक्ष डॉ. अनिल जैन, सचिव डॉ. आशा जैन और हास्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजे गए पत्र में आशंका जताई है कि पटाखे से उठाने वाले धुएं से कोरोना की स्थिति और गंभीर हो सकती है. इसलिए इसकी बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया जाए.
राजस्थान सरकार पहले ही पटाखों की बिक्री पर लगा चुकी है रोक
दरअसल राजस्थान सरकार ने प्रदूषण की आशंका को देखते हुए पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई है. वहां कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क के उपयोग को अनिवार्य करते हुए इसके लिए कानून भी लाया है. वर्तमान में प्रदेश कोरोना महामारी से जूझ रहा है और रोजाना बड़ी संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं. कोविड का संक्रमण प्रभावित मरीजों के फेफड़े प्रभावित करता है, इसलिए उन्हें वायु प्रदूषण वाले स्थान से दूर रहने की हिदायत दी जाती है. दीपावली के दौरान की जाने वाले आतिशबाजी की वजह से बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण होता है, जो कोरोना प्रभावितों के लिए खतरनाक हो सकता है.
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एनजीटी ने पूछा सवाल- दीपावली पर पटाखे बैन कर देना चाहिए या नहीं?
एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, हरियाणा सरकार, राजस्थान सरकार, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड और दिल्ली पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड को नोटिस जारी किया है. एनजीटी ने पूछा है कि 7 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों को जनता के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए बैन कर देना चाहिए या नहीं. सभी पक्षों से एनजीटी ने 5 नवंबर से पहले कोर्ट में जवाब दायर करने को कहा है.
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मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी. एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि बीते सालों में अभी पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर कई तरह की गाइडलाइंस जारी की गई थी और देखा गया था कि पटाखों के इस्तेमाल के बाद दिल्ली एनसीआर में एयर क्वॉलिटी और खराब हो गई. कोर्ट ने कहा कि इस साल स्थितियां पहले से ही गंभीर हैं. ऐसे में पटाखों के इस्तेमाल से एयर क्वॉलिटी में और गिरावट आ सकती है.
दिल्ली की एयर क्वॉलिटी अभी भी है खराब
दिल्ली एनसीआर में अभी भी एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 400 से 450 के बीच में है, जो कि खतरनाक कैटिगरी में आता है. ऐसे में पटाखों का इस्तेमाल प्रदूषण को और बढ़ाकर विस्फोटक स्थिति को पैदा कर सकता है.