रायपुर: कांग्रेस के देशव्यापी मौन सत्याग्रह में सीएम बघेल सहित छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने शिरकत की. चार घंटे से अधिक समय तक चले मौन विरोध प्रदर्शन के दौरान बघेल, एआईसीसी की छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा, राज्य कांग्रेस प्रमुख मोहन मरकाम और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को काले मुखौटे पहने देखा गया.
कांग्रेस नेताओं ने इस विरोध प्रदर्शन में चुपचाप मंच पर बैठने का काम किया. सभी कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता यहां मौजूद थे. इस दौरान सबने मोदी सरकार पर निशाना साधने की तैयारी कर ली थी. विरोध प्रदर्शन के बाद सीएम बघेल ने मोदी सरकार पर कई वार किए.
"राहुल गांधी की पदयात्रा से डरी मोदी सरकार": सीएम भूपेश बघेल ने इस दौरान कहा कि" कांग्रेस नेता राहुल गांधी की देशव्यापी पदयात्रा को मिली उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया से मोदी सरकार डरी हुई थी. इसलिए उन्हें दबाने की कोशिश की गई. अभी हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है. जिससे बीजेपी परेशान थी. इसलिए उन्हें दबाया गया. उनकी संसद सदस्यता रद्द की गई. यह आंदोलन राहुल गांधी के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए आयोजित किया गया था"
"लोकतंत्र को कुचलने और जनहितैषी मुद्दे उठाने वालों की आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है. जिस तरह से राहुल जी की लोकसभा सदस्यता समाप्त की गई. उन्हें अपना बंगला खाली करना पड़ा. इसके विरोध में यह आंदोलन किया गया है. कांग्रेस लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करती रहेगी"- भूपेश बघेल, सीएम, छत्तीसगढ़
अरुण साव पर किया पलटवार: मौन सत्याग्रह के बाद सीएम भूपेश बघेल ने बीजेपी और छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के उस बयान पर हमला बोला. जिसमें साव ने कहा था कि" मोदी उपनाम टिप्पणी केस में राहुल का बचाव करने में कांग्रेस का मौन विरोध अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी का अपमान है." सीएम बघेल ने कहा कि "उपनाम का उपयोग उच्च जातियों सहित कई सामाजिक समूहों में लोगों द्धारा किया जाता है. इसका ओबीसी से क्या लेना देना. मोदी उपनाम का प्रयोग मुस्लिम और पारसी धर्म के लोग भी करते हैं. क्या वह ओबीसी से आते हैं. अग्रवाल और ऊंची जाति के लोग भी मोदी सरनेम लिखते हैं. ऐसा नहीं है कि केवल ओबीसी ही मोदी सरनेम का उपयोग करते हैं. अरुण साव को इस बारे में थोड़ा सीखना चाहिए"
मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को नहीं मिली है राहत: मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को गुजरात हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है.इस मामले में राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में उनकी सजा पर रोक लगाने वाली याचिका दायर की थी. जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. इससे पहले सूरत कोर्ट ने उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई थी. जिस वजह से उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी.