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नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए पूजा की संपूर्ण विधि - mata brahmacharini

मां ब्रह्मचारिणी, दुर्गा की दूसरी रूप मानी जाती हैं. कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी अत्यंत कल्याणकारी हैं और उनकी आराधना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

माता ब्रह्मचारिणी
माता ब्रह्मचारिणी
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Published : Oct 5, 2021, 8:17 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 7:07 AM IST

रायपुर: 8 अक्टूबर शुक्रवार को माता ब्रह्मचारिणी (Mata Brahmacharini) या तपस्विनी रूप की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी माता तपस्या और त्याग की देवी हैं. हमें अपने जीवन में उदारता के साथ त्याग, तपस्या और ब्रम्हचर्य के व्रत का निश्चित ही पालन करना चाहिए. नवरात्रि के शुभ द्वितीया पर्व पर ब्रह्मचारिणी माता का विशेष महत्व है. इस दिन ब्रह्मचारिणी माता की कथा सुनने, व्रत करने और उपवास करने का विशेष विधान है. शुक्रवार का संयोग इस दिन को विशेष सुभूषित कर रहा है. स्वाति नक्षत्र विष्कुंभ योग कौलव तैतिल के साथ शुभ गज केसरी योग का निर्माण हो रहा है. शारदीय नवरात्रि के शुभ द्वितीय दिन भद्र योग सर योग और गुरु ग्रह के द्वारा नीच भंग राजयोग का सुखद संयोग निर्मित हो रहा है.

नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री विनीत शर्मा बताते हैं कि माताकरणी माता ब्रह्मचारिणी हर पल हमें महान तप और महान कर्म करने के लिए प्रेरित करती हैं. आज के दिन व्रत उपवास करने पर कठिन से कठिन समय पर भी विजय प्राप्त होती है. असाध्य लक्ष्य भी प्राप्त किए जा सकते हैं. ऐसे जातक जिनके पारिवारिक जीवन में थोड़ा बहुत मनमुटाव हो. दोनों पति पत्नियों को सौभाग्यवती माता की श्रद्धा से उपासना करनी चाहिए. कुंवारी कन्याएं जिन के विवाह में लंबे अंतराल से बाधा आ रही हो. उन्हें भी ब्रह्मचारिणी माता का व्रत और पूजन करना चाहिए.

भगवान शिव की प्राप्ति के लिए की थीं घनघोर तपस्या
ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने अभीष्ट शिव की प्राप्ति के लिए घनघोर तपस्या की. जंगल में पाए जाने वाले शाक और पत्रों का भी सेवन करना त्याग दिया था. तब से ही माता अपर्णा नाम से सुशोभित हुई. माता ने यह कार्य महर्षि नारद के उपदेश से ही किया था. नवरात्रि की दूज को सिद्ध करने पर कुंडलिनी जागरण होता है और स्वाधिष्ठान चक्र का जागरण होता है. जिससे मनुष्य की असीमित शक्तियां जागृत हो जाती हैं. द्वितीया नवरात्रि की उपासना से भगवती का विशेष आशीर्वाद मिलता है.

रायपुर: 8 अक्टूबर शुक्रवार को माता ब्रह्मचारिणी (Mata Brahmacharini) या तपस्विनी रूप की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी माता तपस्या और त्याग की देवी हैं. हमें अपने जीवन में उदारता के साथ त्याग, तपस्या और ब्रम्हचर्य के व्रत का निश्चित ही पालन करना चाहिए. नवरात्रि के शुभ द्वितीया पर्व पर ब्रह्मचारिणी माता का विशेष महत्व है. इस दिन ब्रह्मचारिणी माता की कथा सुनने, व्रत करने और उपवास करने का विशेष विधान है. शुक्रवार का संयोग इस दिन को विशेष सुभूषित कर रहा है. स्वाति नक्षत्र विष्कुंभ योग कौलव तैतिल के साथ शुभ गज केसरी योग का निर्माण हो रहा है. शारदीय नवरात्रि के शुभ द्वितीय दिन भद्र योग सर योग और गुरु ग्रह के द्वारा नीच भंग राजयोग का सुखद संयोग निर्मित हो रहा है.

नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री विनीत शर्मा बताते हैं कि माताकरणी माता ब्रह्मचारिणी हर पल हमें महान तप और महान कर्म करने के लिए प्रेरित करती हैं. आज के दिन व्रत उपवास करने पर कठिन से कठिन समय पर भी विजय प्राप्त होती है. असाध्य लक्ष्य भी प्राप्त किए जा सकते हैं. ऐसे जातक जिनके पारिवारिक जीवन में थोड़ा बहुत मनमुटाव हो. दोनों पति पत्नियों को सौभाग्यवती माता की श्रद्धा से उपासना करनी चाहिए. कुंवारी कन्याएं जिन के विवाह में लंबे अंतराल से बाधा आ रही हो. उन्हें भी ब्रह्मचारिणी माता का व्रत और पूजन करना चाहिए.

भगवान शिव की प्राप्ति के लिए की थीं घनघोर तपस्या
ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने अभीष्ट शिव की प्राप्ति के लिए घनघोर तपस्या की. जंगल में पाए जाने वाले शाक और पत्रों का भी सेवन करना त्याग दिया था. तब से ही माता अपर्णा नाम से सुशोभित हुई. माता ने यह कार्य महर्षि नारद के उपदेश से ही किया था. नवरात्रि की दूज को सिद्ध करने पर कुंडलिनी जागरण होता है और स्वाधिष्ठान चक्र का जागरण होता है. जिससे मनुष्य की असीमित शक्तियां जागृत हो जाती हैं. द्वितीया नवरात्रि की उपासना से भगवती का विशेष आशीर्वाद मिलता है.

Last Updated : Oct 8, 2021, 7:07 AM IST
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