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अंतागढ़ टेपकांड : मंतूराम पवार के बयान से छत्तीसगढ़ में मची खलबली, सुनें

साल 2014 में अंतागढ़ के तत्कालीन विधायक विक्रम उसेंडी ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद अंतागढ़ में उप चुनाव कराना पड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व विधायक मंतूराम पवार को उम्मीदवार बनाया था.

अंतागढ़ टेपकांड
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Published : Sep 7, 2019, 10:32 PM IST

रायपुर: अंतागढ़ टेप कांड मामले में मंतूराम पवार ने बयान में कहा है कि राजेश मूणत के बंगले में साढ़े 7 करोड़ में डील हुई थी. मंतूराम ने मामले में पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह, अजीत जोगी, अमित जोगी और मूणत के खिलाफ गंभीर आरोप लगाया है.

अंतागढ़ टेपकांड

मंतूराम ने मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराते हुए कहा है कि उस पर दबाव डालकर यह डील की गई थी. पवार ने आगे कहा कि इस पूरे मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन, अजीत जोगी, अमित जोगी शामिल थे. पूर्व मंत्री राजेश मूणत के बंगले पर साढ़े 7 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ था.

अंतागढ़ टेपकांड
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शपथ पत्र को सार्वजनिक किया
बाद में पवार ने अपने शपथ पत्र को सार्वजनिक कर दिया है. इस दौरान मंतूराम पवार ने सरकार से सुरक्षा मुहैया कराए जाने की भी मांग की है

अंतागढ़ टेपकांड
अंतागढ़ टेपकांड
बता दें की उपचुनाव के समय कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने अपना नाम वापस लेकर सबको चौंका दिया था. इस पूरे प्रकरण में एक सीडी वायरल हुई थी. सीडी में कथित तौर पर अमित जोगी, अजीत जोगी, डॉ. पुनीत गुप्ता, मेनन और फिरोज सिद्धिकी की आवाजें थी. कांग्रेस की सरकार ने इस मामले की जांच को लेकर एसआईटी गठित की. मामले में पंडरी थाने में अपराध में दर्ज किया गया है.
अंतागढ़ टेपकांड
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क्या है अंतागढ़ टेपकांड मामला साल 2014 में अंतागढ़ के तत्कालीन विधायक विक्रम उसेंडी ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद अंतागढ़ में उप चुनाव कराना पड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व विधायक मंतूराम पवार को उम्मीदवार बनाया था, जबकि भाजपा ने भोजराम नाग को मैदान में उतारा था. इस उपचुनाव में उस वक्त नाटकीय घटनाक्रम सामने आया जब नाम वापसी के अंतिम वक्त पर मंतूराम पवार ने अपना नाम वापस ले लिया था, ऐसा करके उन्होंने भाजपा को एक तरह से वॉकओवर दे दिया था.
अंतागढ़ टेपकांड
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इस चुनाव के करीब एक साल बाद एक टेप सामने आया था, जिसमें कथित तौर पर अमित जोगी, अजीत जोगी और पूर्व सीएम रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता के बीच इस उपचुनाव और पैसे के लेनदेन की बातचीत हो रही है. इस टेप को आधार बनाकर कांग्रेस ने अमित जोगी और अजीत जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. फिलहाल इस मामले में जांच जारी है.

अंतागढ़ टेपकांड
अंतागढ़ टेपकांड

पढें - सुनिए, जोगी परिवार के आरोपों पर क्या बोले CM बघेल

2015 में ये टेपकांड के सामने आने के बाद गाहे बगाहे इस मामले में बयानबाजी और खुलासे होते रहे हैं. कह सकते हैं कि यही वो मामला था जिसके चलते अजीत जोगी जैसे दिग्गज को कांग्रेस से बाहर जाना पड़ा और छत्तीसगढ़ में एक नई पार्टी का जन्म हुआ. मंतूराम पंवार ने बाद में कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया और लगातार वे किसी तरह के खरीद फरोख्त से इनकार करते रहे. अब उन्होंने एक बार फिर अपना सुर बदला है.

रायपुर: अंतागढ़ टेप कांड मामले में मंतूराम पवार ने बयान में कहा है कि राजेश मूणत के बंगले में साढ़े 7 करोड़ में डील हुई थी. मंतूराम ने मामले में पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह, अजीत जोगी, अमित जोगी और मूणत के खिलाफ गंभीर आरोप लगाया है.

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मंतूराम ने मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराते हुए कहा है कि उस पर दबाव डालकर यह डील की गई थी. पवार ने आगे कहा कि इस पूरे मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन, अजीत जोगी, अमित जोगी शामिल थे. पूर्व मंत्री राजेश मूणत के बंगले पर साढ़े 7 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ था.

अंतागढ़ टेपकांड
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शपथ पत्र को सार्वजनिक किया
बाद में पवार ने अपने शपथ पत्र को सार्वजनिक कर दिया है. इस दौरान मंतूराम पवार ने सरकार से सुरक्षा मुहैया कराए जाने की भी मांग की है

अंतागढ़ टेपकांड
अंतागढ़ टेपकांड
बता दें की उपचुनाव के समय कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने अपना नाम वापस लेकर सबको चौंका दिया था. इस पूरे प्रकरण में एक सीडी वायरल हुई थी. सीडी में कथित तौर पर अमित जोगी, अजीत जोगी, डॉ. पुनीत गुप्ता, मेनन और फिरोज सिद्धिकी की आवाजें थी. कांग्रेस की सरकार ने इस मामले की जांच को लेकर एसआईटी गठित की. मामले में पंडरी थाने में अपराध में दर्ज किया गया है.
अंतागढ़ टेपकांड
अंतागढ़ टेपकांड
क्या है अंतागढ़ टेपकांड मामला साल 2014 में अंतागढ़ के तत्कालीन विधायक विक्रम उसेंडी ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद अंतागढ़ में उप चुनाव कराना पड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व विधायक मंतूराम पवार को उम्मीदवार बनाया था, जबकि भाजपा ने भोजराम नाग को मैदान में उतारा था. इस उपचुनाव में उस वक्त नाटकीय घटनाक्रम सामने आया जब नाम वापसी के अंतिम वक्त पर मंतूराम पवार ने अपना नाम वापस ले लिया था, ऐसा करके उन्होंने भाजपा को एक तरह से वॉकओवर दे दिया था.
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इस चुनाव के करीब एक साल बाद एक टेप सामने आया था, जिसमें कथित तौर पर अमित जोगी, अजीत जोगी और पूर्व सीएम रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता के बीच इस उपचुनाव और पैसे के लेनदेन की बातचीत हो रही है. इस टेप को आधार बनाकर कांग्रेस ने अमित जोगी और अजीत जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. फिलहाल इस मामले में जांच जारी है.

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पढें - सुनिए, जोगी परिवार के आरोपों पर क्या बोले CM बघेल

2015 में ये टेपकांड के सामने आने के बाद गाहे बगाहे इस मामले में बयानबाजी और खुलासे होते रहे हैं. कह सकते हैं कि यही वो मामला था जिसके चलते अजीत जोगी जैसे दिग्गज को कांग्रेस से बाहर जाना पड़ा और छत्तीसगढ़ में एक नई पार्टी का जन्म हुआ. मंतूराम पंवार ने बाद में कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया और लगातार वे किसी तरह के खरीद फरोख्त से इनकार करते रहे. अब उन्होंने एक बार फिर अपना सुर बदला है.

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