रायपुर: पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ में रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हर साल मालपुआ बनाया जाता है. मालपुआ को भगवान को अर्पित करने के बाद, इसको प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है. कोरोना की वजह से पिछले 2 सालों से मालपुआ नहीं बनाया जा रहा था. लेकिन इस जन्माष्टमी पर मालपुआ बनाने का कार्य 5 दिनों से चल रहा है.
जैतुसाव मठ के सचिव महेंद्र अग्रवाल ने कहा कि भगवान कृष्ण को मालपुआ का भोग लगाने और अर्पण करने के बाद प्रसाद के रूप में मंगलवार को भक्तों में बांटा जाएगा. कोरोना की वजह से इस बार भंडारे का आयोजन नहीं किया जा रहा है. जैतुसाव मठ के सचिव ने बताया कि रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित जैतुसाव मठ के पहले महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय सन 1916 में रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मालपुआ बनाने का काम शुरू किया गया था, जो आज तक निरंतर चला आ रहा है.
कृष्ण जन्माष्टमी 2021: कहां कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
जैतुसाव मठ के सचिव महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में महंत के रूप में जैतूसाव मठ में रामसुंदर दास हैं. कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर जैतुसाव मठ में 7 क्विंटल मालपुआ बनाया जा रहा है, जो कि लगभग 20 से 25 हजार की संख्या में रहेंगे. इस मालपुआ को बनाने का काम आज शाम तक किया जाएगा. जिसके बाद भगवान कृष्ण को भोग लगाने और अर्पित करने के बाद मंगलवार की दोपहर भक्तों को प्रसाद के रूप में मालपुआ का वितरित होगा.
मालपुआ बनाने में शक्कर गेहूं का आटा, सूखा मेवा, काली मिर्च, मोटा सौफ का उपयोग किया जाता है. इस मालपुआ को बनाने के लिए लगभग 5 से 7 कर्मचारी लगते हैं, जो भट्टी पर काम कर रहे हैं.
माल पुआ को तेल और घी में छाना जाता है. मालपुआ को छानने के बाद उसे सुखाया जाता है और सूखने के बाद देर रात भगवान कृष्ण को भोग लगाने और अर्पित करने के बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.