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ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि आज, महिला शिक्षा और सामाजिक सुधार की दिशा में रहा अहम योगदान

Jyotirao Phule Death Anniversary 2023 ज्योतिराव गोविंदराव फुले सामाजिक सुधार आंदोलन के एक प्रमुख कार्यकर्ता थे. उन्होंने महाराष्ट्र में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सामाजिक और शैक्षिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. महात्मा ज्योतिराव फुले का निधन 28 नवंबर 1890 को हुआ था. इसलिए हर साल 28 नवंबर को महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि के रूप में मनाई जाती है.

Jyotirao Phule Death Anniversary 2023
ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 28, 2023, 2:17 PM IST

रायपुर: ज्योतिराव गोविंदराव फुले "ज्योतिबा" एक भारतीय समाज सुधारक, विचारक और कार्यकर्ता थे. आमतौर पर महात्मा ज्योतिबा फुले के नाम से जाने जाने वाले वे एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी. साथ ही महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संघर्ष किया. छात्रों के लिए भारतीय समाज में सामाजिक सुधार की दिशा में भी ज्योतिबा फुले का योगदान बेहद अहम है.

ज्योतिराव फुले का योगदान: 'महात्मा' की उपाधि से सम्मानित ज्योतिराव फुले वह व्यक्ति थे, जिन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए पहला महिला विद्यालय खोला था. 11 अप्रैल, 1827 को जन्मे ज्योतिरोआ फुले को देश के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों और लेखकों में से एक माना जाता है. इसके साथ ही वे जाति विरोधी समाज सुधारक, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. जिन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई के साथ मिलकर भारत में महिला शिक्षा के प्रति जन जागरूकता की दिशा में काम किया. ज्योतिबा फुले ने महिला शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह, कन्या भ्रूण हत्या के रोकने और नवजात शिशुओं के लिए आश्रय गृह खोलने की दिशा में काम किया. उनके प्रयासों को याद करने के लिए हर साल 28 नवंबर को ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि मनाई जाती है.

ज्योतिराव फुले का जीवन: महाराष्ट्र के सतारा जिले में 11 अप्रैल 1827 को ज्योतिराव फुले का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम गोविंदराव पूना था. ज्योतिराव के परिवार "माली" जाति से था. ज्योतिराव के पिता पेशे से माली होने के कारण परिवार ने "फुले" नाम अपनाया. ज्योतिराव ने 1847 में अपनी शिक्षा पूरी की. जिसके बाद सावित्रीबाई से 1840 में उनका विवाहन हुआ. शादी के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को भी शिक्षित किया. शिक्षित होने के बाद सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षक बनीं.

छत्तीसगढ़ बीजेपी ने ज्योतिबा को दी श्रद्धांजली: छत्तीसगढ़ बीजेपी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' के जरिये ज्योतिबा फुले को श्रद्धांजली दी है. बीजेपी ने पोस्ट में लिखा, "वंचित समाज के उत्थान के लिए समर्पित महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन..."

  • वंचित समाज के उत्थान के लिए समर्पित महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन... pic.twitter.com/sqNgRzJMZB

    — BJP Chhattisgarh (@BJP4CGState) November 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ज्योतिराव फुले के कथन:

  1. विद्या से ही समाज का सुधार हो सकता है, और इसलिए शिक्षा को सभी को पहचानना चाहिए.
  2. पूरा समाज ही एक विशेषाधिकार से जला हुआ है, और हमें इसे बुझाना होगा.
  3. समाज में व्यक्ति को समान अधिकार और विशेष अधिकार होना चाहिए.
  4. जो व्यक्ति जातिवाद के द्वारा दूसरों को बेचता है, वह स्वयं भी बिकता है.
  5. शिक्षित व्यक्ति कभी भी दास नहीं बन सकता, वह हमेशा स्वतंत्र रहेगा.
  6. समाज में समता और न्याय के बिना कोई समृद्धि नहीं हो सकती.
  7. भूखा रहना गरीब बना नहीं देता, बल्कि उच्च शिक्षा देने में अधीन बना देता है.
  8. शिक्षित महिला समाज की बुद्धि होती है, और बुद्धिमान समाज ही समृद्धि कर सकता है.
  9. जन्म नहीं, जाति से उपजा है व्यक्ति.
  10. जब तक विद्या नहीं होगी, तब तक समाज में उन्नति की संभावना नहीं है.
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रायपुर: ज्योतिराव गोविंदराव फुले "ज्योतिबा" एक भारतीय समाज सुधारक, विचारक और कार्यकर्ता थे. आमतौर पर महात्मा ज्योतिबा फुले के नाम से जाने जाने वाले वे एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी. साथ ही महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संघर्ष किया. छात्रों के लिए भारतीय समाज में सामाजिक सुधार की दिशा में भी ज्योतिबा फुले का योगदान बेहद अहम है.

ज्योतिराव फुले का योगदान: 'महात्मा' की उपाधि से सम्मानित ज्योतिराव फुले वह व्यक्ति थे, जिन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए पहला महिला विद्यालय खोला था. 11 अप्रैल, 1827 को जन्मे ज्योतिरोआ फुले को देश के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों और लेखकों में से एक माना जाता है. इसके साथ ही वे जाति विरोधी समाज सुधारक, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. जिन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई के साथ मिलकर भारत में महिला शिक्षा के प्रति जन जागरूकता की दिशा में काम किया. ज्योतिबा फुले ने महिला शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह, कन्या भ्रूण हत्या के रोकने और नवजात शिशुओं के लिए आश्रय गृह खोलने की दिशा में काम किया. उनके प्रयासों को याद करने के लिए हर साल 28 नवंबर को ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि मनाई जाती है.

ज्योतिराव फुले का जीवन: महाराष्ट्र के सतारा जिले में 11 अप्रैल 1827 को ज्योतिराव फुले का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम गोविंदराव पूना था. ज्योतिराव के परिवार "माली" जाति से था. ज्योतिराव के पिता पेशे से माली होने के कारण परिवार ने "फुले" नाम अपनाया. ज्योतिराव ने 1847 में अपनी शिक्षा पूरी की. जिसके बाद सावित्रीबाई से 1840 में उनका विवाहन हुआ. शादी के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को भी शिक्षित किया. शिक्षित होने के बाद सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षक बनीं.

छत्तीसगढ़ बीजेपी ने ज्योतिबा को दी श्रद्धांजली: छत्तीसगढ़ बीजेपी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' के जरिये ज्योतिबा फुले को श्रद्धांजली दी है. बीजेपी ने पोस्ट में लिखा, "वंचित समाज के उत्थान के लिए समर्पित महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन..."

  • वंचित समाज के उत्थान के लिए समर्पित महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन... pic.twitter.com/sqNgRzJMZB

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ज्योतिराव फुले के कथन:

  1. विद्या से ही समाज का सुधार हो सकता है, और इसलिए शिक्षा को सभी को पहचानना चाहिए.
  2. पूरा समाज ही एक विशेषाधिकार से जला हुआ है, और हमें इसे बुझाना होगा.
  3. समाज में व्यक्ति को समान अधिकार और विशेष अधिकार होना चाहिए.
  4. जो व्यक्ति जातिवाद के द्वारा दूसरों को बेचता है, वह स्वयं भी बिकता है.
  5. शिक्षित व्यक्ति कभी भी दास नहीं बन सकता, वह हमेशा स्वतंत्र रहेगा.
  6. समाज में समता और न्याय के बिना कोई समृद्धि नहीं हो सकती.
  7. भूखा रहना गरीब बना नहीं देता, बल्कि उच्च शिक्षा देने में अधीन बना देता है.
  8. शिक्षित महिला समाज की बुद्धि होती है, और बुद्धिमान समाज ही समृद्धि कर सकता है.
  9. जन्म नहीं, जाति से उपजा है व्यक्ति.
  10. जब तक विद्या नहीं होगी, तब तक समाज में उन्नति की संभावना नहीं है.
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